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तरगुलिया
८१७
तरफ़दार तरगुलिया -- संज्ञा, स्त्री० (दे०) अन्न आदि | तरतरा- संज्ञा, पु० (दे०) एक थाल ।
भरने का एक बहुत छिछला पात्र। तरतराना*-अ० क्रि० दे० (अनु०) तड़तड़ तरछाना* -- अ० क्रि० दे० (हिं. तिरछा , । का शब्द करना, तड़तड़ाना। तिरछी आँख, इशारा करना, कनखी, (ग्रा०)। तरतीब-संज्ञा, स्त्री. (अ.) सिलसिला, तरजना-अ० कि० दे० ( सं० तर्जन) चम
क्रम, व्यवस्था। कना, क्रोधित होना, डाँटना, फटकारना,
तरदीद-संज्ञा, स्त्री. (अ.) रद करना, झिड़कना, बिगड़ना, बकना । 'तब हनुमान
काट देना, मंसूखी, खंडन, प्रत्युत्तर । विटप गहि तरजा"- रामा० । कूदना,
तरदुदुद-संज्ञा, पु. ( अ०) फ़िक्र, चिन्ता, उछलना। "भिरे उभौ बाली प्रति तरजा"
प्रबन्ध, धापत्ति, वाधा। -रामा । “तरजि गई ती फेरि तरजन
तरन*-संज्ञा, पु० दे० (सं० तरण) पार लागीरी"-पद्मा० ।
होने या तरने वाला, मुक्त । तरजनी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तर्जनी)
तरनतार-संज्ञा, पु० दे० (सं० तरण ) मुक्ति, अँगूठे के समीप वाली अँगुली। "जो तर
निस्तार, मोक्ष । जनी देखि मरि जाही"-रामा०।
तरनतारन-संज्ञा, पु. यो० दे० (सं० तरण+ तरजमा--संज्ञा, पु० (अ०) उल्था, भाषांतर,
हि. तरना ) संसार-सागर से पार लगाने अनुवाद।
वाला ईश्वर, मोक्ष, निस्तार । तरण - संज्ञा, पु० (सं०) नदी आदि से तैर कर पार होना, मुक्त।
तरना-स० क्रि० ( सं० तरण ) नदी आदि तरणि-तरणी, तरनि-संज्ञा, पु० दे० (सं०)
को तैर कर पार करना, उतरना, मोक्ष या उद्धार, निर्वाह, सूर्य, निस्तार। संज्ञा, स्त्री०
मुक्त होना । स० क्रि० (दे०) तलना। गाव, नौका । “तिमिर तरुण तरणिहि तरनी-संज्ञा, स्त्री० पु. ( सं० तरणि, तरणी) सक गिलई "-रामा ।
नाव, सूर्य । “गौतम की घरनी ज्यों तरनी तरणिजा-संज्ञा, स्त्री. (सं०) यमुना जी, तरैगी मेरी।" छोटा मोढ़ा। सूर्य-पुत्री, रवितनया, एक वर्णवृत्त ।
तरपत-संज्ञा, पु० दे० ( सं० तृप्ति ) पाराम, तरणितनूजा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) सूर्य- सुभीता, डौल। तनया, भानुपुत्री, यमुना जी। तरणितजा. तरपनि–० क्रि० दे० (हि० तड़पना) तरनितनुजा । “ तरणि-तनूजा-तट तमाल | तड़पती है, तलफती है। " ताकि तकि तरुवर बहु छाये"--हरि० ।
तारापति तरपति ताती सी"-पद्मा० । तरणितनया-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) यमुना तरपन-संज्ञा, पु० दे० ( सं० तर्पण) पितरों नी, तरणिसुता, तरणि जा।
को जल-दान करना, पानी देना। तरणिसुत-संज्ञा, पु० (सं०) सूर्य का पुत्र, | तरपना-अ० क्रि० दे० (हि. तड़पना )
शनिश्चर, यम, कर्ण, तरणितनय। तड़पना, बेचैन होना, फड़ फड़ानातलफना तरणिसुता--संज्ञा, स्त्री. (सं०) यमुना, (दे०) चमकना ( बिजली)। सूर्य-पुत्री।
| तरपर-क्रि० वि० दे० (हि. ) ऊपर-नीचे, तरणी-तरनी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) नाव, एक के पीछे दूसरा, तर-ऊपर (दे०)। मौका, सूर्य । “गौतम की घरनी ज्यों तरनी तरफ़-संज्ञा, स्त्री. (अ.) दिशा, ओर, तरैगी मेरी" "ते सब तिहिं तरनि ते ताते" किनारे, पत। -तु.।
तरफ़दार-वि० दे० (म० तरफ़+दार फ़ा०) भा० श० को०-१०३
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