________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
तरहारि ६१३
तरी तरहारि-क्रि० वि० दे० (हि. तर+हारि) तराषट-संज्ञा, स्त्री० दे० (फा० तर+प्रावटनीचे, तले, निम्न । “पाँच चौक मध्यहिं प्रत्य०) भीगापन, आर्द्रता, शीतलता, रचे सात लोक तरहारि''.-राम।। शारीरिक उष्णता को शान्त करने वाला तरहुँड-वि० दे० (हि. तर+हुँड ) निम्न, खाने का पदार्थ । नीचे, तले । ' दीठि तरहुँडी हेर न मागे" | तराश-संज्ञा, स्त्री० ( फ़ा० ) छिलाई, काट
छाँट, ढङ्ग, बनावट । तरहेल-वि० दे० (हि. तर+ हेल ) हारा | तराशना-स० क्रि० (फ़ा०) छीलना, काटना, हुआ, प्राधीन । " पहुप-बास श्री पवन- कतरना, काट-छाँट करना, तरासना (दे०)।
अधारो कँवल मोर तर हेल"--प० । तरास-संज्ञा, पु० दे० (सं० वास) भय, तराइ-सज्ञा, स्त्री० दे० (हि. तर = नीचे+ त्रास, प्यास । भाई-प्रत्य०) पहाड़ या नदी की घाटी, तरासना-स. क्रि० दे० (सं० त्रास) डराना, पहाड़ के निचले भाग की सीड़ वाली गीली धमकाना। भूमि, तारा, नक्षत्र । " अनवट बिछिया तराहीं-क्रि० वि० ( हि० तर ) नीचे । नखत तराई "--प०।
तरि-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तरी) नाव, तराजू-सज्ञा, पु. (फ़ा०) काँटा, तुला, नौका । तखड़ी । तखरा (प्रान्ती०)।
तरिका-तरिकी-संज्ञा, पु० दे० (सं० ताडंक) तराटक- सज्ञा, पु० दे० (सं० त्रोटक) टोटका, तरकी. तरौना, तरौनी। संज्ञा, स्त्री० (सं० योग-मुद्रा । “ त्रिकुटी सँग भ्रूभंग तराटक तडित् ) बिजली। नैन नैन लगि लागो"---सू०।
तरिता-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तडिता) तरान-संज्ञा, पु० (दे०) उगाहन, वसूल बिजली, तडित् । किया गया।
तरियाना-स० कि० दे० (हि. तरे =नीचे) तराना-संज्ञा, पु० (फा० ) बचाना, उद्धार किसी वस्तु को तह में नीचे बैठाना. छिपाना। करना, एक प्रकार का गाना ।
अ० क्रि० (दे०) तह में या तले बैठ जाना, तराप*--संज्ञा, स्त्री० दे० ( अनु०) बंदूक नीचे जम जाना।
आदि के छूटने का तदाका शब्द । | तरिवन-संज्ञा, पु० दे० (हि. ताड़) तलवे, तरापा-संज्ञा, पु० दे० (अनु०) रोना पीटना, तरकी, तरौनी, करनफूल । " श्राभा तरिवन
हाहाकार, कुहराम, त्राहि त्राहि की पुकार। लाल की, परी कपालनि पान "-ललिः । तराबार-वि० दे० यौ० ( फ़ा० तर + पोरना- तरिवर--संज्ञा, पु. दे. (सं० तरुवर ) हि० ) भली भाँति भीगा हुश्रा, शगवोर। पेड़, वृक्ष । “तरिवर ते इक तिरिया तराभर- संज्ञा, स्त्री० (दे०) बंदूक के छूटने उतरी”—खुस । का तडातड़ शब्द। “दुहुँ दिसि तुपक तरिहता—क्रि० वि० दे० (हि. तर+हँततराभर माची"~~छन ।
प्रत्य०) नीचे, तले, तलहरी में। तरामीरा-संज्ञा, पु० (दे०) एक पौधा। | तरी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) नौका. नाव । संज्ञा, तरायला-वि० (दे०) चंचल, चपल, तेज़, स्त्री० (फ़ा० तर ) आर्द्रता, भीगापन, गीला तरल, तलहटी का। “आगे भागे तरुन पन. शीतलता, नीची भूमि जहाँ वर्षा का तरायल चलत चले"-भू०।
जल भरा रहता हो, नदी आदि का कछार, तरारा-संज्ञा, पु. (दे०) लगातार पानी की तराई (दे०)। संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० ताड़) धार, उछाल, कुलाँच, अति प्यास । करनफूल, तरौनी। सा० भू० स्त्री० (हि. तरना)
For Private and Personal Use Only