SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 82
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अधुनातन अध्यवसायी अधुनातन-वि० (सं० ) वर्तमान काल, अधाभुनन-संज्ञा, पु० (सं० यौ० ) पाताल, या समय का, साम्प्रतिक, हाल का, । बलिराजा के रहने का स्थान । सनातन का उलटा। अधोमस्तक-संज्ञा, पु. (सं० यौ० ) अधूत-संज्ञा, पु० (सं० ) अकंपित, निर्भय, सूर्यवंशीय त्रिशंकु राजा, नीचे मुख किये निडर, ठीक, उचक्का। हुए, नीचा सिर। अधूग-वि० ( हि० अध--पूरा ) अपूर्ण, | अधोमार्ग-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) नीचे असमाप्त, श्राधा, जो पूरा न हो, स्त्री० | का रास्ता, सुरंग का मार्ग, गुदा । अधूरी। अधोमुख-वि० (सं०) नीचे मुँह किए अधेड़-वि० (हि. आधा+ एड-प्रत्य०) हुए, औंधा, उलटा, क्रि० वि० औंधा, मुंह ढलती जवानी वाला, बुढ़ापे और जवानी | के बल । के बीच की अवस्था वाला, अधबैसा। अधीलंघ-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) लंव, अधेन-संज्ञा, पु० (दे० ) (सं० अध्ययन ) । वह सीधी रेखा जो दूसरी सीधी रेखा पर पढ़ना । इस प्रकार पाकर गिरे कि उसके पार्श्ववर्ती अधेला- संज्ञा, पु० (हि. आधा+ एला- दोनों कोण बराबर और समकोण हों। प्रत्य० ) आधा पैसा, एक सिक्का “ सान करै । अधोषाय - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) अपान बड़ी साहिबी की पर दान में देत न एक ! वायु, गुदा की वायु, पाद, गोज़ । अधेला"। अधोरध (अधार्द्ध) क्रि० वि० यौ० अधेली-संज्ञा, स्त्री० (दे०) रुपये का (सं० अध+अद्ध ) ऊपर नीचे, अधऊरध आधा सिक्का, अठन्नी, धेली (दे०)। (दे० ब्र०)" जाकौ अधऊरध अधिक अधैर्य-संज्ञा, पु. ( सं० ) अधीरता, उता मुरझायो है" - रत्नाकर ऊ० श० ।। वली, आकुलता, अस्थिरता। अधैर्यवान-वि० (सं०) श्रातुर, व्यग्र, अध्यक्ष-संज्ञा, पु. ( सं० ) स्वामी, अधीर। मालिक, नायक, सरदार, मुखिया, अधिप्रधो -- अव्य०-(सं० प्रधः ) नीचे, तले, कारी, अधिष्ठाता, अध्यच्छ (दे०)। अध्यच्छ - संज्ञा, पु० (दे०) प्रभु, प्रधान, संज्ञा पु०-नरक। मालिक। अधोगत-वि० (सं० ) अवनत, पतित । अधोगति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) पतन, अध्यक्षता-संज्ञा, पु०(सं०) तत्वाधारकता, अवनति दुर्गति, दुर्दशा, अधःपतन। नायकत्व, देख-रेख, निगरानी में, प्रधानता। प्रधागमन-संज्ञा, पु० (सं० ) नीचे जाना, अध्ययन-संज्ञा, पु० (सं०) पठन-पाठन पतन। पढ़ाई, पढ़ना, अभ्यास। अधोगामी-वि० पु. (सं० अधोगमिन् ) अध्यक्षर-संज्ञा, पु० (सं० यौ०) प्रणव, नीचे जाने वाला, अवनति या पतन की ओंकार, भों। ओर जाने वाला, वि० स्त्री०-अधोगामिनी अध्यवसाय-- संज्ञा, पु० (सं०) लगातार -पतिता, कुमार्ग-गामिनी। उद्योग, सतत उद्यम, उपाय, यत्न, परिश्रम, अधोतर -संज्ञा, पु० (सं० अधः+उत्तर ) उत्साह, आस्था, निश्चय, दृढ़तापूर्वक किसी दोहरी बुनावट का एक देशी माटा कपड़ा। कार्य में लगा रहना, उत्तम काम करने की अधोधम-संज्ञा, पु० (सं० यो० अधः+ उत्कण्ठा कर्म दृढ़ता। अधम ) अति नीच, नीचातिनीच। अध्यवसायी--वि. (सं० अध्यवसायिन् ) For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy