________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
प्रतीत
प्रतीत - वि० (सं० अति + इति ) अत्यन्त इति, ( अति + इ + क्त ) प्रतिक्रांत, बीता हुआ, पृथक, जुदा, अलग, मृत, विरक्त, न्यारा, संगीत शास्त्रानुसार परिणाम विशेष, संज्ञा पु० (सं०) संन्यासी, यति, साधु-अतिथि विरक्त, 'कविरा भेष यतीत का, करै अधिक अपराध " क्रि० वि०- परे, बाहर, वि० ( अ + तीत - (सं० ) तित ) जो तिक्त या कटु न हो । प्रतीतकाल - संज्ञा पु० (सं० ) हुआ समय, प्राचीन काल । प्रतीतना - प्र० क्रि० ( हि० ) बीतना, गुज़रना, छूटना ( व्यतीत - वि + प्रतीत )
बीता
"6
हाय रीते से उपाय " " पुत्र सिख लीन तन
श्रसर ती होत (6 सरस जौ लगि तीत ही क्रि० स० (सं० )
39
त्यागना ।
प्रतीथ – संज्ञा पु० (दे० ) अतिथि (सं० ) मेहमान | प्रतीष - वि०
www.kobatirth.org
(6
५७
गत,
भूत,
सं० प्रति + इव) बहुत,
श्रत्यन्त ।
प्रतीस - संज्ञा पु० (सं० ) एक पहाड़ी पौधा जिसकी जड़ दवा के काम में याती है, प्रतिविधा, विषा ।
ܕܕ
- राम० ।
बिताना, छोड़ना,
प्रतीसार संज्ञा पु० (सं० ) देखो प्रतिसार, एक दस्तों का रोग | प्रतुराईक - मा० संज्ञा स्त्री० (सं० आतुर ) श्रातुरता, जल्दी, चंचलता, चपलता, ( जल्दबाज़ी ) । अतुराना३ - अ० क्रि ( सं० आतुर ) श्रातुर होना, घबराना, जल्दी मचाना, कु
लाना ।
प्रप्ति
- मतानुसार ) अनुकूल नायक । तिल का पेड़, तोल, अद्वितीय, अतुल्य, असदृश, अतुलनीय - वि० (सं० ) अपरिमित, अपार, नुपम, द्वितीय। अतुलित--- वि० ( ) बिना तौला हुआ, अपरिमित जिसकी तौल या तुलना न हो सके, अपार, अतुल्य, अनुपम, अद्वितीय, असंख्य श्रेष्ठ, मेघनाद अतुलित बल योधा " - रामा० ।
०
k
इन कौ मिलिबे को
--सूर ०
चतुरात अतुल - वि० (सं० ) जिसकी तौल या अन्दाज़ न हो सके, अमित, असीम, बहुत अधिक, अनुपम, बेजोड़, संज्ञा पु० ( केशव भा० श० को०-८
।
अतुल्य - वि० सं० + तुल्य) असमान,
सदृश, अनुपम, बेजोड़ ।
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रतू
- वि० (सं० अति + उत्थ ) अपूर्व, - विचित्र ।
33
" देखो सखि अद्भुत रूप तूथ • सू० । अतूल - दे०वि० ( ० ) अतुल, तोल, अतुल्य (सं० )
)।
अतृप्त - वि० (सं० ) जो तृप्त या सन्तुष्ट न हो, भूखा, संज्ञा स्त्री० (सं० ) अतृप्ति । प्रतृप्ति -- संज्ञा स्त्री० (सं०) मन न भरने की दशा, असन्तुष्टता ।
तेज - वि० (सं० अ + तेज ) तेज रहित, हतप्रभ हतश्री, क्षीणता, प्रभा-हीन । प्रतोर - वि० सं० अ + तोड़ना ) जो न टूटे, हद, अभंग, अटूट | तोल - वि० सं०) प्रतौल -- अतुल, अनन्त, अप्रमाण, इयत्ता-रहित, जो न तुल सके,
(:
. पदवी लहत श्रतोल "
अनुपम
बृन्द० ।
प्रतौल - वि०
(दे० ) अतोल, अतुल,
अतुल्य ।
प्रत्त ४९ -- संज्ञा स्त्री० दे० (सं० प्रति ) अति, अधिकता, प्रति (दे० ) |
यत्ता - प्रत्तिका - संज्ञा स्त्री (सं० ) माता, ज्येष्ठ बहिन, बड़ी मौसी, सास, (प्राची नाटक ) |
अत्तार - संज्ञा पु० ( ० ) इत्र या तेल बेचने वाला, गंधी, यूनानी दवा बेचनेवाला । प्रत्तिक - संज्ञा स्त्री० दे० (सं० प्रति ) श्रति, ज्यादती, ऊधम, अत्याचार ।
For Private and Personal Use Only