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तगड़ा ८०७
तटाक तगडा-वि० दे० (हि तन+कड़ा ) हृष्ट- तच्छन, तच्छिन*-क्रि० वि० दे० (सं० पुष्ट, मोटा-ताजा, बलवान । (स्त्री० तगड़ी) तत्क्षण ) उसी समय, तत्काल, तत्क्षण, संज्ञा, स्त्री० (प्रान्ती.) करधनी।।
ताछन, ताच्छिन । (ग्रा० )। तगण-संज्ञा, पु० (स०) दो गुरु और एक तज-संज्ञा, पु० (सं० स्वच) उस पेड़ की लघु का एक वर्णिक गण, 51
बारीक छाल. जिसका पत्ता तेजपात, मोटी तगदमा-संज्ञा, पु. दे. ( अ० तखमोना) छाल दालचीनी, फूल जावित्री और फल तखमीना, अंदाज़, अनुमान ।
जायफल है। तगमा-संज्ञा, पु. ( तु० तमगा ) तमग़ा, तजकिरा - संज्ञा, पु. (अ.) बातचीत, चर्चा। तकमा (दे०), पदक।
तजन -संज्ञा, पु० दे० (सं० त्यजन) त्याग, तगर--संज्ञा, पु. (सं०) सुगंधित लकड़ी छोड़ना । संज्ञा, पु० दे० (सं० तजीन) चाबुक । वाला पेड़ ( औष०)। "लौंग औ उसीर तजना-स. क्रि० दे० (सं० त्यजन) छोड़ना, तज-पत्रज तगर सोंठ -कु० वि०। । त्यागना। " तजहु तो कहा बसाय "तगता-संज्ञा, पु० दे० (हि० तकला ) चरखे | रामा० । का तकुया।
तति-स० कि० पू० का० दे० (हि० तजना) तगा-संज्ञा, पु० दे० (हि. तागा) डोरा त्याग या छोड़ कर। धागा, तागा।
तजरबा-सज्ञा, पु० (अ०) अनुभव, ज्ञानार्थ तगाई-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. तागना)। परीक्षा। तागा डालने या तागने का भाव, काम
तजरबाकार- संज्ञा, पु. (अ. तजरबा- या मज़दूरी।
कार फा० ) परीक्षक, अनुभवी। तगादा -सज्ञा, पु० दे० (अ० तकाज़ा ) तजवीज़- सज्ञा, स्त्री० ( अ०) निर्णय, राय, माँग, तकाज़ा।
सम्मति, प्रबंध। तगाना- स० कि० दे० (हि. तागना ) दूर
तज्ञ वि० (सं०) ज्ञानी, समझदार, तत्वज्ञ । दूर पर मोटी सिलाई कराना।
तज्यो-स० क्रि० दे० ७. (हि० तजना) तगार-तगाग-संज्ञा, स्त्री० (दे०) चूना गारा
त्यागा, छोड़ा, "तज्यो पिता प्रह्लाद"-वि०। के बनाने का स्थान, या ढोने का तसला, तटक-संज्ञा: पु० दे० (सं० ताटक ) ढार, अोखली, गाढ़ने का गड्डा ।
। (ग्रा०) करनफूल, तरकी, तरौना (प्रान्ती, तगीर -संज्ञा, पु० दे० (अ० तगय्युर ) एक मात्रिक छंद । परिवर्तन, बदल या उलट फेर हो जाना। तट- संज्ञा, पु० (सं०) किनारा, कूल, तीर । तगीरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. तगीर ) क्रि० वि० (दे०) पास, निकट, समीप । उलट-फेर, हेर फेर, परिवर्तन ।
तटका-वि० दे० (सं० तत्काल ) हाली, तवना-अ० कि० दे० (सं० तपन ) गर्म ताज़ा, तत्काल या तुरंत का, नया, कोरा। तप्त या संतप्त होना, कष्ट सहना, प्रताप तटनी-संज्ञा, स्त्री. (सं० तटिनी) किनारे । दिखाना, जलना, तप या तपस्या करना, वाली नदी । “प्रगटी तटनी जो हरै अघकुकर्मों में व्यर्थ व्यय करना, कुपित होना। गाढ़े"-कवि० । "ज्यौं तचि तचि मध्यान्ह लौं".... वृं०। तटस्थ-वि० (सं.) अलग रहने वाला, पक्ष. तचा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० त्वचा) पात-रहित, उदासीन, मध्यस्थ । चमड़ा।
तटाक-संज्ञा, पु. (सं० तडाग ) तालाब, तचाना–स० क्रि० दे० (हि० तपाना) तपाना।। सरोवर, तड़ाग ।
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