SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 831
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तरीका ८२० तर्कश तर जाने वाली, तर या पार हो गयी, मुक्त तरेरना-स० कि० दे० (सं० तर्ज+हेरना हो गयी। " गौतम-नारि तरी तुलसी"। हि) क्रोध से देखना, आँख गुरेरना, आँख तरीका-संज्ञा, पु. ( अ०) रीति, व्यवहार, के इशारे से रोकना। " कहत दसानन विधि, ढङ्ग, उपाय । यौ०–तौर-तरीका।। नयन तरेरी।" " सुनि लछमन बिहँसे तरु-संज्ञा, पु. (सं०) पेड़, वृक्ष । " तरु- बहुरि, नयन तरेरे राम"-राम । पल्लव में रहा लुकाई -रामा० ! तरैया-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तारा ) तारा । तरुण-तरुन-वि० (सं०) जवान, नया, युवा। “कहा वापुरो भानु है तपै तरैयन खोय" ( स्त्री. तरुणी, तरुनी )। " तिमिर -रही । संज्ञा, पु० दे० (हि. तारना) तरुण तरणिहिं सक गिलई "--रामा० । तारने या पार लगाने या मुक्ति देने वाला। तरुगाता, तरुनता-संज्ञा, स्त्री. (सं०) | तरोई-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तूर ) एक बेल जवानी, युवावस्था। का फल जिसकी तरकारी बनती है, तुरई। तरुणाई, तरुनाई, तरुनई -संज्ञा, स्त्री. तरोघर-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० तरुवर ) दे० (सं० तरुण ---आई-प्रत्य०) जवानी, जवानी पेड़, वृत्त । की उम्र, युवावस्था, यौवन । तरौंछी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) जुलाहे के हत्थे तरुणाना, तरुनाना-अ० कि० दे० (सं० के नीचे की लकड़ी। तरुण + आना-प्रत्य० ) जवान होना, जवानी तरौंटा-संज्ञा, पु. (दे०) चक्की के नीचे पर धाना। वाला पत्थर । तरुणापन, तरुनपन-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तरौंस-संज्ञा, पु० दे० (हि० तर+औंस तरुण+पन-प्रत्य०) जवानी, युवावस्था ।। | प्रत्य० ) किनारा, तट, तीर। "असुवनि तरुणी-तरुनी-संज्ञा, स्त्री. (सं०) युवती, करति तरौंस तिय. खिनक खरौंहो नीर" जवान स्त्री। "तरुण भये तरुणी मन मोहै "-स्फु० । ब० ५० संज्ञा, पु० तरुनि तरौना-संज्ञा, पु. (हि. ताड़+बनना) (सं० तरु) वृत्तों। कर्णफूल, ढार, तरकी। " लसत स्वेत सारी तरुनई-तरुनाईछ - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तरुण दियो, तरल तरौना कान"-वि० । +पाई-प्रत्य०) जवानी, युवावस्था। तर्क-संज्ञा, पु. (सं०) अज्ञात विषय के तरुनापन-तरुनापाच-संज्ञा, पु० दे० (सं० यथार्थ ज्ञानार्थ ठीक ठीक किये गये प्रश्न, तरुण ) जवानी, युवावस्था । दलील, व्यंग, ताना मारना । संज्ञा, पु. तरुबाही-संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० (सं० तरु (अ.) छोड़ना, त्यागना, तजना। +बांह हि०) पेड़ की डाली। तर्कक-संज्ञा, पु० (सं०) मँगता, याचक, तरेंदा-संज्ञा, पु० दे० (सं० तरंड) जल में तर्क करने वाला, तार्किक, तर्की (दे०)। उतराता हुआ काठ, बेड़ा। तर्कन-तर्कण--संज्ञा, पु० (सं०) तर्क करना। तरी-क्रि० वि० दे० (सं० तल) तले, निम्न, स्त्री० तर्कना-तर्कणा-तर्क-शक्ति । नीचे । सा० भू० ब० व० (हि. तरना ) तर तर्कना-अ० कि० दे० (सं० तर्क) तर्क या मुक्त हो गये। करना, सोचना विचारना। तरेटी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. तर = नीचे ) तर्क-वितर्क-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वाद तलहटी, तराई, घाटी, नीची जमीन। विवाद. सोच-विचार। तरेड़ा-संज्ञा, पु० (दे०) गडवा आदि की तर्कश-संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) भाषा, तूणीर, टोंटी, तरेरा (दे०)। बाण रखने का चोंगा। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy