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WamanaOHANE
दिलगीर
१०१ होना, ध्यान न लगना । मुहा०-दिलकड़ा दिलजोई संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) संतोष,तसल्ली। करना-साहस करना या हिम्मत बाँधना। "दिलजोई के वचन सुहाये "-छत्र० । दिल का कँवल (कमल) खिलना- दिलदार-वि० (फ़ा०) उदार, रसिक, प्यारा । मन प्रसन्न होना । दिल गिरना- हतोत्साह | संज्ञा, स्त्री० दिलदारी। या अरुचि होना, उदास होना । दिल का दिलवर-वि० (फ़ा०) प्रिय, प्यारा । गवाही देना--मन में निश्चय होना। दिल | दिलरुवा-संज्ञा, पु० (फा०) प्यारा, प्रिय । का बादशाह-बड़ा दानी, अति उदार | "मुशफिक लिखू शफीक लिखू दिलरुबा मनमौजी। दिल लगाना-प्रेम करना, | लिखू"-। ध्यान देना । दिल के फफोले फोड़ना--- | दिलवाना-स० क्रि० दे० (हि. दिलाना का पुराने द्वेष से बकना, बक-झक कर मन | प्रे० रूप ) दिलाने का काम दूसरे से लेना। प्रसन्न करना । दिल जमना-चित या मन | दिलही - संज्ञा, पु० दे० (हि. दिल्ली, अं० लगना : दिल में जमना -(पैठना, बैठना) डेनही) दिल्ली। दृढ़ या निश्चय होना, प्रिय होना, पसंद | दिलाना-स० क्रि० दे० (हि० देना का स० ) श्राना । दिल ठिकाने होना-चित स्थिर किसी को देने के काम में लगा देना। होना । दिल ( मन ) ममोसना- इच्छा | दिलावर--वि० ( फा० ) शूरवीर, बहादुर, पूरी न कर सकना। दिल देना --प्रेम करना। साहसी, उत्साही । संज्ञा, स्त्री० दिलावरी । दिल बुझाना-चित्त का उत्साह या उमंग- दिलासा-संज्ञा, पु. ( फा० दिल + मासा रहित हो जाना । दिल में फ़रक आना- | हि० ) ढारस, धैर्य, आश्वासन, तसल्ली। मन मोटा होना। दिल फिर जाना- । यौ० दमदिलासा-धैर्य,तसल्ली, धोखा । वैमनस्य या विरोध हो जाना । दिल से - दिली-वि० ( फा० दिल + ई-प्रत्य० ) हृदय जी लगा कर, मन से । दिल दुखाना-- या चित्त-सम्बंधी, हार्दिक, बहुत धना। अप्रसन्न या दुखी करना । दिल से दूर | दिलीप-संज्ञा, पु० (सं०) राजा रघु के पिता। करना -- भुला देना : दिल ( कलंजा) दिलीप इति राजेन्दुः "-रघु० । निकाल कर रखना-बड़ा हित करना, | दिलेर - वि० ( फ़ा० ) शूर वीर, हिम्मती, मन की सब बात कहना। दिल हो दिल ___ साहसी । संज्ञा, स्त्री. दिलेरी। में - मन ही मन में, चुप-चाप । दिल्लगी-संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० (फ़ा दिल + दिलगीर-वि० (फ़ा०) उदास, दुखी । संज्ञा, | हि० लगना ) ठठोली, हँसी, ठट्ठा, उपहास । स्त्री० दिलगीरी।
मुहा०—किसी । बात ) की दिल्लगी दिलचला-वि० यौ० (फा० दिल + चलना | उड़ाना-उपहास करना (मिथ्या समझना) हि० ) साहसी, शूरवीर, बहादुर, शौकीन । दिल्लगी बाज-संज्ञा, पु. (हि. दिल्लगी मनचता (दे०)।
__+बाज़-फा० ) ठह' बाज़, ठठोल, हँसी दिलचस्प-वि० यौ० फा०) सुन्दर, मनोहर, उड़ानेवाला, मसखरा । संज्ञा, स्त्री. दिल्लगी
मनाकर्षक, जी में चिपक जाने वाला। बाजी। (संज्ञा, स्त्री. दिलचस्पी)
दिल्ला-संज्ञा, पु. (दे०) शीशी, किवाड़ों में दिनजमई-संज्ञा, स्त्री० (फा० दिल --जमन लगाने का शीशा ।
अ०+ ई-प्रत्य० ) भरोसा. तसल्ली । | दिल्ली -संज्ञा, स्त्री० (दे०) भारत की राजदिलजला-वि० यौ० ( फा० दिल ---जलना- धानी, इंद्रप्रस्थ । हि०) दग्धहृदय, कष्ट-प्राप्त, दुखी । | दिव-संज्ञा, स्त्री० (सं०) आकाश, देव-लोक,
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