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अदतिया
अतनु अदतिया-संज्ञा, पु० ( हिं० आढ़त ) वह परिमाणुप्रो का) छोटा टुकड़ा, कण, रजकण, दूकानदार जो ग्राहकों या व्यापारियों को माल अत्यन्त सूक्ष्म मात्रा, नैय्यायिक अणुओं के खरीद कर भेजता तथा उनका माल मँगाकर ही द्वारा समस्त सृष्टि की उत्पत्ति मानते बेचता है, आढ़त करने वाला, दलाल । हैं, इसमें मिलने और पृथक् होने की शक्ति अढ़न-संज्ञा, पु० (दे०) आज्ञा, मर्यादा । है, सूर्य के प्रकाश में उड़ते हुए छोटे-छोटे अदवना-स० कि० दे० ( सं० आज्ञापन ) कणों में से एक का साठवाँ भाग । वि०आज्ञा देना, काम में लगाना।
अति सूक्ष्म, जो दिखाई न दे, अत्यन्त अढ़वायक* संज्ञा, पु० दे० (सं० आज्ञापक) छोटा । अणु मात्र वि०-छोटा सा ।
आज्ञा देने वाला, काम लेने वाला। अणुवाद-- संज्ञा, पु० (सं०) वह सिद्धान्त अढ़ाई --वि० दे० (सं० अर्धद्वय ) दो और जिसमें जीव या आत्मा अणु माना गया है अाधा, २३, ढाई (दे० ) गुना-२३ घात। और अणु से ही सब सृष्टि की उत्पत्ति कही पढ़िया-संज्ञा, स्त्री० (दे० ) काठ, पत्थर गई है ( रामानुजाचार्य, बल्लभाचार्यादि) या लोहे का बर्तन ।
वैशेषिक दर्शन का मत। अढ़ क-अढ़ कि-संज्ञा, पु० (हि० अदुकना ) | अणुवादी-संज्ञा, पु. ( सं० ) नैय्यायिक, ठोकर, चोट।
वैशेषिक मतानुयायी, रामानुज या बल्लभअढ़कना-प्र. क्रि० (सं० + आ-भली- सम्प्रदाय का व्यक्ति, अणुवाद का मानने भाँति+टकं-रोक ) ठोकर खाना, सहारा वाला। लेना, चोट खाना, उढ़कना अदुकि पु० कि० अणुधोक्षण-संज्ञा, पु० (सं०) सूक्ष्म उढक कर .. अदुकि परहिं फिरि हेरहिं दर्शक यंत्र, .खुर्दबीन, छिद्रान्वेषण, बाल पाछे"-रामा० ।
की खाल निकालना। अढैया संज्ञा, पु. ( हिं० अढवना ) आज्ञा अतंक - संज्ञा पु० (दे० ) आतंक (सं.)। देने वाला, संज्ञा पु० (हिं. अढाई )२१ सेर
अढाई । २१ सेर अतंद्रिक-- वि० (सं०) आलस्य रहित, की तौल का एक बाट २३ गुने का, चुस्त, ब्याकुल, बेचैन, अतंद्रित (वि० ) पहाड़ा।
तंद्रा-हीन । प्रणाद-संज्ञा, पु० (दे० ) अानन्द, सुख । अतः-क्रि० वि० (सं० ) इस वजह से, प्रणि-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) अक्षाग्र कीलक, पहिये के धागे का काँटा नोंक बाढ़, धार, | अतएव-क्रि० वि० ( सं० अतः + एव ) इस सीमा या किनारा।
लिये, सहेतु, इस कारण, इससे, इस अणिमा-संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) अष्ट । वजह से। सिद्धियों में से पहिली सिद्धि, अत्यन्त छोटा अतद्गुण-संज्ञा, पु० (सं० + तद् + गुण) रूप धारण करने की शक्ति, (हि०, दे०) एक प्रकार का अलंकार जिसमें एक वस्तु अनिमा ।
का दूसरी ऐसी वस्तु के गुणों का न ग्रहण प्रणी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) नोक, धार, करना प्रगट किया जाय जिस वस्तु के वह सीमा (हि.) अनी।
अति निकटवर्ती हो। अणीय- वि० ( सं० अणी ) अति सूक्ष्म, | अतनु-वि० (सं० ) शरीर-रहित, बिना बारीक।
देह का, मोटा, स्थूल ( अ-नहीं+तनु-शरीर, अणु-संज्ञा, पु. ( सं० ) द्वयणुक से सूक्ष्म | पतला, संकीर्ण ) संज्ञा, पु० (सं० ) अनंग, और परिमाण से बड़ा कण, (६० । कामदेव ।
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