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अजमाना
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अजान
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अजमाना-स० क्रि० (अ.) आज़माना, वाच्यार्थ को न छोड़ कर कुछ भिन्न या तजा करना।
अतिरिक्त अर्थ प्रगट करे, उपादान लक्षणा । अजमोदा-संज्ञा पु. ( सं० ) अजमोद (काव्य शास्त्र) (हि. ) अजवायन का सा एक पेड़ । अजहद-क्रि० वि० (फा० ) हद से ज्यादा, अजय-संज्ञा पु० (सं० अ-+जय) पराजय, बहुत अधिक । हार, छप्पय छंद का एक भेद, वि०-जो न | अजहुँ-अजहूँ-क्रि० वि० दे० (सं० अद्यापि) जीता जाये, अजेय ।
७० अभीतक, “प्रभु अजहूँ मैं पातको, प्रजया-संज्ञा स्त्री० (सं० ) विजया, भाँग, अंतकाल गति तोरि"- रामा० संज्ञा० स्त्री० (सं० अजा ) बकरी। अजा--वि० स्त्री० (सं० ) जिसका जन्म " श्रजया भख अनुसारत नाहीं" सूर० ।। न हुआ हो, जन्मरहित, संज्ञा स्त्री० बकरी, "अजया गजमस्तक चढ़ी, निर्भय कोंप- प्रकृति या माया ( सांख्य ) शक्ति, दुर्गा । लखाय" क.।
अजाचक-संज्ञा पु० दे० (सं० अयाचक) जो अजय्य वि० (सं० ) जो जीता न जा भिखारी न हो, न माँगने वाला-" जाचक सके, अजीत, अजेय ।
सकल अजाचक कीन्हें "-रामा० । अजर-वि० ( सं० अ--जर ) जर रहित, अजाची--- संज्ञा पु० दे० (सं० अयाचित् ) जो वृद्ध न हो, जो सदा एक सा या युवा सम्पन्न , न मांगने वाला। रहे, संज्ञा पु० ---देवता. वि० ( सं अज- अजाड़-संज्ञा पु० (दे०) सनिबाटाट । पचना ) जो न पचे, जो हज़म न हो। जात - वि० (सं० ) जो पैदा न हुआ वि० (हि. अ--जर-जड़, ज्वर ) जड़-रहित, | __ हो जन्म रहित, अजन्मा । वि० (फा. ज्वर-मुक्त।
अ--जात, हि० अ + जाति ) बुरी या नीची अजगयन-वि० (सं० अजर ) बलवान जाति का। जिसकी जाति-पांति का पता स्थायी टिकाऊ । जो जीर्ण न हो न हो, कुजात । चिरस्थावी।
प्राजातशत्रु-वि० (सं०-1-जात -- शत्रु ) प्रजगत-वि० ( सं० अ- जरा ) वलवान, जिसका कोई शत्रु न हो. शत्रु-विहीन, अमर स्थायी-संज्ञा पु० (सं० अजर -- पाल- संज्ञा पु० राजा युधिष्ठिर शिव, उपनिषद ग्रालय) सुरलोक।
में आये हुये एक काशी नरेश, जो ब्रह्मअजवायन-अजवाइन-संज्ञा स्त्री० ( सं० ज्ञानी थे, और जिनसे महर्षि गार्य ने यवनिका) मसाले का एक पेड़, एक औषधि, उपदेश लिया था, राजगृह ( मगध ) के यानी । " क्षुद्रा यवानी सहितः कषायः" | प्राचीन राजा विंबसार के पुत्र, यह बुद्ध देव वैद्य।
के समकालीन थे। प्रजस*-संज्ञा पु० (सं० अयश ) अपयश, | अजाती-वि० दे० ( सं० अ+जाति ) अपकीर्ति, बदनामी।
जाति-च्युत, जाति वहिष्कृत, जाति-पाँतिअजमी- वि० दे० (सं० अयशिन् ) अपयशी | बिहीन । प्रजाति विजाति त्याज्य । बदनाम, निंद्य।
अजान-वि० दे० (सं० अज्ञान) जो न जाने, अजन-क्रि० वि० ( सं०) सदा, हमेशा, अज्ञान, अनजान, अबोध, नासमझ, मूर्ख, निरंतर, बार बार।
अविवेकी अपरिचित अज्ञात संज्ञा पु. अजहत्स्वार्था-संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) एक | अज्ञानता, अनभिज्ञता, जानकारी का प्रकार की लक्षणा जिसमें लक्षक शब्द अपने प्रभाव, एक पेड़ जिसके नीचे जाने से बुद्धि
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