________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जेता-जेतो
७४०
जैमाल जैमाला जेता-जेतो-संज्ञा, पु० (सं० जेतृ ) जीतने भूषण । यौ॰—ज़ेघर रखना-गहना रख वाला, विजय करने वाला, विष्णु भगवान ।। ऋण लेना। *वि० (७०) जितना । वि. स्त्री. (दे०) जेवरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० जोवा) रखरी, जेती, जित्ती । वि० दे० (७०) जितने,जेते । रस्सी, "होति अँधेरे मों परी, यथा जेवरो वि. जितना, जित्तो, जित्ता प्रान्ती०)। सर्प -वृन्द० । जेतिक-क्रि० वि० दे० (सं० यः) जितना। जेह--संज्ञा, स्त्री० दे० (फ़ा० जिह = चिल्ला)
"जेतिक उपाय हम कीन्हें रिपु जीतबे को। कमान का चिल्ला । जेनो*-क्रि० वि० दे० (सं० यः ) जित्ता, जेहन-संज्ञा, पु. (अ.) ज्ञान, समझ, जित्तो (दे०) जितना, जितो व्र०) । धारणा शक्ति ।
"जेतो गुन दोष सो बताये देत तेतो सबै"। जेहर-जेहरि-जेहरी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) जेब--संज्ञा, पु. ( फा०) खीसा, खलीथा। पाज़ेब, जेवर । " जानें जगमगी जाकी जेबकट-संज्ञा, पु० यौ० दे० (फा० जेब+ जेहरी जराय जरी" - दीन । काटना हि० ) जेब का काटने वाला, चोर । जेहन-संज्ञा, पु० दे० ( अ० जेल ) बंदीगृह जेबखर्च-संज्ञा, पु० यौ० (फा०) निजी खर्च। कैद खाना, जेहल खाना (दे०) । जेबघड़ी-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( फा० जेब+ जेहिजेही*- सर्व० दे० (सं० यस ) जिसको,
घड़ी हि० ) जेब में रखने की छोटी घड़ी। जिसे, "जेहि सुमिरे सिधि होय".--रामा० जेबी-वि• (फा०) जेब में रखने की वस्तु ।। (विलो. तेहि, तेही)।। जेय-वि० (सं०) विजय के योग्य, जीतने जै- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० जय) जीत, फतह, योग्य । ( विलो०-अजेय )।
-- वि० दे० (सं० यावत् । जितने । 'जै जेर-संज्ञा, स्त्री० (दे०) बच्चादानी। वि० रघुवीर प्रताप समूहा''-- रामा० । ( फा० जेर ) हराना. परेशान, तंग, नीचे । जैता-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० जयति ) जैति यौ० जेरसाया (फा०) छत्र छाया, रक्षा में। (दे०) जीत. फतह । संज्ञा, पु० दे० (सं० ज़ेरपाई-संज्ञा, स्त्री. ( फा० ) औरतों के | जयंती ) एक पेड़।। पहनने के जूते।
जैतपत्र--संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० जयति जेरबार-वि० (फ़ा०) बोझ से दबा, दुखी, + पत्र ) विजय-पत्र । परेशान, हैरान, अपमानित ।
जैतवार* - संज्ञा, पु० दे० (हि. ) जीतने जेरबारी-संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) बोझ से दबना, वाला, विजेता, विजयी । दुखी, या परेशान होना।
जैतून-संज्ञा, पु० (अ.) एक पेड़ जिसके जेरी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) बच्चेदानी, छड़ी। पत्ते, फल, फूल औषधि के काम आते हैं। जेन-संज्ञा, पु० (अं०) बंदीगृह. कारागार, जैन, जैनी-संज्ञा, पु० (सं०) जैन मत तथा जेलखाना।
उसके अनुयायी। जेलखाना- संज्ञा, पु० यौ० ( अ० जेल+ जैनु -संज्ञा, पु० दे० (हि. जेंवना) खाना। फ़ा० खाना ) बंदीगृह ।
जैबो-अ. क्रि०७० (हि० जाना) जाना, जेवना-स० क्रि० दे० (सं० जेमन ) भोजन | जाइबो (व.)। "जैबो भलो नहि गोकुल करना, खाना खाना।
गाँव को"-कु० वि०। जेवनार - संज्ञा, पु० दे० (हि. जेवना) जैमाल-माला-संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० (सं० खाना खाने वालों का जमघट ।
जयमाल ) विजय या स्वयम्बर की माला । जेवर- संज्ञा, पु. (फ़ा०) प्राभरण, गहना, “पहिरावहु जैमाल सुहाई "-रामा० ।
For Private and Personal Use Only