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तरफराना
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तरहर सहायक, पक्षपाती, सलाही। संज्ञा, स्त्री०- | तरघर-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० तरुवर ) तरफ़दारी।
बड़ा पेड़ । “समय पाय तरवर फरै"-वृं। तरफराना-अ० क्रि० दे० (हि. तड़फड़ाना) तरवरिया-तरवरिहा-संज्ञा, पु० (दे०) तड़पना तड़फड़ाना।
- तलवार चलाने या रखने वाला। तरबतर-वि० यौ० ( फा० ) गीला, भाई, तरवा-तलवा-संज्ञा, पु० दे० (हि० तलवा) भीगा । प्रादा (ग्रा०)।
पादतल, पदतल। तरबूज-संज्ञा, पु० दे० (फा. तर्बुज़) | तरधार-तरवारि--संज्ञा, स्रो० दे० (सं० कलींदा ( फल )।
तरवारि ) तलवार, खड्ग, कृपाण, असि । तरभर-संज्ञा, स्त्री० (दे०) तडातड़ का शब्द, | "तरवार वही तरवाके तरे लौं"-पाल। खलभली । "बजी बंदूक तर भर माची'- तरस-संज्ञा, पु० दे० (सं० त्रास) कृपा, छत्र।
दया, रहम । मुहा०—किसी पर तरस तरमीम-संज्ञा, स्त्री० ( अ०) दुरुस्ती, घट- खाना (आना )--कृपा या दया करना बढ़, संशोधन।
(पाना)। तरराना-स. क्रि० (दे०) ऐंठना, मरोड़ना। | तग्मना--अ० क्रि० दे० (सं० तर्वण ) किसी " मुछन सहित पखा तरराने"-छत्र।
वस्तु के पाने को व्याकुल या उत्कंठित तरल-वि० (सं०) चंचल, द्रव, चलायमान,
होना । " त्यौं रघुपति-पदपदुम परस को लोल, क्षणभंगुर, नाशवान । स्त्री० तरला।
तनु पातकी न तरस्यो"-वि० । स० " पातुर तरल तरंग एक पै इक इमि
क्रि० (दे०) तराशना, काटना। “पट-तंतुन श्रावति "- हरि०।
उंदुर ज्यौं तरसै"-राम। तरलता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) चंचलता, क्षण
तरसाना-स. क्रि० दे० (हि० तरसना) किसी भंगुरता, द्रवत्व । संज्ञा, पु०--तरलत्व।
को किसी वस्तु के लिये लालच में डालकर
व्यथित करना। तरलनयन - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) एक वर्णवृत्त, वह पुरुष जिसकी आँखें चंचल हों।
तरह-संज्ञा, स्त्री० (अ.) समान, भाँति,
प्रकार, ढाँचा, बनावट, रीति, उपाय । तरला-संज्ञा, स्त्री० (सं० तरल ) जवागू,
महा०-तरह देना-ग़म खाना, टाल मधुमक्खी । वि० स्त्री०-चंचल ।
देना विचार न करना । हाल, दशा । 'इन तरलाई-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तरल + आई
तेरह सों तरह दिये बनि पावै साँई "प्रत्य०) चपलता, लोलता, चंचलता, |
गिर० । द्रवत्व।
तरहटी-तलहटी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. तर) तरलायित-वि० (सं० तरल ) जिसमें
नदी या पहाड़ की तराई, नीची भूमि । तरलता उत्पन्न हुई हो, जाततारस्य । संज्ञा, " मनौ मेरु की तरहटी भयो सितासित पु. बड़ी लहर।
संग"-रस। तरलित-वि० (सं०) चंचलतायुक्त, आन्दो- तरहदार- वि० (फा०) सुन्दर, शौकीन, लित, द्रवीभूत ' तरलीभूत ।
अच्छे साज-सामान या रंग-ढंग का, भलातरलीकृत-वि० (सं०) चंचल किया हुमा।। मानुस । ( संज्ञा, तरहदारी)। तरव-संज्ञा, पु० दे० (सं० तरु ) तरु, पेड़ । | तरहरा--क्रि० वि० दे० (हि. तर + हर तरवन-संज्ञा, पु० दे० (हि. ताड़-+-धनना) | प्रत्य० ) निन्न, तले नीचे। " चरन कमल करनफूल, तरकी, तरौना, तरौनी। तरहर धरी"-रामा० ।
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