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अछेद्य
४४ निष्कपट, अभिन्नता " चेला सिद्धि सो पावै | बिना श्रम की वृत्ति, अजगर की सी, वि० गुरु सों करै अछेद" प०।
बिनाश्रम । अछेद्य-वि० (सं० ) जिसका छेद न हो | “ अजगर करें न चाकरी-" मलूकदास । सके, अभेद्य, अविनाशी।
अजगव-संज्ञा पु० (सं० ) शिव जी का अछेव*--वि० दे० (सं० अछिद्र ) बिना धनुष, पिनाक, “ अजगव खंडेउ' उख छिद्र या दूषण के, निर्दोष, बेदाग .. ज्यों,"- रामा० । "सुर सुरानदहु के आनँद अछेव जू".-- अजगुत-संज्ञा पु० दे० (सं० प्रयुक्त, पु. सुन्द।
हि० अजुगुति ) जो युक्ति-युक्त न हो, असा. अछेह*--वि० दे० (सं० अक्छेद्य)-निरंतर,
धारण बात, अनुचित या असंगत बात, लगातार, ज़्यादा, बहुत अधिक “ धरे रूप आश्चर्य-पूर्ण--"कुदंनपुर एक होत अजगुत गुन को गरब, फिरै अछेह उछाह ” आठौ बाघ हेरी जाय' - सूबे० - वि०–विस्मय. जाम अछेह, दृगु जु बरत, बरसत रहत" कारी, असंगत। वि०।
अजगैर-संज्ञा पु० दे० (फा० अज़+अ. अकोप-वि० दे० ( सं० अ- छुप् )
गै ब) अलक्षित स्थान, अदृष्ट या परोक्ष आच्छादन रहित, नंगा, तुच्छ, दीन ।।
। स्थान। पालोध-वि० दे० (सं० अक्षोभ) क्षोभ-रहित, अजड-वि० (सं० ) जो जड़ न हो, निक, मोह-रहित, स्थिर, शान्त, गंभीर । चेतन, संज्ञा पु० चैतन्य ब्रह्म, जीव । पाक - संता पु० दे. (सं० अक्षोभ ) | राजरहा-संज्ञा पु. ( उ० )-अजगर । लोणाव, शान्ति, स्थिरता, निर्दयता, | अज -वि. ( सं० ) जन्म बंधन-मुक्त, नि ठुरता।
अनादि, स्वयंभू, अजन्मा, वि० (सं०) अकाही वि० दे० निर्दय, नि ठुर, निमे ही। निर्जन, सुनान । ग्रज -- वि० (सं० ) जि का जन्म न हो, अजनवी वि० ( अ०) अनजान अज्ञात, अजन्मा, स्वयंभू, संज्ञा पु. ब्रह्मा, विणु, अपरिचित, परदेशी, बिना जान-पहिचान शिव, कामोव, सूविंशी एक राजा जो का, नावाकिफ़। दशरथ के पिता थे, इन्हें गधर्वराज पुत्र से | गजन्म वि० (सं०) जन्म रहित, अजन्मा। संमोहनास्त्र मिला था, बकरा, मेषराशि, | अजन्मा- वि० (सं० ) जन्म बंधन में न माया शक्ति, अविद्या, प्रकृति, क्रि० वि० श्राने वाला, अनादि, ब्रह्म, नित्य । (सं० अय) अब, अाज, (हुँ या हूँ के साथ- | अजपा- वि० (सं० ) जो न जपा जा अजहुँ अजहूँ) अब, अभी आज भी। सके, जिसका जप न हो, जिसका उच्चारण अजगम-संज्ञा पु. (सं० ) छप्पय का न हो ऐसा मंत्र ( तांत्रिक ) सं० पु. भेद।
गड़रिया। अजगंधा -संज्ञा स्त्री यौ० (सं० ) अज- | अजपाल-संज्ञा पु. ( सं० ) गड़रिया, मोदा।
(अज-बकरी पाल-पालक )। अजगर- संज्ञा पु० (सं० ) एक प्रकार का | अजब- वि० (अ०) अनोखा, अद्भुत, बहुत मोटा पर्प ।
विचित्र, विलक्षण। अजगरी संज्ञा स्त्री. (सं० अजगरीय )- अजमत-संज्ञा स्त्री० (अ.) प्रताप, महत्व, अजगर के समान बिना परिश्रम की जीविका, चमत्कार ।
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