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तकल्लुफ़
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तकल्लुफ – संज्ञा, पु० ( ० ) सिर्फ दिखाने के लिये दुख सह कर कोई काम करना, शिष्टाचार |
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तखान
तत - संज्ञा, पु० (सं०) भरत-पुत्र, रामचन्द्र के भतीजे |
तकवाहा - संज्ञा, पु० दे० ( हि० ताकना ) ताकने वाला, रक्षक, चौकीदार | संज्ञा, खो० तवाही, तिकवाही, पहरा ।
तक्षक संज्ञा, पु० (सं०) आठ नागों में एक, जिसने राजा परीक्षित को काटा था, एक ना जाति, साँप, नाग, बढ़ई, विश्वकर्मा, एक नीच जाति, सूत्रधार ।
बाँटना, भाग देना, ( ग्रा० ) ।
तकाई - संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० ताकना + ई प्रत्य० ) ताकने की क्रिया का भाव, रक्षा | वि० तकैय्या (दे० ) | ताज़ा - संज्ञा, पु० (
तकसीम - संज्ञा, स्त्री० ( अ० ) बटाई, तक्षशिला - संज्ञा, स्रो० (सं०) एक प्राचीन नगर जो भरत जी के पुत्र तक्ष की राजधानी थी, अब भूमि खोद कर निकाला गया है । परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने यहीं पर सर्पयज्ञ किया था ।
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० ) ऋणी से अपना न माँगना, किसी से अपनी वस्तु माँगना, तगादा (दे० ) | किसी से उसके स्वीकृत काम के करने को फिर कहना, उत्तेजना, प्रेरणा | " अन्तर्यामी स्वामी तुमतें कहा तकाजा कीजै - स्फुट । तकाना - स० क्रि० दे० ( हि० ताकना का प्रे० रूप ) किसी को ताकने के काम में लगाना, दिखाना, रक्षा कराना । तकात्री - संज्ञा, खो० ( ० ) किशनों की सहायता के लिये सरकार द्वारा उधार दिया गया रुपया | तकिया --संज्ञा, पु० ( फा० ) उसीसा, मसनद गिडुश्रा, विश्राम स्थान, श्राश्रय, सहारा, फ़कीरों की कुटी । " तकिया कीनखाब की लागि ". • श्राल्हा० ।
तकिया कलाम - संज्ञा, पु० यौ० ( ० ) सखुनत किया. वह व्यर्थ शब्द जो प्रायः बात करने में बीच बीच में बोले जाते हैं । तकुत्र्या तकुवा - संज्ञा, पु० दे० (हि० तकला) चरखे के अग्र भाग में लगाई गई लोहे की पतली नोकीली सलाई, जिसके द्वारा सूत कतता और लिपटता जाता है । तकला, टेकुमा (दे० ) ।
तक्र - संज्ञा, पु० (सं०) मठ्ठा, छाँछ तथा नराणां भुवि तक माहुः " 'तक्रं नरोचतेऽस्माकं दुग्धंच मधुरायते " -
- स्फुट ।
तखफ़ीफ़- संज्ञा, स्त्री० (०) कमी. संक्षेप | तख़मीनन्- क्रि० वि० ( ० ) अंदाज या अनुमान से ।
तखमीना - संज्ञा, पु० ( ० ) अनुमान,
टकल थंदाज ।
तख़्त तखत - संज्ञा, पु० दे० (फा० ) सिंहासन, राजगद्दी चौकी । यौ० - तख्त ताऊसशाहजहाँ बादशाह का राज सिंहासन । तख्तनशीन - वि० यौ० ( फा० ) राजगद्दी - प्राप्त. राज-सिंहासन पर बैठा हुआ । तख्तपोश - संज्ञा, पु० यौ० ( फ़ा० ) तख़्त पर का बिछौना |
तख्तबंदी - संज्ञा, खो० यौ० ( फ़ा० ) तख़्तों से बनी हुई, जैसे दीवाल | तख्ता-संज्ञा, पु० ( फा० ) बड़ा पटरा, पल्ला | मुहा०— तख्ता उलटना - बनेबनाये काम को बिगाड़ देना । तख्ता हो जाना-कड़ जाना । लकड़ी की बड़ी चौकी, अस्थी, टिखटी, कागज का ताव, बाग़ की कियारी तखता (दे० ) | तख्ती - संज्ञा, स्त्री० दे० ( फ़ा० तख़्त ) छोटा तख़्ता, विद्यार्थियों के लिखने की काठ की पट्टी पाटी (दे० ) । तखड़ी-खरी - संज्ञा, स्त्री० (दे० ) पलड़ा, पला, तराजू ।
तखान - संज्ञा, पु० (दे०) बढ़ई, लकड़ी काटने वाला, तक्षक |
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