________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
TATO
जोवना, जोहना
७४४
ज्ञातयौवना या खोजते हुए। "राधामुख चन्द्र ताहि ! जोंग-अव्य० दे० (सं० यदि ) जो । क्रि० जोवत कन्हाई हैं - स्फु० ।
वि० हिं० ज्यों ) जैसा, जैसे।। जीवना, जाहना-स० क्रि० दे० ( सं० जोकना-स० कि. (दे०) डाँटना, फटकारना जुषण = सेवन ) देखना, खोजना, राह देखना, डौंकना (ग्रा०)। परखना।
जोरा-भौंरा- संज्ञा, पु० (दे०) बालकों को जोश---संज्ञा, पु. ( फा० ) उबाल, उफान जोटा, दो लड़के । श्रावेश, उत्साह, उमंग । मुहा०-जोश जौ--सज्ञा, पु० दे० (सं० जव ) जव, जवा में आना-श्रावेश में आना । अंश अव्य० (७०) यदि । क्रि० वि० (दे०) खाना-उफनाना । जोश देश-पानी जव । “जौलगि श्रावहुँ सीतहिं देखी" में पकाना। मुहा०--ग्वन का जाश-- जातीय प्रेम ।
जौख-संज्ञा, पु० दे० ( तु० जूक ) समूह । जोशन--- संज्ञा, पु० ( फ़ा०) भुजा का एक जौजा-संज्ञा, स्त्री० ( अ० जोनः ) स्त्री, गहना कवच ।
औरत, जोड़ , जोरू। जाशांदा-संज्ञा, पु. ( फा० ) काढा, काथ। जातुक -- संज्ञा, पु० दे० (सं० यौतुक ) दायज, जाशोला-- वि० (फ़ा० जोरा+ईला प्रत्य०) दहेज, ब्याह में वर के लिये दिया गया धन।
जोश से भरा : स्त्री० जाशाली। जौन - सर्व० दे० ( सं० यः ) जो, जवन जोष-- संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० योषा ) औरत, ज उन (ग्रा०)। संज्ञा, पु० दे० (सं० यमन) स्त्री० । सज्ञा, स्त्री० दे० (हि. जेखना ) मुसलमान । तौलना।
जौ ---अव्य. ब्र० ( हिं० जौ---पै) यदि, जाषित-जाषिता--- संज्ञा, स्त्री. (सं०) औरत, जो जुपै (व.)। "जोपै सीयराम वन जाही' स्त्री। " उमा दारू जाषित् की नाई" - रामा० । -रामा०।
जौहर-संज्ञा, पु० ( ० ) (फा० गौहर ) जोषी संज्ञा, पु० दे० (सं० ज्योतिषी ) रत्न, तलवार आदि की काट, हुनर, गुण, दैवज्ञ, ज्योतिषी, गणितज्ञ ।।
कट मरना ( राजपूत०)।
जौहरो - संज्ञा, पु. ( फ़ा० ) रन बेचने या जोह, जाहनि --- सज्ञा, स्त्री० दे० (हिं.
परखने वाला। जोहना ) तलाश, प्रतीज्ञा, खोज देखना ।
श-संज्ञा, पु० (सं०) एक संयुक्ताक्षर, ( ज+ " सूने भवन पैठि सुत तोरो, दधिमाखन |
ज) ज्ञान, बोध, समझ, ज्ञानी, जैसेतहँ जोह"-सूर० । “ मोहन को मुख |
नीतिज्ञ, गुणज्ञ । सोहन जोहन जोग " -वा० ।
शप्त वि० (सं.) जाना या समझा हुआ, जाहा-स० क्रि० दे० (सं० जुषण = सेवन )
ज्ञापित। देखना. खोजना, प्रतीक्षा करना। पू० का.
ज्ञप्ति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) समझदारी, बुद्धि । कि० (७०) जाहि, जाही। "बार २ मृहु
ज्ञात ---वि० (सं०) जाना समझा, विदित, मूरति जोही''-- रामा।
प्रगट। जाहार--संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० जुषण = ज्ञातयौवना----संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) अपनी सेवन ) बंदग', सलाम ।
युवावस्था को जानने वाली एक नायिका, जाहारना-अ० क्रि० दे० (जुषण सं० = | ( नायका-भेद ) । ( विलो०-अशात सेवन ) बंदगी या सलाम करना ।
यौबना )।
For Private and Personal Use Only