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प्रजानपन
अजूट भ्रष्ट हो जाती है। अयान--( विलोम- अजी-अव्य० ( सं० अयि ) सम्बोधन सयान ) संज्ञा पु० ( अ० अज़ान ) मसज़िद शब्द, जी। में नमाज़ की पुकार, बाँग। संज्ञा स्त्रो० अजीज़-वि० ( अ० ) प्रिय, प्यारा संज्ञा अजानता।
पु० सम्बन्धी, सुहृद। अजानपन- संज्ञा पु० (हिं० ) नासमझी, अजीत-वि० ( हि० ) अजेय, “जीति अज्ञानता।
उठिजाइगी अजीत पंडुपूतन की ‘रना । अजानता-संज्ञा स्त्री० दे० (सं० अज्ञानता )- अजीब वि० (अ.) विलक्षण, विचित्र, मूर्खता, मूढ़ता।
__ अनोखा, अनूठा। अजामिल-संज्ञा पु० (सं० ) एक पापी अजीम-वि० (अ.) बहुत श्रमीम ।। ब्राह्मण जो मरते समय अपने पुत्र नारायण अजीरन-संज्ञा पु० दे० (सं० अजीर्ण ) देखो का नाम लेकर तर गया था ( पुराण )।। अजीर्ण । प्रजाप-वि० दे० (सं०) देखो 'अजपा"। अजीर्ण-संज्ञा पु० (सं० ) अपच, अध्ययन, अज़ाब- संज्ञा पु० ( अ० ) पाप दोप। बदहज़मी, अत्यंत अधिकता, बहुलता, जैसे अजाय* - वि० (हि० अ । जा फा० ) उपन्यास से अजीणं हो गया है। वि. बेजा, अनुचित ।
(सं० अ+जीर्ण ) जो पुराना न हो अजायब-संज्ञा पु. ( अ०) अजब का नया।
बहुवचन, विचित्र पदार्थ या व्यापार । अजीव -गंज्ञा पु० (सं० ) अचेतन, जड़, अजायबखाना-- संज्ञा पु० ( अ० ) अजीब जो जीव न हो वि० बिना जीव का, प्राणपदार्थो का घर, अद्भुत वस्तुओं का संग्रहा- रहित, मृत, निर्जीव । लय, म्यूज़ियम ।
अजुगत अजुगुत-संज्ञा पु० (हिं० ७०) अजायबघर-संज्ञा पु० ( अ० ) देखो
अयुक्त, अनुपयुक्त अनुचित, अनहोनी, अजायबख़ाना।
अन्धेर, उत्पात, अत्याचार, वि० सं०-अयुक्त, अजाया-वि० (सं० अजात ) मृत । असंभव, " हरि जी अजगुत जुगत करेंगे". गोलिन वृथा अजाये है छ ।
नाग० । अजार*--संज्ञा पु० देखो आज़ार, बीमारी। अजुर ---वि० (दे० ) जो न जुरे, जो न अजारा-संज्ञा पु० (अ० इज़ारा ) इज़ारा। मिले या प्राप्त हो, अलभ्य, अप्राप्त । अजिौरा-संज्ञा पु० दे० ( ह. अजू*-अव्य०-देखो अजी (७. हि.) आजी-+ पुर सं० ) श्राजी या दादी के पिता जू, एजू । का घर।
अजूजा-संज्ञा पु० ( दे० ) मुर्दा खाने अजित-वि० (सं० ) जो जीता न गया वाला बिज्जू का सा एक पशु, शव-भक्षक, हो, संज्ञा पु० विष्णु, शिव, बुद्ध, अजीत । । वि० घृणित, नीच । अजितद्रिय वि० (सं० अजित - इंदिय ) अजूबा-वि० (अ.) अनोखा, अद्भुत, जो इंद्रियों के वश में हो, विषयासक्त, । अजीब, "प्रेमरूप दर्पन अहो, रचै अजूबा इंद्रियलोलुप।
खेल या मैं अपनो रूप कुछ, लखि परि अजिन-संज्ञा पु० (सं० ) मृगछाला, चर्म । है अनमेल" ( स०।। अजिर-संज्ञा पु० ( सं० ) आँगन, सहन, अजूटा*-(वि० (सं० अयुक्त)- हि० अ--- वायु. हवा, देह, इंद्रियों का विषय, चबूतरा, जुटा-विलग ) न मिला हुआ, संज्ञा पु० चौक, मेंढक।
मजदूरी, (दे० ) मजूरी।
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