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तटिनी ८०८
तड़ाड़ा तटिनी- सज्ञा, स्त्री. (सं०) नदो, सरिता। तड़पाना-स. क्रि० दे० (हि. तड़पना का
"तटिनी तट छोड़ि सुमतहि राम'- स्फुट ।। प्रे० रूप ) दूसरे को तड़पने में लगा देना, तटी-सज्ञा, स्त्री. ( हि० तट ) नदी, घाटी कष्ट दे कर व्याकुल करना, चमकाना । तराई. थुनि, हट, इच्छा । “ सब जोगी तड़पीला वि० दे० ( हि० तड़पना) प्रभाव जतीन की छूटी तटी" - राम०। शाली, फुर्तीला, चटपटिया। तड़-सज्ञा, पु० दे० (सं० तट ) श्राप का
तड़फ- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० तड़प ) तड़प, बाँट, पक्ष । सज्ञा, पु. (अनु०) किसी पदार्थ
व्याकुलता, घबराहट । को बड़े वेग से पटकने का शब्द, श्रामद की।
तड़फड़ाना-अ० कि० दे० ( हि० तड़फ ) शक्ल।
तडपना, व्याकुल होना, छटपटाना, तर. तड़क-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( हि० तड़कना )।
फराना, (ग्रा०)। चमकने, तड़कने या टूटने का भाव, तड़कने से चिन्हित हो जाना । यौ-तड़क- तड़ड़ाहट- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० तड़फना)
व्याकुलता. घबराहट, धड़क. तड़क । संज्ञा, भड़-चम-दमक, शान शौकत । तड़कना-अ० कि० दे० (अनु० तड़) फूटना
स्त्री० तड़फड़ी। या टूटना, चट स्ना, कड़ा शब्द करना, तड़ाना--अ० कि० दे० । हि० तड़पना) क्रोधित होना, बिगड़ना, झंझलाना, कूदना | तड़पना, छटपटाना, घबराना । फाँदना, उछलना चकना ( बिजली)। तड़काना-स० कि० दे० (हि. तड़पाना ) तड़का- संज्ञा, पु० (दे०) भोर, सबेरा। तड़पाना. व्याकुल करना। तड़के-संज्ञा, पु० (दे०) सबेरे, प्रातःकाल, तडबदी संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० ( हि० तड़. अ० क्रि० चमके, टूटें । छौंक, बधार, “ टूटे फा० बंदी ) स्वजाति या वंश का विभाजन । धनु छायो है तडाका सब्द लोकन मैं" तडा--संज्ञा, पु० (दे०) द्वीप, टापू. दोयाब ।
तड़ाक-संज्ञा, स्त्री० दे० ( अनु० तह से तड़काना-स० क्रि० दे० (हि० तड़कना )
बोलने का शब्द । क्रि० वि० (दे०) शीघ्र, किमी पदार्थ के तोड़ने में तड़ का शब्द ।
तुरन्त, तत्काल, चटपट, झटपट । यौ०उत्पन्न करना, तोड़ना, चटकाना, क्रोधित
तड़ाक-पड़ाक-तुरन्त, तत्काल, झटपट । करना।
तडाका-संज्ञा, पु० (अनु०) तड़ तड़ शब्द तड़का-क्रि० वि० दे० ( हि० तडाका ) तड़
होना । क्रि० वि० झटपट, चटपट । संज्ञा, पु. तड़ शब्द, तड़का, सबेरा । तड़तड़ाना-अ० क्रि० ( अनु० ) तड़तड़
(ग्रा० ) कड़ी प्यास, थप्पड़ । शब्द होना । स० कि० (दे०) तड़ तड़ शब्द
| तड़ाग-संज्ञा, पु० (सं.) सरोवर, ताल, करना, हुक्का पीना।
तालाब । 'बाग तड़ाग बिलोकि प्रभु"-- तड़प-सज्ञा, स्त्री० दे० (हि. तड़पना )
रामा०। तड़पने का भाव, चमक, भड़क । संज्ञा, पु० तडाघान-संज्ञा, पु० यौ० (हि० तड । सं० एक टाँगने की लैम्प ।
- आघात) ऊपर उठी हाथी की सँड़ की चोट । तड़पना-अ० क्रि० दे० (अनु०) छटपटाना, तडातड़-- क्रि० वि० दे० ( अनु० ) तड़तड़ क्रोधित होना तलमलाना, व्याकुल होना, शब्द-युक्त कर्म तड़ तड़ शब्द, लगातार । गरजना । " लगी तोप तडपन तेहि श्रौंसर ! तडाड़ा-संज्ञा, पु० (दे०) पानी की तीन धारा परयो निसानन घाऊ ".-- रघु० । __ तरेड़ा, तिरखा, कड़ी प्यास ।
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