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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जोधा ७४३ जोवत जोधा*--संज्ञा, पु० दे० ( स० योद्धा) के लिये जोर देना-हठ या श्राग्रह लड़ने वाला, शूरवीर । " चला इन्द्रजित करना । जोर मारना या लगाना-बहुत अतुलित जोधा"- रामा० । कोशिश करना । यौर-जोर-जुल्मजोनि-जोनी- संज्ञा, स्त्री० दे० ( स० योनि) अन्याय, अत्याचार । मुहा०-जारों पर भग, उत्पत्ति-स्थान " वालमीकि नारद घट- ! होना-बड़ी बाढ़, वेग या ताकत पर जोनी"-रामा। होना । मुहा-जोरों पर-भरोसे, जोन्ह जोन्ह ई --- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सहारे । मुहा०—किसी के जार पर ज्योत्स्ना ) चन्द्रमा का प्रकाश, चाँदनी। कृदना ( भूतना) सहायक को बली जान जुन्हाई, जोन्हैया । " ऐपी गयी मिलि । कर अपना बल दिखाना। जोन्ह को जोति में रूप की राशि न जाति | जोरदार-वि० (फ़ा०) शक्तिशाली, वलिष्ठ, बखानी"। बली, प्रभावशालो। जापै*----अव्य० यौ० (हि. जो+ पर-- जोरनास० कि० दे० (सं० योग) जोड़ना, प्रत्य०) अर्गाच, यद्यपि, कदाचित, जुपै __इकट्ठा करना। (ब)।' जोपै सीय-राम वन जाहीं।" ! जार-शोर-संक्षा, पु. ( फा० ) बहुत शक्ति, -रामा। अधिक बल। जोफ-संज्ञा, पु. ( अ०) कमजोरी, निर्व- | जाग-जारी*--संज्ञा, स्त्रो० (फा० ) बल लता, बुढ़ाई। पूर्वक, ज़बरदस्ती । क्रि० वि० ज़बरदस्ती से । जोराघर-वि० (फा० ) शक्तिमान, बली, जोवन-- संज्ञा, पु० दे० ( स० यौवन ) जवानी, ' ताकतवर । ( संज्ञा, जारावरी)। युवावस्था कुच, उरोज, सुन्दरता । " सूर - जा। * संज्ञा, स्त्री० (हि. जोड़ी) जोड़ा, श्याम लरिकाई भूली जोबन भये मुरारी" : जोड़ी। “जोरि जोरि जोरी चरें विवश जोबना जीवनया--संज्ञा, पु० दे० (सं० करावे सुधि" - शिव।। यौवन ) कुच, उरोज, जवानी। जोरू-सज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० जोड़ी ) जोड़, जोम-संज्ञा, पु. ( अ.) घमंड, अभिमान, . स्त्री, पत्नी. जास्वा । दे०)। जोश, उमंग, उत्साह । जाल-संज्ञा, पु० (दे०) समूह, झंड । यौ०-- जाय*- संज्ञा, स्त्री० दे० (स० जाया ) मेन-जल । “कहा करौं वारिजमुख ऊपर औरत, पत्नी, स्त्री । सर्व. पु. ( दे०) जो, विथके षटपद जोल"-सूर० । जिस । स० कि० देखो। “नन्द जोय धनि जोला-सज्ञा, पु. (दे०) कपट, धोखा, भाग निहारे "-सू० । रही पंथ नित जोय ।। ठगी। संज्ञा, स्त्री० ( सं० ज्वाला ) आग की जायना-स० कि० दे० ( हि० जोड़ना ) लपट, जुबाला। जलाना । " दीपक है जायना सो छायो जोलाहल*--- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं. अंधकार है -स्फू०। , ज्वाला ) आग की लपट या ज्वाला। जोयसी*- संज्ञा, पु० दे० ( सं० ज्योतिषी ) जोलाहा- संज्ञा, पु. ( हि० जुलाहा ) जुलाहा ज्योतिषी। । जोलहा, जुलहा, मुसलमान कोरी। “पकरि जार -- संज्ञा, पु. ( फा० ) ताक़त, बल, जोलाहा कीन्हा"--.बी०। पराक्रम । मुह ०-किसी बात पर जोर जोलो -- सज्ञा. स्त्री० दे० (हि. जोड़ी) देना-किसी बात को बहुत जरूरी और बराबर के तुज्य जैसे, हमजोली। बढ़ा कर दृढ़ता से कहना ।।कसी बात जावत-स० क्रि० दे० (हि. जोवना ) देखते For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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