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जीवाधार
जुझवाना जीवाधार-संज्ञा, पु० (सं०) प्राणों का जकाम-संज्ञा, पु. (फ़ा० एकरोग, श्लेष्मा । सहारा-हृदय ।
महा०--मेढ़की का जुकाम होनाजीवानुज-संज्ञा, पु. यौ० (सं० जीव - | किसी छोटे श्रादमी का कोई बड़ा काम बृहस्पति + अनुज = भाई ) वृहस्पति के छोटे | करना, “मेंडकी राजु काम पैदा शुदं"। भाई, गर्ग मुनि ।
जुग-संज्ञा, पु० दे० (सं० युग ) जोड़, दो, जीवान्तक--संज्ञा, पु० यौ० (सं० जीव = समय-विभाग, युग जो चार हैं, सत्युग, प्राणी + अंतक = काल ) काल, यम जीवों त्रेता, द्वापर कलियुग। को मारने वाला, वधिक, कसाई, राक्षस। | जुगजुगाना अ० कि० दे० (हि० जगना) जीविका--संज्ञा, स्त्री० (सं०) रोज़ी, उद्यम, कुछ कुछ उन्नति को प्राप्त होना, तरक्की रोज़गार, धंधा।
करना, टिमटिमाना। जीवित-वि. (सं०) ज़िन्दा, सजीव । जुगत- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० युक्ति ) ढंग, जीविता-वि० (सं०) जीवधारी, ज़िन्दा। तदवीर, उपाय, हथ-कंडा, जुगति (७०) जीवी--वि. (सं० जीविन् ) जीव वाला, जुगनी-जुगनू-संज्ञा, पु. दे. ( हि० जुगउद्यमी, रोज़गारी । जैसे - शिल्प जीवी।। जुगाना) खद्योत, पटवीजन, चमकदार कीड़ा, जीवेश-संज्ञा, पु. यौ० (सं० जीव + ईश )| गले का एक भूषण ।
जीवों का स्वामी, परमेश्वर, स्त्री का पति ।। जुगल-जुगुल वि० (दे०) युगल । “सुनत जीह-जीहा-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. जीभ ) जुगुल कर माल उठाई"-- रामा० । जिह्वा, जीभ, ज़बान । " राम नाम मनि जुगधना-स० कि० दे० (सं० योग--- दीप धरु, जीह देहरी-द्वार"-तु.।
अवना-प्रत्य० ) रक्षित रखना, बचाये रहना ।
"श्रमियमूरि सम जुगवति रहऊँ"--- रामा० । जुबिश-संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) हिलना. डोलना। मुहा०-जुबिश खाना- हिलना, इधर
जुगाना- स० क्रि० (दे०) जुगवना । उधर होना।
जुगालना-अ० क्रि० दे० (सं० उगिलन ) जु-वि० क्रि० वि० दे० (हि. जो ) जो,
पागुर करना, पगुराना, जुगाली करना । जिस ।
जुगानुजुग (बोलचाल में)---बहुत पुराना । जुना-संज्ञा, पु० दे० (सं० यूका ) छोटे जुगुत, जुगुति-- संज्ञा, स्त्री० (दे०) युक्ति । छोटे कीड़े जो बालों में हो जाते हैं, एक जुगुप्सक--वि० (सं० जुगुप्सा ) निष्प्रयोजन
खेल, हल में बैल जोतने का स्थान । निन्दा करने वाला, व्यर्थ निदक । जुआँरा, जुआँरी-- संज्ञा, पु० दे० ( हि० जुगुप्मा - संज्ञा, स्त्री०(सं०) निन्दा. तिरस्कार। जुया ) जु प्राँ खेलने वाला, जुआरी। जुगुप्सित-वि० (सं.) निन्दित, तिरस्कृत । "सूझ जुआँरिहि आपन दाऊँ"-रामा० । जुज़-संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) सोलह या पाठ जुआचोर-संज्ञा, पु० ( हि० ) धोखा देने सफे, एक फारम, हिस्सा। वाला, ठग।
जुजबी-वि० ( फ़ा० ) कोई कोई, बहुतों जुभार-भाटा-संज्ञा, पु० (दे०) ज्वारभाटा। में से कोई एक । जारि-संक्षा, स्त्री० (दे०) एक अनाज जो जुझ*-संज्ञा, स्त्री० (दे०) युद्ध ।
अगहन-कातिक में होता है, ज्वार । जुभवाना-स. क्रि० ( हि० जूझना का प्रे० जुई- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० जूं ) छोटा रूप ) औरों को श्रापस में लड़ा देना। जूं, जुआँ ।
जुझाना (दे०) जुझावना ।
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