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दरपर्दा
दरका-संज्ञा, पु० दे० (हि. दरकना ) दरार । दरजिन, दर्जिन-संज्ञा, स्त्री० दे० (फा० दराज़, वह चोट जिससे कोई वस्तु फट या दर्जी ) दरजी की स्त्री। दरक जावे, ( प्रान्ती० ) एक रोग । | दरजी, दर्जी-संज्ञा, पु० दे० ( फ़ा० दर्जी ) दरकाना-स. क्रि० दे० (हि० दरकना ) __ कपड़ा सीने वाला। फाड़ना, चीरना, मसकाना। अ० क्रि० फटना, दरण-संज्ञा, पु० (सं०) बंस, विनाश, दरने चिरना, मसकना । "चूरी दरकाई मसकाई या पीसने का कार्य । चारु चोली अरु"-मन्ना । 'जल जरि गयो | दरद - संज्ञा, पु० दे० (फा० दर्द ) व्यथा, पंक सूख्यो भूमि दर की" - गंग। पीड़ा, दया । संज्ञा, पु. कश्मीर और हिन्दूदरकार-वि० (फ़ा०) ज़रूरत, श्रावश्यकता,
कुश पहाड़ के बीच का देश (प्राचीन) अपेक्षित, जरूरी।
इंगुर, सिंगरफ़। दरकिनार–क्रि० वि० (फ़ा०) भिन्न, अलग,
दर-दर-क्रि० वि० यो० (फा० दर ) द्वारएक तरफ या ओर, दूर।
द्वार, जगह जगह । वि०-मोटा चूर्ण ।
दरदरा-वि० दे० (सं० दरण = दलना) दरकूब-क्रि० वि० (फा०) मंज़िल दर मंज़िल।
जिसके कण मोटे हों, स्थूल । स्त्री० दरदरी। लगातार या बराबर चलता हुआ । “रावन की मीचु दर कूच चलि आई है "- राम ।
दरदराना-स० क्रि० दे० (सं० दरण ) स्थूल
या मोटे मोटे कणों के रूप में पोसना, चबाना। दरखत*-संज्ञा, पु० दे० (फा० दरख्त)
दरदवंत, दरदवंद-वि० दे० ( फ़ा० दर्द + पेड़, वृक्ष।
हि० वंत-प्रत्य० ) कृपालु, दयावान, सहानुदरखास्त-संज्ञा, स्त्री० दे० (फा० दरख्वास्त)
भूति रखने वाला, पीड़ित, दुखी। निवेदन या प्रार्थना. आवेदन-पत्र ।
दरद्द-संज्ञा: पु० (फा० दर्द ) पीड़ा, व्यथा, दरख्त-संज्ञा, पु० दे० (फा०) वृक्ष, पेड़।।
दुख, दरद, दर्द। दरगह-दरगाह-संज्ञा, स्त्री० (फा०) देहरी,
दरन-वि० दे० (हि. दरना) दलने वाला, चौखट, दरबार, कचहरी, मकबरा । “धनी
नाश करने वाला । " विप्र-तिय नृग बधिक सहेगा सासनां, जम की दरगह माहि "
के दुख दोप दारुन दरन"--वि०। कबी०।
दरना-दलना-स० क्रि० दे० (सं० दरण) दरगुज़र-वि० (फ़ा०) भिन्न, अलग, वंचित,
दलना, मोटा या स्थूल पीसना, नष्ट करना। क्षमाप्रास।
दरप - संज्ञा, पु. (सं० दर्प) अहंकार, दरगुजरना-स० क्रि० दे० (फ़ा० दरगुज़र ---
घमण्ड, अभिमान । वि०-दरपी। ना प्रत्य० ) छोड़ना, क्षमा करना।
दरपन-दर्पन-संज्ञा, पु० दे० (सं० दर्पण) दरज-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० दर=दरार )
शीशा, प्रायना, मुकुर, पारसी । दरपनी दराज, दरार, छेद, बिल । यौ०-दरज | संज्ञा, स्त्री० ( अल्पा० )। “दुरजन दरपन (दज) करना-लिखना।
सम सदा".-०। दरजन, दर्जन-संज्ञा, पु० दे० (अं० डज़न) दरपना-अ० क्रि० दे० (सं० दर्प) क्रोध बारह वस्तुयें।
करना, घमंड या अभिमान करना, ताव में दरजा, दजी-संज्ञा, पु० (प्र. दर्जा ) कक्षा, पाना। श्रेणी, कोटि, वर्ग, पद, श्रोहदा, खंड । दरपर्दा-क्रि. वि. यौ० (फ़ा०) पोट य कि० वि० गुना।
... आड़ में, छिपछिपाकर ।
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