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दहल
དཏཊྛཾ
हिं० हिलना ) भय से एकाएक काँप उठना । स्तम्भित होना । दहलना - (दे० ) । दहल - संज्ञा, स्त्रो० दे० ( हिं० दहलना ) भय से एकाएक काँप उठना, डरना । दहलना - प्र० क्रि० दे० (सं० दर = डर + हिलना हिं० ) भय से एकाएक काँप उठना, शंकित होना ।
दहला - संज्ञा, पु० दे० ( फ़ा० दह = दश ) दश बूटियों का ताश या गंजीफ्रे का पत्ता । + संज्ञा, पु० दे० (सं० थल) थाला, थावला । दहलाना - स० क्रि० दे० ( हि० दहलना का प्रे० रूप) दहलवाना, भय से किसी को कँपाना, भयभीत करना ।
दहलीज़ - संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) देहली, देहरी डेहरी (ग्रा० ) ।
दहशत - संज्ञा, स्त्री० ( फ़ा० ) भय, डर । दहसत (दे० ) । वि० दहशतनाक । दहसतियाना- दहसताना- - अ० क्रि० (दे० ) डर जाना, भयभीत होना ।
दहा - संज्ञा, पु० दे० फा० दह ) मुहर्रम महीने की पहली से दश तारीख़ तक का मुहर्रम का महीना, समय, ताज़िया दहाई -संज्ञा, स्त्री० दे० ( फ़ा० दह = दस ) एकाई का दस गुना |
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दहाड़ - संज्ञा, स्त्री० दे० ( अनु० ) गरज, श्रार्त्तनाद व्याघ्रादि नंतुनों की घोर ध्वनि । ऊपर बरसै देव, पीछे सिंह दहाड़ई ' —प्रेम० ।
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दहाड़ना- - अ० क्रि० दे० ( अनु० ) गरजना, घोर ध्वनि करना, चिल्ला चिल्ला कर रोना, ढाड़ना ( ० ) । मुहा० - दहाड़ मारना - दहाड़ मार कर रोना - बड़े ज़ोर से चिल्ला चिल्ला कर रोना (6 1 ढाड मारि बिलखि पुकार सब वै चुकी
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दहेला
दहिजार - संज्ञा, पु० दे० (हि० दाढ़ी +जार) दादीजार ( गाली ) ।
दहिना दाहिना - वि० दे० (सं० दक्षिण ) किसी जीवधारी की वह बग़ल जिसके श्रोर के अवयव अधिक बली हो, अपसव्य, दाँया (ग्रा० ) | ( विलेो० - बाँया) दाहिन (ग्रा० ) । स्त्री० दाहिनी । दहिनावर्त्ती - वि० यौ० दे० (सं० दक्षिणव ) दाहिनी ओर को घूमना, दाहिनी र घूमा शंख (दुर्लभ ) 1 दहिने दाहिने - क्रि० वि० दे० (हि० दहिना) दाहिनी ओर को, दाँयें। मुहा० - दहिने ( दक्षिण या दाँये ) होना - प्रसन्न या अनुकूल होना । यौ० -- दहिने - बाएँ (दाँयेंबाँयें ) - इधर-उधर । " दाहिन बामन जानौ
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काऊ
रामा० ।
तैं
दही- संज्ञा, पु० दे० (सं० दधि ) जमाया हुआ दूध, दहिउ ( प्रा० ) । अ० कि० स्त्री० ( हि० दहना ) जली, दुखी। मुहा० - दही दही करना - किसी वस्तु के मोल लेने को लोगों से कहते फिरना । " भोर ही पै पुकारति दही दही " - द्वि० । द्वार ० क्रि० दे० ( हि० दहना ) जला दिया, जला दी । " मैं नहिं देहौं दही सो सही तै जो रही सो लखी परती हौ "स्फु० । लो० - ले दही और दे दही ( में अन्तर है ) - ग़रज और बेगरज में भेद है। दहुँ – अव्य० दे० (सं० प्रथवा ) किंवा, अथवा, कदाचित् ।
कृस
दड़ - दहेल - संज्ञा, पु० (दे० ) पक्षी विशेष | दहेंड़ी - संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० दही + हंडी )
दही रखने का मिट्टी का पात्र ।
दहेज - संज्ञा, पु० दे० ( ० जहेज) यौतुक, दायज, विवाह में कन्या- पिता के द्वारा वर को दिया धन ।
रना० ।
दहाना -- संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) घोड़े की बड़ी दहेला - वि० दे० (हि० दहला + एला- प्रत्य ० ) लगाम, मुहाना, मोरी । जला हुआ, संतप्त, दग्ध, दुखी । वि० स्त्रो०
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