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कथंचित
कदंबकुसुमाकार कथंचित-क्रि० वि० (सं० ) शायद, किसी वक्ता, कथक । “लगे कहन कछु कथा प्रकार, कदाचित ।
पुरानी''.---रामा० । कथक-संज्ञा, पु० (सं० कट् --णक् ) कथा | कथाकार- संज्ञा, पु० (सं०) कथा कहने या कहानी कहने वाला, कथा वाचक, या बनाने वाला। कथग्गर (दे०) पुराण बाँचने वाला, कथानक-संज्ञा, पु. ( सं० ) कथा, छोटी पौराणिक, कत्थक, कथिक ।।
कथा, कहानी, गल्प । कथा-सारांश । कथकीकर-संज्ञा, पु. ( हि० कत्था+ कथामुख–संज्ञा, पु० (सं० ) श्राख्यान या कीकर ) खैर का पेड़ ।
कथा के ग्रंथ की प्रस्तावना, या भूमिका, कथक्कर-कथकड़-संज्ञा, पु० दे० (हि. कथा का प्रारंभ। कथा+कड़-प्रत्य० ) बहुत कथा कहने कथावस्तु-संज्ञा, स्त्री. ( सं० यौ० ) वाला । स्त्री०, पु० कथकड़ो।
उपन्यास या कहानी का ढाँचा, घटना-चक्र, कथन--संज्ञा, पु० (सं०) बखान, बात, उक्ति, प्लाट ( अँ०)। विवरण, वृत्तांत । स्त्री० (दे०) कथनि। कथा सचिव-संज्ञा. पु. ( सं० यौ० ) कथना–स० कि० दे० ( सं. कथन ) | मंत्री, बातचीत में सहायक । कहना, बोलना, निंदा करना, बुराई करना। कथित-वि० (सं० कथ्+क्त ) कहा हुआ, " ऊधौ कहा कथत विपरीत 'भ्र० । उक्त । यौ० कथित-कथन-कहे हुए को कथनि-संज्ञा, स्त्री. (दे०) कहने का ढंग | कहना । पुनरुक्ति ।। या रीति, उक्ति, बात । ब. ब. ( कथा ) कथितव्य-वि० (सं०कथ् । तव्य) कथनीय, कथानि ।
कथनार्ह, कहने योग्य । कथनी-संज्ञा, स्त्री० (सं० कथन -+-ई----
कथोर-कथोल-संज्ञा, पु० (दे०) राँगा। प्रत्य० हि० ) बात, कथन, हुज्जत, बकवाद, "काँच कथीर अधीर नर, जतन करत है कथनि । ' जब लगि कथनी हम कथी, दूर
___भंग --कबी०। रहा जगदीश "-कबी० । कथनीय-वि० ( सं० ) कहने योग्य, वर्ण
. कोद्घात-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) नीय, वक्तव्य, निंदनीय, बुरा।।
प्रस्तावना, कथा का प्रारम्भिक अंश, सूत्रकथरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० कंथा -री
धार की बात (नाटक) अथवा नाटक के प्रत्य० ) पुराने चिथड़ों को जोड़ जोड़ कर
मर्म को लेकर पहिले-पहल पात्र का रंगबनाया हुआ बिछौना, गुदड़ी।
भूमि में प्रवेश और अभिनयारम्भ । कथा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) जो कहा जाय,
कथोपकथन--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) बातबात, धर्म-विषयक व्याख्यान, उपाख्यान
चीत, संभाषण, वर्तालाप, वाद-विवाद । चर्चा, ज़िक्र, प्रसंग, समाचार, हाल, बाद-कथ्य-वि० (सं० कथ् ।-य ) कथितव्य । विवाद, कहा-सुनी, झगड़ा, कहानी, वृत्तांत, कदंब---संज्ञा, पु० (सं० कद् --अंब ) एक इतिहास । यौ०-कथा-कहानी-- प्रसिद्ध वृत, कदम, समूह, ढेर, झंड।... श्राख्यायिका । कथा-प्रबंध-कहानी “फूलन दे सखि टेसू कदम्बन"--पद्मा० । किस्सा । कथा-प्रसंग-मदारी, विष-वैद्य, कदंबक-संज्ञा, पु० (सं० ) राशि, समूह, संपेरा, किस्सा-कहानी, गल्प, बातचीत।। ढेर, कदंब । कथावार्ता-पुराण-इतिहास की चर्चा, कदंबकुसुमाकार--वि० (सं० यौ०) गोलाबातचीत संभाषण । कथा-प्राण- नाटक कार, वर्तुलाकार कदंब के फूल सा।
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