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कमरकस
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कमला
समाप्ति पर विश्राम करना। किसी लंबी | के आकार का एक मांस पिंड जो पेट में चीज़ का मध्य भाग ( पतला ) अंगरखे | दाहिनी ओर होता है, क्लोमा, जला, आदि का कमर के ऊपर रहने वाला भाग, ताँबा, एक प्रकार का मृग, सारस, आँख लपेट, कम्मर ( दे० ) " छोरि पितंबर का कोया, डेला, योनि के भीतर एक कमलाकम्मर ते .. " पद्मा।
कार गाँठ, फूल, धरन, ६ मात्राओं का कारकस--संज्ञा, पु. (दे० ) ढाक का | एक छंद, छप्पय के भेदों में से एक, गोंद, चिनिया गोंद।।
मोमबत्ती रखने का एक कांच का पात्र, एक कमरकोट ( कमरकोटा )-संज्ञा, पु० | प्रकार का पित्त रोग जिसमें आँखें पीली ( फा० कमर --काटा-हि०) किलों या चार पड़ जाती हैं, कामलक (सं० ) काँवर दीवारियों के ऊपर छेद या कँगूरेदार छोटी (दे० ) पीलू ( पीलिया ) मूत्राशय, दीवाल, रक्षार्थ घेरी हुई दीवार।
मसाना । पद्म, पंकज, अरविंद, अंबुज, कमरख-संज्ञा, पु० दे० (सं० कर्म रंग, | बनज, आदि।। प्रा० कम्मरंग ) एक पेड़ और उसके फाँक | कमलगट्टा-संज्ञा, पु. ( सं० कमल+गट्टा दार लंबे खट्टे फल। वि० कमरखी- | -हि. ) कमल के बीज, कमल गटा। कमरख की सी फाँकों वाला।
कमलज-संज्ञा, पु० (सं० ) ब्रह्मा, कमल कमरबंद-संज्ञा, पु० ( फा० ) कमर बाँधने | योनि, कमलय।। का लम्बा कपड़ा, पटुका, पेटी, नाड़ा, कपल नयन-वि० ( सं० यौ० ) कमल इजारबंद । वि० -मुस्तैद, तैयार ।
की पंखडियों की आँख वाला, बड़ी सुन्दर कमरबल्ला--संज्ञा, पु० (फा० कमर --- बल्ला आँख (कुछ रक्त) वाला । संज्ञा, पु० -विष्णु,
-हि.) खपड़े की छाजन में तड़फ के | राम, कृष्ण । वि० स्त्री० कमल नयनी । ऊपर और कोटों के नीचे लगाई जाने | कमलनाभ-संज्ञा, पु. ( सं० यौ० ) विष्णु। वाली लकड़ी। कमरबस्ता, कमर कोट । | कमलनाल-संज्ञा. पु. यौ० ( सं० ) कमल कारा-संज्ञा, पु० (ले० कैमेरा ) कोठरी, की डंडी, मृणाल । “ कमलनाल इव चाप फोटोग्राफी का वह यंत्र जिसके मुख पर | चढ़ाऊँ"-रामा० लैंस या प्रतिबिंब उतारने का गोल शीशा | कमलबंध-संज्ञा, पु. ( सं० ) एक प्रकार लगा रहता है। संज्ञा पु० ( दे० ) कम्बल । | का चित्र काव्य । कमरिया कामरिया-संज्ञा, पु. ( फा० | कमलबाई-कमलबाय-संज्ञा स्त्री० यौ० कमर ) छोटे डील का ज़बरदस्त एक प्रकार (हि.) कामलक या काँवर का रोग जिसमें का हाथी । संज्ञा, स्त्री० (दे०) कमर, | शरीर और आँख पीली हो जाती हैं। कमली, कमरी ( ऊन का) कम्बल । कमलमूल - संज्ञा, पु० यो० (सं०) मसीड़ा, " या लकुटी अरु कामरिया पर "....... | मुरार । ( रसखान ) ।
कपला-संज्ञा, स्त्री० (सं०) लक्ष्मी, धन, कारी ( कापरी)-- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० - ऐश्वर्य, एक प्रकार की बड़ी नारंगी, संतरा, कंवल ) छोटा कंवल का (दे० )--- एक वर्णिक वृत्त, रतिपद, एक नदी । संज्ञा, " सूर स्याम की काली कामरि".."सूर० । पु. ( सं० कवल ) छु जाने से खुजली पैदा एक रोग, चरखी की लकड़ी।
करने वाला एक रोयेंदार कीड़ा, सूड़ी, कपल-संज्ञा, पु. (सं०) जल का एक सुन्दर ढोला, सड़े पदार्थ का एक लंबा सफेद फूल वाला पौदा, तथा उसका फूल, कमल कीड़ा।
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