________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
दमी
दमी--संज्ञा, वि० (सं०) दमन करने वाला | संज्ञा, वि० दे० ( फा० ) दम लगाने वाला, दमरोगी नैचा 1 दमी यार किसके दम लगाई खिसके " - लो० ।
""
दमैया | - वि० दे० (हि० दमन + ऐया प्रत्य० ) दमन करने वाला |
८७
दयंत देनt - संज्ञा, पु० दे० (सं० दैत्य) दैत्य,
--
दानव, दइत (ग्रा० ) 1
दया - संज्ञा, स्त्री० (सं०) कृपा, करुणा, धर्म की पत्नी । (6 दमदानदया नहिं जानपनी "
- रामा० ।
दयाद्वटि - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) कृपा कटात्त, कृपा-कोर, दयाढीठ (दे० ) ।
दयानन्द संज्ञा, पु० (सं०) आर्य समाज के प्रवर्तक एक संन्यासी ।
दयानत - संज्ञा स्त्री० (०) ईमानदारी, धर्म, सत्य-प्रेम |
दयानतदार - वि० ( ० दयानत + दार फ़ा० ) ईमानदार, धर्मात्मा, सच्चा | संज्ञा, स्त्री०दयानतदारी ।
911
दयाना - श्र० क्रि० दे० (दया + ना प्रत्य० ) दया या करुणा करना, कृपालु होना । दयानिधान-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दया का खजाना, प्रति दयालुया कृपालु, कारुणिक | " दया निधान राम सब जाना रामा० । दयानिधि - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) प्रति कृपालु या दयालु, कारुणिक पुरुष, परमेश्वर, दयासागर, दयासिंधु ।
दयापात्र - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कृपा, दया, या करुणा के योग्य ।
दयामय - संज्ञा, पु० (सं०) कृपा, दया, करुणारूप या परिपूर्ण, अति कृपालु, दयालु, कारुणिक, परमेश्वर ।
दयार - संज्ञा, पु० (०) प्रदेश, सूबा, प्रांत | दाई - वि० यौ० (सं०) दया या कृपा से द्रवीभूत, कृपा या दया पूर्ण, कारुणिक । दयाल, दयालु - वि० सं० दयालु ) अति ( कृपालु, दयावान |
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
दरकना
दयालुता -- संज्ञा, स्त्री० (सं०) कृपालुता । दयावंत - वि० (सं०) कृपालु कारुणिक । दयावना - वि० पु० दे० ( हि० दया + भावना ) दुखिया, बेचारा, दीन, कृपा या दया करने योग्य । स्त्री० दयावनी । दयिताधीन - वि० पु० यौ० (सं०) स्त्रैण, स्त्री के वशीभूत या अधीन । दयावान् - वि० (सं०) कृपायुक्त, दयालु, कारुणिक, दयावन्त । (स्त्री० दयावती ) । दयाशील - वि० यौ० (सं०) कृपालु, दयालु । दयासागर - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कृपा का समुद्र, श्रुति कारुणिक, दयालु, दयासिंधु । दयायुक्त, दयायुत - वि० सं०) दयावान्, दयालु, कृपालु |
दयित - संज्ञा, पु० (सं० ) पति, स्वामी, भर्ता । वि०-- प्रिय, स्नेही ।
दयिता - संज्ञा, खो० (सं०) पत्नी, भार्य्या, प्रिया प्रियतमा |
दर - संज्ञा, पु० (सं०) शंख, गढ़ा, दरार, कंदरा, विदारण, भय | संज्ञा, पु० (सं० दल) समूह, झुंड, दल | संज्ञा, पु० ( फा० ) स्थान, द्वार, दरवाजा। मुहा० - दर दर मारामारा फिरना - बुरी दशा में फँस कर घूमना । "ये रहीम दर दर फिरें रही ० " । “कुंद इंदु दर गौर शरीरा " - रामा० । " दीन. बंधु दीनता- दरिद्र दाह-दोष-दुख दारुणदुसह दर-दरप-हरन है।" - वि० संज्ञा, स्रो निर्ख, भाव, प्रमाण, सबूत, ठीक, ठौर प्रतिष्ठा, मान्य, कदर । मुहा० दर उठना- विश्वास या प्रतिष्ठा न रहना । दर न होना - क़दर या विश्वास न होना संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० दारु ) ऊख, गन्ना मदन सहाय दुवौ दर गाजे "- - पद० । दरकच -संज्ञा, खो० यौ० (सं० दर = गढ़ा + हि० कचरना ) कचर जाने या दब जाने से लगी चोट ।
16
दरकना - स० क्रि० दे० (सं० दर = फाड़ना दाब पड़ने से फटना या चिढ़ जाना ।
For Private and Personal Use Only