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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - जुझाऊ ७३७ जुरमुरी जुझाऊ-वि० दे० (हि० जूझ+ पाऊ- जुड़वाना -स० क्रि० (हि.) ठंढा करना, प्रत्य० ) लड़ाई के काम का, संग्राम संबंधी। मिलवाना । जुड़ावना (दे०)। " कहेसि बजाव जुझाऊ बाजा'-रामा० । | जुड़ाई -संज्ञा, स्त्री० (दे०) जोड़ाई । जुझार, जुझारा - वि० (हि० जुझ+ जुड़ाना-अ. क्रि० (हि० ) ठंढा होना भार-प्रत्य० ) बहुत लड़ने वाला, शूरवीर । | या करना, शीतल या सुखी होना । "वीर सुरासुर जुरहिं जुझारा"-रामा । जुत*—वि० (दे०) युक्त। जुझावट --- संज्ञा, स्त्री० (दे०) लड़ाई, समर, जुतना-अ० क्रि० (हि.) गाड़ी, हल आदि लड़ाई के वास्ते बढ़ावा।। में बैल आदि का नधना, जुड़ना, किसी जुट-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० युक्त ) मिली काम में जुटना या लगना, खेत जोता जाना। हुई, दो चीजें, जुट्ट (दे०)। जुतवाना-स० क्रि० दे० (हि. जोतना) जुटना-अ० कि० दे० (सं० युक्त- ना- | जोतने का काम दूसरे से कराना, जुताना । प्रत्य०) मिलना, एक में जुड़ जाना, लग जुताई – संज्ञा, स्त्री० (दे०) जोताई। जाना, गुथना, इकट्ठा होना, काम में लग जुतियाना-- स० कि० (हि० जूता + इयाना --- जाना । (प्रे० रूप) जुटवाना। प्रत्य० ) जूते मारना या लगाना । जुटली-वि० दे० (सं० जूट ) जटा-जूट जुत्थ*-संज्ञा, पु० (दे०) यूथ । " जुत्थ वाला, जटाधारी। ___ जुत्थ मिलि सुमुखि सुनैनी"-रामा० । जुटाना-स० क्रि० ( हि० जुटना ) मिलाना, जुदा - वि० ( फा० ) अलग, भिन्न, प्रथक । लगाना, गुथाना, जुड़ाना, इकट्ठा कराना। जुदाई - संज्ञा, स्त्री. (फा०) अलग होने जुटया-वि० पु० (दे०) जुट जाने वाला। का भाव, वियोग, भिन्नता, विलगाव । जुट्टो-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० जुटना ) गड्डी, जुद्ध-संज्ञा, पु० (दे०) युद्ध । पूरा, मिली हुई। जुधिष्ठिर-संज्ञा, पु० दे० (सं० युधिष्ठिर ) जुठारना-स० क्रि० (द०) ( हि० जूठा ) एक राजा, पांडवों में सब से बड़े । जूठा करना। जुन्हरी—संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० यवनाल) जुठिहारा-संज्ञा, पु० ( हि० जूठा+हारा - ज्वार, जुनार, जोधरी (ग्रा०)। प्रत्य० ) जूठा खाने वाला, जुठेला । ( स्त्री० जुन्हाई संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० ज्योत्स्ना प्रा० जुठिहारी)। जोन्ह ) चन्द्रमा का प्रकाश, चाँदनी । जुठेला-- वि० (हि० + जूठा+ऐला-प्रत्य०) जुन्हैया, जोंधैया (ग्रा०)। जूठा खाने वाला। ' मूसा कहै बिलार सों सुन री जूठ जठेलि "-गिर० । (स्त्री० जुबराज-संज्ञा, पु० दे० (सं० युवराज) राज्याधिकारी राजकुमार | "सुदिन सुअवसर जुठली)। जुड़ना-अ० कि० दे० (हि० जुटना) मिलना, साइ जब, राम होहिं जुबराज-रामा० । इकठा होना । जुरना (ग्रा०) पटना। जुमला--वि० ( फ़ा० ) सब के सब, कुल । जुड़हा--संज्ञा, पु० (दे०) जुड़वाँ, दो संज्ञा, पु० (फ़ा०) पूर्ण वाक्य । ..." जुमला मिले हये। बताय कर लूटि लेत कमला''-बे० । जुड़पित्ती-संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० ( हि० जूड़ जुमा-संज्ञा, पु. (अ.) शुक्रवार, सुक्कर । +पित्त ) सितपिती। जुमिल--संज्ञा पु. (?) एक घोड़ा। जुड़वा-वि० ( हि० जुड़ना ) युग्मबच्चे, जुरअत-संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) हिम्मत, साहस। मिलित । | जुरझुरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वर-+-हि. भा० श. को०-१३ For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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