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नाम
क्षीरसागर ताम–वि० (सं०) क्षीण. कृश,, दुबला।। क्षितीश्वर--संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) महीश, स्त्री. तामा। यौ० तामकठ- वि० राजा । सूखा कंठ, मंद स्वर । दामोदरी-पतली क्षिप्त-वि० (सं० ) फेंका हुआ, विकीर्ण, कमर वालो (स्त्री०) अल्प, कमज़ोर । त्यक्त, अवज्ञात, अपमानित, पतित, बात. क्षार---संज्ञा, पु० (सं० ) दाहक, जारक, रोग-प्रस्त, चंचल, उचटा हुआ । संज्ञा, पु. या विस्फोटक औषधियों को जला कर ! (सं.) चित्त की ५ अवस्थाओं में से या खनिज पदार्थों को पानी में घोल कर | एक (योग)। रसायनिक क्रिया से साफ़ करके बनाया क्षिप्र–क्रि. वि. (सं०) शीघ्र, जल्दी, हुया नमक, खार, भस्म, नमक, सज्जी, तुरन्त । वि० ( सं० ) तेज़, जल्द । शोरा, सुहागा, राख, समुद्री लवण, काँच, तिप्रहस्त-वि० या० (सं०) शीघ्र काम गुड़ । वि० (सं० ) खारा, क्षरणशील । करने वाला। क्षारपत्र--संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) बथुश्रा क्षीण-वि० ( सं० ) दुबला-पतला, सूचम, का शाक।
क्षयशील, छीन (दे०)। घटा हुआ। क्षारभूमि -- संज्ञा, स्त्री० यो० (सं० ) खारी, यौ० संज्ञा, पु. (सं०) क्षीगा चन्द्रऊपर भूमि।
कृष्णपक्ष की ८ मी से शुक्ल पक्ष की ८ मी क्षारमृत्तिका-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) |
तक का चन्द्रमा । खारी, लोना मिट्टी।
क्षीणता-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) निर्बलता, क्षारलवण-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) खारी,
दुर्बलता, सूचमता। नमक। क्षारश्रेष्ठ --संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) ढाक,
तीर-संज्ञा, पु० (सं० ) दूध, पय, छीर पलास वृक्ष ।
(दे०) " - धीर श्राकछीर हू न धारैक्षारसिंधु-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) लवण ।
धसकत हैं "-ऊ० श० । यौ० क्षीरसार समुद्र।
--मक्खन । क्षीरकंठ-संज्ञा, पु० ( सं०) क्षालन-संज्ञा, पु० (सं० ) प्रक्षालन, धोना, दुधमुहा बच्चा। तीरपाक-खूब औटाया स्वच्छ करना।
हुधा दूध या दूध में पकाया हुआ। संज्ञा, क्षिति-संज्ञा, स्त्री. (सं०) पृथ्वी, वास- पु० (सं० ) द्रव पदार्थ, जल, पेड़ों का
स्थान, गोरोचन, क्षय, प्रलय काल । रस या दूध खीर, छोर (दे०)। क्षितिज--संज्ञा, पु. (सं० ) मंगल ग्रह, तीर-काकोली-संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) नरकासुर, केचुया, वृक्ष, वह तिर्यग् वृत
अष्टवर्ग की काकोली जड़ी। जिसकी दूरी अाकाश के मध्य से १० अंश
क्षीरघृत-संज्ञा, पु० (सं० ) मक्खन । पर हो, ( खगोल ) दृष्टि की पहुँच पर वह क्षीरज संज्ञा, पु. (सं० ) चन्द्रमा, कमल, वृत्ताकार घेरा जहाँ पृथ्वी और आकाश शंख, दही । स्त्री० क्षीरजा लक्ष्मी, दोनों मिले हुए जान पड़ें । धातु, उपधातु, कमला। पृथ्वी से उत्पन्न पदार्थ, भौमासुर । छितिज क्षारधि-संज्ञा, पु० (सं० ) समुद्र, क्षीर
| सागर । तीरनिधि, क्षीर समुद्र।। तिति मंडन-संज्ञा, पु. यौ० ( सं० ) तीर व्रत-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पयाहार, ब्रह्मा, श्रादर्श पुरुष ।
केवल दूध पीकर रहने का व्रत । तितीश-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) क्षिति- तीरसागर--संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) दूध पाल, नितिनाथ, राजा।
| का समुद्र ( पुराण )। भा० श० को०-६५
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