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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ताराग्रह ५३१ ताल-बैताल तारे तोड़ लाना-महा कठिन कार्य चतु- इतिहास । मुहा०-तारीख डालनारता से करना। तारोडाह-बड़े तड़के | तारीख नियत करना। या सबेरे । आँख की पुतली, भाग्य । संज्ञा, | तारीफ-संज्ञा, स्त्री. (अ०) परिभाषा, लक्षण, स्त्री० (सं०) बुध या अंगद की माँ । संज्ञा, विवरण, प्रशंसा, गुण । मुहा०-तारीफ़ पु० (दे०)ताला, तालाब । य० तारागण । के पुल बांधना-बहुत अधिक प्रशंसा ताराग्रह-संज्ञा, पु. (सं०) मंगल, बुध, करना। तारीफ़ करना--परिचय बताना । बृहस्पति, शुक्र, शनि. ये पाँच ग्रह । तारुण्य-संज्ञा, पु. (सं.) जवानी युवाताराज--- संज्ञा, पु० (फा० ) लूट-मार, नाश, वस्था। बरबादी। तारु, तारू--संज्ञा, पु० दे० (सं० तालु) तालू, ताराधिप-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) चन्द्रमा, तालु । " अतिहि सुकंठ दाहु प्रीतम को शिव, बृहस्पति, बालि, सुग्रीव, तारापति। तारु जीभ मन लावत "-सूर० । ताराधीश-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चन्द्रमा, | तारेश-तारेस-संज्ञा, पु० (दे०) (सं० तारेश) शिव, बृहस्पति, वालि. सुग्रीव । ताराधिपति। चन्द्रमा, बृहस्पति, बालि, सुग्रीव । तारापति --- संज्ञा, पु० (सं०) चन्द्रमा, शिव, | तार्किक-संज्ञा, पु० (सं०) तर्कशास्त्री, दार्शबृहस्पति, बालि, सुग्रीव । "कास कास देखे निक, तत्वज्ञानी । संज्ञा, स्त्री० तार्किकता। होति, जारत अकाश बैठि तारापति, तारा-ताल-संज्ञा, पु० (सं०) ताली, नाच-गान में पति ध्यान न धरत हैं"-1 गान और बाजों की गति, करताल । तारापथ-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) तारों का “धुनिडफ तालन की अनि बासी प्रानन मार्ग, आकाश । मैं "- रता० । मुहा०-ताल-बालतराबाई- संज्ञा, स्त्री. (दे०) सीसोदिया जिसका ताल ठीक न हो, मौके बे मौके । वीरवर पृथ्वीराज की पत्नी, महाराष्ट्र राजाराम जाँघा पर हाथ मारने का शब्द । मुहा०की पत्नी जो औरंगजेब से ३ वर्ष तक | ताल ठोंकना-कुश्ती लड़ने के लिये लड़ी थी और अंत में जीती। तैय्यार होना या ललकारना, हरताल, ताड़ तारामंडल-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) नक्षत्र- का फल या पेड़, तालाब, तलवार की मूंठ, समूह तारों का समुदाय । सलाह ' ताल ठोंकि हौं लरिहौं”-सू० तारिका - संज्ञा, स्त्री० (सं० तारका) नक्षत्र, | तालक,तालुक -संज्ञा, पु० (दे०) तत्रतारा, अाँख की पुतली । " तारकादिभ्यो ल्लुक, सम्बंध, ताला,हरताल अध्य. - तक। इतच्"-पा०। तालकेतु-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) ग्रीष्म, तारिणी-वि० स्त्री० (सं०) तारने या उद्धार गरमी, बलराम । करने वाली, मुक्ति देने वाली। तालजंघ-संज्ञा, पु० (सं०) एक देश, उस तारी --संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तालो) कुंजी, देश का निवासी। कुंचिका, ताली, चाभी. चाबी। - संज्ञा, तालध्वज-संज्ञा, पु. (सं०) तालकेतु, ग्रीष्म, सो० दे० (हि० ताड़ी ) ताड़ का मादक रस, | बलराम । ताड़ी (दे०)। | तालपर्णी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) सौंफ़, मुसली, तारीक-वि० (फा०) अँधेरा, काला। __ कपूर कचरी। (संज्ञा, स्त्री० तारीकी)। ताल-बैताल-- संज्ञा, पु० (सं० ताल-बेताल) तारीख-संज्ञा, स्त्री० (फा०) महीने का दिन, दो देवता या यक्ष जो विक्रमादित्य राजा के तिथि, किसी कार्य के लिये नियत तिथि, | वशीभूत थे। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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