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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अध्यूढा अनंगारि अध्यूढा- संज्ञा, स्त्री० (सं० ) वह स्त्री अध्वर-संज्ञा, पु. (सं० ) यज्ञ, याग, जिपका पति दूपरा विवाह कर ले. ज्येष्ठा वसुभेद, सावधान । पत्री, विवाहिता या परिणीता स्त्री। अध्वर्य-संज्ञा, पु० (सं० ) यज्ञ में यजुर्वेद अध्येय-वि० स्त्री० (सं० ) पढ़ने के योग्य | के मन्त्रों का पढ़ने वाला ब्राह्मण, होमकर्ता, (सं० अध्ययन ) (अ+ध्येय ) लक्ष के इसका मुख्यकार्य है यज्ञ मंडप में यज्ञ-कुंड अयोग्य, लचय-रहित । रचना, यज्ञीयपात्र, समिध, जलादि का अधेय-वि० (सं० अ-+धेय ) न ध्यान एकत्रित करना, अग्नि प्रदीत करना और करने के योग्य, (दे० ) अध्येय, पढ़ने के | यज्ञ में यजुर्वेद के मन्त्र पढ़ना। योग्य। अध्वान्न-संज्ञा पु० (सं० ) ईषत्, अंधकार, अध्येता-संज्ञा, पु. ( सं० ) छात्र, शिष्य, सन्ध्याकाल, तमोरहित । विद्यार्थी, पढ़नेवाला, पाठक । अन् - अव्य० (सं० ) अभाव या निषेध अध्येषण-संज्ञा, स्त्री. (सं०) याचना. सूचक ना, नहीं, बिना, रहित, जैसे अनमांगना, सादर प्रार्थना, प्रश्न, अध्ययन की धिकार । यह प्रायः स्वर से प्रारम्भ होने इच्छा । वाले शब्दों के पूर्व प्राता है जैसे -- अन् + अध्रव-वि० ( सं० ) चंचल, अस्थिर, आचार = अनाचार । . डंवाडोल, अनिश्चित, बेठौर-ठिकाने का, अनः-- संज्ञा, पु० (सं० ) शकट, अन्न, क्षणिक। जननी, जन्म, अत्यल्प काल । अध्व- संज्ञा, पु० (सं०) मार्ग, पंथ, रास्ता, अनंग वि० (सं० ) बिना शरीर का, वाट, पथ, “ अध्वपरिमाणे च" पा० । अंग-रहित, विदेह, ( क्रि० अनंगना ) । संज्ञा अध्वग-संज्ञा, पु० ( सं० ) पथिक, यात्री, पु. आकाश, मन, कामदेव, मदन, प्रद्युम्न, बटोही मुसाफिर, उष्ट्र, सूर्य, खेचर, वृक्ष रति पति। " एक ही अनङ्ग साधि साध विशेष। सब पूरी अब" -~ऊ. श० । अध्वगा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) गंगा, भागी | अनंगकीडा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० अनङ्ग रथी, जह्नवी। +-क्रीड़ा ) रति, सम्भोग, मुक्तक नामक अध्वगामी- संज्ञा, पु. ( सं० ) पथिक, विषम वृत्त का एक भेद ( छंद शास्त्र)। यात्री, पंथी, मुसाफ़िर। अनंगभीम-संहा, पु० (सं०) ११०४ ई. श्रध्वजा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) वृक्ष विशेष, में उड़ीसा पर राज्य करने वाले तथा वि० (अ+ध्वजा ) ध्वजा या पताका से | जगन्नाथ जी का मन्दिर बनवाने वाले रहित । एक राजा। श्रध्वनीन-संज्ञा, पु० (सं० ) पथिक, पर्यटन अनंगा -अ. क्रि० (सं०) देह की या भ्रमण करने वाला, यात्री, मुसाफ़िर ।। सुधि न रहना, विदेह होना, सुधि बुधि अध्वन्य-सज्ञा, पु० (सं० ) पथिक, यात्रो। भुलाना। अध्वज-वि० (सं० ) ध्वज-रहित । अनंगशेखर-संज्ञा, पु. (सं०) दंडक अवनि-वि० (सं०) ध्वनि या शब्द- नामक वर्णिक वृत्त का एक भेद ।। हीन। अनंगा-वि० (हि. अ+ना-सं० नग्न) अध्वंस-संज्ञा, पु० (सं० ) वंस या नाश- जो नग्न न हो, जो बदमाश या बेशर्म न हो। रहित। अनंगारि-संज्ञा, पु. यौ० ( सं० अनङ्ग+ भा० श. को०-१० For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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