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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org करंबित 66 माखन भरी कमोरी देखी... " सूबे० । कयपूती - संज्ञा, स्त्री० ( मला • क्यु पेड़ + पूती - सफ़ ेद ) एक सदा बहार पेड़ जिसकी पत्तियों से कपूर का सा उड़ने वाला तेल निकलता है । कया* - - संज्ञा, स्त्री० ( दे० ) काया (सं० ) देह | 66 क्या दहत चंदन जनु लावा"- -प० । कयाम संज्ञा, पु० ( ० ) विश्राम स्थान, ठहराव टिकान, निश्चय स्थिरता । कयामत --संज्ञा, स्त्री० ( ० ) सृष्टि के नाश का अंतिम दिन जब सब मुर्दे उठ कर ईश्वर के सामने अपने कर्मों का लेखा देखेंगे और तदनुसार फल पायेंगे, प्रलय, हलचल । 2 कमीज़ - संज्ञा, स्त्री० ( ० कमीस ) कली कयास - संज्ञा, पु० ( और चौबगला रहित कुर्ता | कमीना -- वि० ( फा० ) चोला, नीच, छुद्र | स्त्री० कमीनी | संज्ञा, पु० (दे० ) कमीन - नीच जाति का | संज्ञा, पु० कमीनापन । कमीला - संज्ञा, पु० दे० ( सं० कम्पिल्ल ) एक छोटा पेड़ जिसके फलों पर की लाल धूल से रेशम रंगते हैं । . कमाल f6 1 कमाल -- संज्ञा, पु० (अ० ) परिपूर्णता, कुशलता, दक्षता, अद्भुत कार्य, विशेष विचित्रता, कारीगरी, कबीरदास का पुत्र - तू अब से कबीर का, उपजा पूत कमाल । " " कमी नहीं कद्रदां की अकबर, करे तो कोई कमाल पैदा । " वि० – पूरा, सम्पूर्ण अत्यन्त सर्वोत्तम | संज्ञा, स्त्री० ( ० ) कमालियत - पूर्णता, निपुणता । ग्वाल कवि साहब कमाल इल्म सुहबत हो - " कमासुत वि० (हि० कमाना + सुत ) कमाई करने वाला, उद्यमी । 16 कमी -संज्ञा, स्त्री० ( फा० कम ) न्यूनता, कोताही, हानि । ४०८ * कमुकंदर - संज्ञा, पु० दे० (सं० कार्मुकं + दर ) धनुष तोड़ने वाले राम । कमेरा - संज्ञा, पु० (हि० काम० + एराप्रत्य० ) काम करने वाला, दास, नौकर । स्त्री० कमेरी — “ साँची कहैं ऊधौ हम कान्ह की कमेरी हैं---" ऊ० श० । कमेला - संज्ञा, पु० ( हि० काम + एला י, प्रत्य० ) पशु वध - स्थान । ० कमोदिन, कमोदिनी - संज्ञा, स्त्री० (दे० ) कुमुदिनी ( ) कमोद : कमोदिनी जल में बसै, चन्दा बसै -- कबीर । ( दे० ) कास कमोरा - संज्ञा, पु० दे० ( सं० कुम्भ + ओरा प्रत्य० हि० ) मटका, चौड़े मुँह का मिट्टी का बरतन, घड़ा, कछरा (दे० ) स्त्री० कमोरी अल्प ० ) कमोरिया - मटकी, गगरी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ० ) अनुमान, ध्यान सोच विचार । वि० कयासी । करक - संज्ञा, पु० (सं० ) मस्तक, ठठरी, पंजर, कमंडल, खोपड़ी । LC काग करंक ठठोलिया "कबीर । ( नारियल की ) करंज, करंजा - सज्ञा. पु० (सं० ) कंजा, एक बनैला पौधा, एक प्रकार की आतिशबाज़ी | सं० पु० ( फा० कुभिंग, सं० कलिंग ) मुर्गा । करंजुवा - संज्ञा, पु० ( सं० करंज ) कंजा | संज्ञा, पु० दे० ) बॉल या ऊख के हानिद अंकुर, धमोई । वि० (सं० करंज ) कंजे के रङ्गका, ख़ाकी | संज्ञा, पु० -- ख़ाकी रंग ।करंड -- संज्ञा, पु० (सं०) शहद का छत्ता, तलवार, कारंडव नामक हंस, बाँस की टोकरी या पिटारी, डला, काक, डिब्बा । संज्ञा, पु० (सं० कुरविंद ) त्रादि के घ कर पैना करने का कुरुल पत्थर । करंतीना -- संज्ञा, पु० दे० ( ० कारंटाइन ) छूत की बीमारियों के स्थान से आये हुए लोगों के रखने का पृथक स्थान । करवित - वि० (सं० ) कूजित, गुंजित । मधुकर निकर करंबित कोकिल कूजति कुंज कुटीरे " - गी० 66 For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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