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तलफ़ ५२२
तली तलफ़-वि० (अ.) ख़राब, बरबाद, नष्ट । तलवार को म्यान से निकालना। तलवार तलफना-अ० कि० दे० (हि. तड़पना) सौंतना-मारने के लिये तलवार उठाना ।
तड़पना, छटपटाना, तिलमिलाना, चिल्लाना। तलहटी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तल-+ घट्ट) तलब- संज्ञा, स्त्री० (अ०) चाह, पाने की तराई, पहाड़ों के नीचे की जमीन, नीचे इच्छा, बुलावा, वेतन।
की सतह । तलबगार-वि० ( फ़ा० ) चाहने वाला। तला-सज्ञा, पु० दे० (सं० तल ) पेंदा, तलबाना-संज्ञा, पु० ( फा० ) गवाहों के | जूते के नीचे का चमड़ा, तल्ला (दे० )। बुलाने का ख़र्च ।
छोटा ताल । (क्रि०वि०हि०) भली-भाँति भूना। तलबो-सज्ञा, स्त्री० (अ.) बुलाहट, माँग, तलाई -- सज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० तल ) तलैया, हाज़िरी।
तलने का भाव । तलबेली-तलाबेली-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. तलाक-सज्ञा, पु. (अ.) स्त्री-पुरुष का तलफना ) उत्कंठा, बड़ी बेचैनी, छटपटी, परस्पर का त्याग । घबराहट, आतुरता। "तनपरी तलबेली तलातल-सज्ञा, पु० यौ० (सं०) पाताल महा लायो मैन सरु है"-सुख० । का एक खंड। तलमलाना-अ० वि० दे० ( स० तिमिर ) तलाब-तालाबा-संज्ञा, पु० दे० (सं० तल्ल)
आँखों का चौंधियाना, तिलमिलाना। ताला, ताल, तालाब, सरोवर, तडाग (सं.)। तलवकार-- सज्ञा, पु० (स.) एक उपनिषत् ।। तलाव (ग्रा०) । " सिमिटि सिमिटि जन तलवा-संज्ञा, पु० दे० (सं० तल ) पादतल, भरै तलावा"-रामा० । तरुया ( ग्रा० ) तलुवा (दे०) । मुहा०- तलाबेली-संज्ञा, स्त्री० (दे०) प्रबल उत्कंठा, तलवा खुजलाना-यात्रा का शकुन। बेचैनी। तलवे चाटना (सहलाना )-- बहुत तलामली-संज्ञा, स्त्री० (दे०) प्रबल उत्कंठा, खुशामद करना । तलवे छलनी होना बेचैनी । " तलामली परिजात चट, निरखत (घिस जाना)-बहुत चलना । तलवे | स्याम बिकासा"-लालत। धो धो कर पीना-बहुत सेवा करना। तलाश-सज्ञा, स्त्री० ( तु० , खोज, ज़रूरत, तलवों में आग लगना-बहुत क्रोध आवश्यकता, चाह । करना।
तलाशना -स० क्रि० द० (फा० तलाश) तलवार-तलवारि-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० खोजना, दिना। तरवारि ) कृपाण, असि, खड्ग, करवाल। तलाशी-सज्ञा, स्त्री० ( फ़ा० ) झारा लेना, तरवार-तलवार के बल ( जोर से)- खोज, छान-बीन । मुहा०-तलाशी लेना युद्ध करके। मुहा०-तलवार का खेत- - झारा लेना, खोजना, छान-बीन करना । युद्ध क्षेत्र । तलवार का घाट-तलवार तलित-वि० दे० (हि० तलना ) घी आदि में टेढ़ेपन के शुरू या प्रारम्भ होने की से खूब भूनी या तली हुई। जगह । तलवार के घाट ( उतरना) तलिन-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० तल ) पलंग, उतारना-काट कर मार डालना (मर | चारपाई। संज्ञा, पु० (दे०) विरल, दुर्बल, जाना)। तलवार का पानी --तलवार थोड़ा, साफ़ । की चमक, पैनापन । तलवारों की छाँह तली-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० तल ) पेंदी, में लड़ाई के मैदान में । तलवार सब से नीचे का भाग। तरी (दे०)। क्रि० खींचना-युद्ध या चोट करने के लिये वि० ( हि० तलना ) भूनी हुई। ..
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