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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ४०६ कर कर --- संज्ञा, पु० (सं० ) हाथ, हाथी की सूंड़, सूर्य या चन्द्र की किरण, घोला, महसूल, छल, युक्ति । * प्रत्य० (सं० कृत ) करने वाला ( सुखकर) संबन्ध कारक की विभक्ति, पूर्व कालिक क्रिया की प्रत्य० । करई -संज्ञा, स्त्री० (दे० ) मिट्टी का एक छोटा बरतन, चुकट्टा, मटकन्ना । www.kobatirth.org करक - संज्ञा, पु० (सं० ) कमंडल, करवा, दाड़िम, कचनार, पलस, ठठरी, मौलसिरी करील । संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० कड़क ) रुक रुक कर होने वाली पीड़ा, कसक, चिलक, चमक और गरजन ( बादल बिजली की ) पेशाब का रुक रुक जलन के साथ होना, tara, trs aौर थात्रात से देह पर पड़ा चिन्ह | करकच -संज्ञा, पु० ( दे० ) समुद्री नमक | करकट - संज्ञा, पु० दे० ( हि० रबर + कट सं० कूड़ा, कतवार, झाड़न । } यौ ०. कूड़ा करकट | करकचि -संज्ञा, पु० (दे० ) हल्ला-गुल्ला, पुष्ट, कोमल । करकना - अ० क्रि० ( दे० ) रह रह कर पीड़ा करना आँख का ) तड़कना, चिकना, गड़ना, कसकना । वि० दे० (सं० कर्कर) जिसके कनके हाथ में गड़ें, खुरखुरा । संज्ञा, स्त्री० भा० करकराहट ( करकरा + हटप्रत्य० ) खुरखुराहट, आँख की किरकिरी । करकर - वि० दे०) कड़ा, मजबूत, समुद्री नमक | संज्ञा, पु० करकरा - ( दे० ) एक पक्षी । वि० खुरखुरा, दृढ़ । स्त्री० करकरी । करकस* - वि० (दे० ) कर्कशा ( सं० ) कड़ा, कठोर, काँटेदार | करका -- संज्ञा० स्त्री० (सं० ) शिला, घोला । क्रि० सा० भू० - कड़का | करकाना -- स० कि अ० ( हि० करकना ) तोड़ना मरोड़ना । करख - संज्ञा, पु० दे० (सं० कर्ष ) खिंचाव | हठ, एक तौल, अति द्रव्य । भा० श० को ०. ०-१२ करखना - अ० क्रि० उत्तेजित होना, जोश में आना । .. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 66 जा दिन शिवाजी गाजी नेक कर खत है-" भू० करखा-संज्ञा, पु० ( दे० ) बढ़ावा, जोश, ताव, दिन दूनी करखा सों " - सू० । संज्ञा, पु० (दे० ) कारिख, काजल, कड़खा । स्त्री० करखी - कजली । करखाना - स० क्रि० ( दे० ) कालिख लगाना । 'कहूँ कोऊ करखायो "हरि० । 66 करगत - वि० (सं० ) हाथ में छाया हुआ, प्राप्त, लब्ध | संज्ञा, पु० (दे० ) हस्ति नक्षत्र (6 करछुल HOR दे० (सं० कर्षण ) गत चन्द्रमा । करगता - संज्ञा, पु० दे० (सं० कटि + गता ) सोने, चाँदी या सूत की करधनी । करगह - करघा - संज्ञा, पु० ( फा० कारगाह) जुलाहों के पैर लटका कर बैठने और कपड़ा बनाने की जगह, कपड़ा बनाने का एक यंत्र | कर्धा (दे० ) करगहना - संज्ञा पुं० यो० (कर + गहनाब० ) दरवाज़े या खिड़की की चौखट पर रखने की लकड़ी । भरेठा, हाथ मोड़ना । करगही - संज्ञा, स्त्री० (दे० ) जड़हन, मोटा धान । करग्रह - संज्ञा, पु० (सं० ) व्याह, विवाह | करगी - संज्ञा, स्त्री० (दे० ) बाद, चीनी 'खुरचने का धौज़ार । करचंग - संज्ञा, पु० यौ० ( कर + चंग - हिं) ताल देने का वाजा, डफ । करछा -संज्ञा, पु० दे० (सं० कर + रक्षा ) बड़ी कजली, चमचा । ( स्त्री० ) करली, कलकी (दे० ) करछाल - संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० कर + उछाल) उछाल, छलांग | For Private and Personal Use Only करछुल -- संज्ञा, पु० (दे०) दाल आदि निकालने का बड़ा चम्मच, चमचा, करछुला ( दे० ) स्त्री० करछुली ।
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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