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तर्कशास्त्र ८२१
तलपट तर्कशास्त्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) न्याय | तर्ब-संज्ञा, स्त्री० (दे०) स्वर की ध्वनि । शास्त्र ।
तर्राना-अ० क्रि० (दे०) बड़बड़ाना, बक तर्काभास- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) बुरा तर्क, बक करना, कुढ़ना, चिढ़ना, अलाप । कुतर्क ।
तरिया संज्ञा, पु० (दे०) खड्गधारी, तलतर्कित-वि० (सं०) तर्क-युक्त, शंकित। | वार बाँधने या चलाने वाला । "कब तें ती-संज्ञा, पु. ( सं० तर्किन् ) तर्क करने बेटा तर्वरिया भए"-श्राल्हा० । वाला । (स्त्री० तर्किनी)।
तर्ष-संज्ञा, पु. (सं०) अभिलाषा तृष्णा, तर्क-संज्ञा, पु. (सं०) सूत कातने का इच्छा, क्रोध, समुद्र, सूय्या । " बातें बात तकला, टकुवा, तकुवा ।
तर्ष बदि भाई"- रामा० । तर्का-वि० (सं०) विचारणीय, चिंत्य । तर्षण-संज्ञा, पु० (सं०) प्यास, तृषा, अभितर्खा-संज्ञा, पु० (दे०) तीचण, प्रखर, लाषा, इच्छा। शीघ्रवाहिनी धारा ।
तर्षित- वि० (सं०) प्यासा, तृषित । तर्ज-संज्ञा, पु० (अ०) रीति, विधि, ढङ्ग, तर्स-संज्ञा, स्त्री० (दे०) कृपा, दया। स० बनावट, तरीका।
कि० (दे०) तर्सना । मुहा०-तसं खाना तर्जन-संज्ञा, पु० दे० (सं० तर्जन ) डाँट- (आना )-कृपा या दया करना । फटकार, डाँट-डपट, डराना, धमकाना, डपट, | तर्साना-स. क्रि० (दे०) लुभाना, ललक्रोध, चमकना। यौ०-तर्जन-गर्जन- चाना, दुखी करना। क्रोध प्रगट करना, बादल गरजना, बिजली तसी-अव्य० दे० (हि. ) वर्तमान दिन से चमकना । ( वि० ) तर्जित।
२ दिन पहले या पीछे का दिन, अतसी तर्जना- अ. क्रि० दे० ( तर्जन ) फटकारना, (दे०), परसों ( ग्रा.)।
डपटना, डाँटना, क्रोधित होना। तल-संज्ञा, पु० (सं०) नीचे का भाग या तर्जनी-संज्ञा, स्त्री० (सं० तर्जनी ) अँगूठे __ खंड, पानी के नीचे की ज़मीन, सतह, के पास की अँगुली। “जो तर्जनी देखि ___ एक पाताल, किसी वस्तु की ऊपरी सतह । मरि जाही"-रामा ।
तलका-भव्य० दे० (हि० तक) तक, तर्जित-वि० (सं०) भसित, ताड़ित, डाँटा. पयंत, तलुक, तालुक (ग्रा०)। फटकारा गया।
| तल-कर--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) धरातल का तर्जुमा-संज्ञा, पु० (अ०) उल्था, अनुवाद । | लगान या महसूल । तर्णक-संज्ञा, पु० (सं०) नया बछवा । तलघरा-- संज्ञा, पु० यौ० दे० (हि०) ज़मोन तर्तराता-वि० (दे०) चिकना, स्निग्ध । के नीचे की कोठरी। तर्तराना-स० क्रि० (दे०) चंचलता या तलछट--- संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० (हि. तल+
चपलता करना, सन्नाटा भरना, गलफटाकी घटना ) पानी आदि द्रव पदार्थों के नीचे करना, तड़तड़ाना।
बैठी हुई मिट्टी आदि। ततराहट-संज्ञा, स्त्री० (दे०) सन्नाटा, गीदड़ तलना-स० कि० दे० (सं० तरण = तिराना)
भभकी, गालफटाकी, श्लाघा, तड़तड़ी। घी, तेल आदि में कुछ पकाना । तर्पण-तरपन-संज्ञा, पु० दे० (सं०) पितरों | तलप --संज्ञा, पु० दे० (सं० तल्प०) पलँग, को पानी देना। तर्पन (दे०)। " नरपन | चारपाई। जात तो मैं तरपन कीन्हे तै" द्वि० । | तलपट--वि० (दे०) खराब, नष्ट, चौपट । (वि०) तर्पणीय।
यौ० (सं० तलपट ) अंतर्पट ।
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