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अट्ठानबे
अठारह अट्ठानबे-वि० दे० (सं० अष्टानवति ) नब्बे | अठमासी-संज्ञा स्त्री० (हि. आठ+ और पाठ, १८ ।
माशा ) पाठ माशे सोने का सिक्का, सावरन, अट्ठावन-वि० दे० (सं० अटपंचाशत), गिन्नी, वि०-आठ मास की। पचास और पाठ, ५८।
अठल-संज्ञा पु० (दे० ) संस्कार विशेष । अट्ठासी-वि० दे० (सं० अष्टाशीति ) अस्सी अठलाना-अठिलाना*-अ. क्रि० (हि.
और पाठ, ८८ । अठासी-(दे०) । __ ऐंठ) ऐंठ दिखाना, इतराना, उसक अठंग*-संज्ञा, पु० (सं० अष्टांग, आठ दिखाना, चोचला करना, नखरा करना, अंग ) अष्टांग योग, योग के आठ अंग। | मस्ती दिखाना, अनजान बनना, जान-बूझ अठ- वि० दे० (सं० अष्ट ) ( समास में ) | कर छेड़छाड़ करना, हँसना, उपहास करना । पाठ।
“ सुनि अठिलै हैं लोग सब, बाँटि न लैहैं अठइसी-संज्ञा, स्त्री० (हि. अट्ठाइस ) २८ कोय"-रहीम गाही, या १४० फलों की संख्या जिसे आवै अठिलात नंद महर लडैतो लखि"सैकड़ा मानते हैं। अठई-संज्ञा, स्त्री० (सं० अष्टमी) अष्टमी,
अठवना*-अ० क्रि (सं० स्थान ) जमना,
ठनना। तिथि, वि० आठवीं। संज्ञा, पु० अठएं- अठवांस-वि० ( सं० अष्टपार्श्व ) अठपहलू । आठवें अठवाँ-पाठवाँ।
अठवाँसा-वि० (सं० अष्टमास) आठ अठकौंसल-संज्ञा, पु० (हि. आठ-अं० | मास में उत्पन्न होने वाला गर्भ । संज्ञा पु०
कौंसिल ) गोष्टी, पंचायत, सलाह, मंत्रणा।। सीमंत-संस्कार, श्रासाद से माघ तक समय अठखेली-संज्ञा, स्त्री० (सं० अष्टक्रीड़ा) समय पर जोता जाने वाला ईख का खेत । विनोद, क्रीड़ा, चपलता, मतवाली या अठधारा-संज्ञा, पु. (हि. आठ-न-सं०. मस्तानी चाल।
वार ) आठ दिन का समूह, हफ़्ता, सप्ताह । अट्ठा-संज्ञा, पु० (सं० प्रष्ट ) आठ चीज़ों | अठसिल्या- संज्ञा, पु० (सं० अष्टशिला) का समूह ।
सिंहासन । अठत्तर-वि० (दे० ) अठहत्तर ७ की | अठहत्तर- वि० (सं० अष्ठ सप्तति, प्रा० अठ्ठसंख्या।
हत्तरि ) सत्तर और पाठ, ७८ संख्या। अठन्नी-संज्ञा, स्त्री० (हि. आठ+याना)
अठाई-वि० ( सं० अस्थायी ) उत्पाती, आठ आने का एक चाँदी का सिक्का ।
नटखट, शरारती, उपद्रवी, वि० (हि० अ+ अठपहल-आठ पहला या
ठाई-ठानी ) अठानी, न ठानी हुई। आठ पहलू
अठान-संज्ञा, पु० (अ+ठानना ) न ठानने वि० (सं० अष्ट+पटल ) आठ कोने वाला,
योग्य कार्य, अयोग्य या दुष्कर, बैर, शत्रुता, श्राठ पार्श्व का, अष्टभुज।
झगड़ा “ अठान ठान ठान्यौ हैं ”-'सरस' अठपाव-संज्ञा, पु० (सं० अष्टवाद ) उपद्रव,
अठाना --स० क्रि० (सं० अठ-- बध ऊधम, शरारत, प्रौटपाय (दे०)।
करना ) सताना, पीड़ित करना, ठानना, " भूषन औं अफजल्ल बचै अठपाव के सिंह
छेड़ना, जमाना। को पाव उनैठो"- भू०।
अठारह-वि० (सं० अष्टादश प्रा० अठ्ठदह अठमासा-संज्ञा पु० (सं० अष्टमास )- अप० अठारह ) दस और पाठ, १८ संख्या,
आठमास वाला, अठवांसा (दे०) अठमासी | संज्ञा पु० पुराण-सूचक संकेत-शब्द ( काव्य ( स्त्री० ) अठवाँसी।
__ में) चौंसर का एक दाँव ।
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