________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जैमिनि
७४१
जोगिन-जोगिनि-जोगिनी जैमिनि-संज्ञा, पु. (सं०) एक ऋषि । जोइ, जाई* ---संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० जाया) जैयट-संज्ञा, पु. (सं०) महाभाग्य के टीका- स्त्री पत्नी, जोय. जोरू । सर्व० (दे०) जो । कार, कैयट के पिता
पू० का क्रि० (दे०) देख कर, जोही। जैयद-वि० दे० (अ० जद्द == दादा ) बहुत जोइसी-जोसी --- संज्ञा, पु० दे० (सं० ज्योबड़ा भारी।
तिषी) ज्योतिष का जानने वाला। वात्रिक .... संज्ञा, पु. (सं०) चंद्रमा, कपूर, जाउ--- सर्व० व० दे० जो. जेऊ, जौन, जोऊ । दीर्घ जीवी।
जोत्र--संज्ञा. स्त्री० (दे०) तौल. वज़न ! जैलदार - संज्ञा, पु. (अ. जल-+ फा० दार) जोखना--स० क्रि० दे० (सं० जुष -- जाँचना) जिलादार, कई गावों का प्रबंध करने वाला जाँचना, तौलना, परखना । अफसर।
जोखा-~संज्ञा, पु० दे० (दी. जोखना) तौला, जैसा-वि० दे० (सं० यादृश ) जिप तरह लेखा, हिसाब या प्रकार का, जिप भाँति का । जैसो जोखिम-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. झोंका) (७०)। ( स्त्री० जैसी ) महा.--जैसे भारी हानि की शंका, विपति पाने का भय । का तैसा-वैपा ही, उसी प्रकार का, उसी जाखों (दे०)। महा-जोखिम उठाना के तुल्य । जैसा चाहिये जैसा-ठीक ठीक।। या सहना काम जिपसे हानि का भय जैसे-कि० वि० (हि. जैसा ) जिस भाँति हो, हानि उठाना । जाखिम में डालना-- से । 'राजत राम अतुल बल जै" - रामा०। हानि में डालना । जान जोखिम होनामुहा०-जैसे तैसे --किसी भाँति, बड़ी मरने का डर होना। कठिनता से । “जैसे तैसे फिरेउ निषादू ।" जागंधर ---पंक्षा, पु० दे० (सं० योगंधर ) जैहे- ह] अ. क्रि० दे० ( हि. जाना) वैरी की चोट से बचने की युक्ति। जायेंगे, जैहों, जाइहैं । " जैहहुँ अवध कवन जोग संज्ञा, मुं० दे० ( स० याग) मन की मुँह लाई "-रामा० ।
वृत्तियों का रोकना जोड़ना, मिलाना । वि. जों -क्रि० वि० दे० (हि. ज्यों ) जैसे, दे० ( सं० योग्य ) लायक, उपयुक्त ।। जिप भांति, ज्यौ।
जोगडा--- संज्ञः, पु० दे० ( हि. जोग+ड़ाजेई-सर्व० (दे०) जो, जो कोई । स० कि० प्रत्य०) पाखडी. ढोंगी, योगी। (दे०) देखीं, जोही।
जोगवना ( जुगवना )-स. क्रि० दे० जोंक- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० जलौका) पानी (सं० योग + श्रवना--प्रत्य० ) बचाये का एक कीड़ा जो रक्त चूसता है। "पियै रखना यन्त्र या श्रादर से रखना । " अमिय रुधिर पय ना पियै, लगी पयोधर जोंक "। मूरि सम जोगवति रहहूँ"-रामा० । जोधरी -- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० जूर्ण) जुनार, जापानल-संज्ञा, स्त्री० दे० यो० (सं० योगा
नल ) योग से उत्पन्न भाग। जोंधैया-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० ज्योत्स्ना ) जोगाभ्यास-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० योगाचंद्रमा, चंद्र का प्रकाश, चाँदनी। भ्यास) योग की क्रियाओं का साधन करना। जो-सर्व० दे० (सं० यः ) सम्बन्धवाची जोगासन -- संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० योगासर्वनाम, ( विलो. सो)। अव्यः (दे०) सन ) योग की बैठक । अगर, यदि, जोपै, जुपै।
जोगिंद -ज्ञा, पु० दे० यौ० ( सं० जोना-स० कि० दे० (हि. जोवना) योगीन्द्र) बड़ा भारी योगीराज, शिवजी। देखना, राह देखना, परखना, जोहना (दे०)। जोगिन-जागिनि-जोगिनी-संज्ञा, स्त्री० दे०
ज्वार
For Private and Personal Use Only