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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उलथा ३५१ उल्लसन उलथा-संज्ञा, पु० (हि.) नाचते समय उलिचना (उलीचना )-स० कि० दे० ताल से उछलना, कलाबाजी, कूला से (सं० उल्लुचन ) हाथ या बरतन से पानी कूदना, उलटी, उड़ी, अनुवाद. करवट | उछाल कर फेंकना, ख़ाली करना । " सागर बदलना ( पशुओं के लिये )। सीप कि जाँहि उलीचे" -रामा० । उल*---संज्ञा स्त्री (दे०) झड़ी, वर्षण ।। उलूक संज्ञा, पु. ( सं०) उल्लू चिड़िया, उलदना*-स० कि. (दे०) उलटना, | इंद्र दुर्योधन का दूत, वैशेषिककार कणादि उँडेलना, गिराना । अ० कि. खूब मुनि का एक नाम (पू० ई० ५००)। यौ. बरसना । “ बारिधारा उँलदै जलद ज्यों न उलूक दर्शन--वैशेषिक दर्शन । वि० सावानो"-कविता । औलूक्य । संज्ञा, पु० दे० (सं० उल्का) उलमना*-अ० कि० दे० ( सं० अवलंबन ) | लुक, लौ। लटकना, झुकना। उलूखल–संज्ञा, पु. ( सं० ) अोखली, उत्तरना .. क्रि० (दे०) उछलना, खल, गुग्गुल, खरल ।। कूदना, लेटना, झपटना, नीचे-ऊपर होना । उलेड़ना*-स० क्रि० दे० ( हि० उडेलना ) ढरकाना, उँडेलना, ढालना। उललना*--अ. कि. (दे० उड़ेलना) ढरकना, ढलना, उलटना । उलेल*—संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. कुलेल) उलसना-प्र० कि० दे० (सं० उल्लसन ) उमंग, जोश, उछल-कूद, बाढ़ । वि० बेपर वाह, अल्हड़। शोभित होना, सोहना। उल्का -संज्ञा, स्त्री. (सं० ) प्रकाश, तेज, उलहना---० क्रि० दे० (सं० उल्लंभन ) लुक, लुाठा, मशाल, चिराग़, दिया, उभड़ना, उमड़ना, हुलसना, फूलना, रात्रि में आकाश के एक अोर से दूसरी ओर निकलना, खिलना । 'बालतन यौवन रसाल वेग से जाते और गिरते हुए दिखाई देने उलहत लखि"- रस । संज्ञा, पु० (हि.) वाले एक प्रकार के चमकीले प्रकाश-पिंड, उराहना, शिकायत । इनके गिरने का "तरा टूटना" कहते हैं । उलाँघना-स० कि० दे० (सं० उल्लंघन ) उल्कापात--संज्ञा, पु० (सं० ) तारा टूटना, लाँधना, फाँदना, अवज्ञा करना, न मानना, | लुक गिरना, उत्पात, विन्न । वि० उल्काअवहेलना करना । प्रथम घोड़े पर चढ़ना। पाती-(सं०) दंगा करने वाला, उत्पाती। ( चाबुक सवार )। उल्कामुख-संज्ञा, पु० (सं०) गीदड़, एक उलार----वि० दे० (हि. अोलरना-लेटना )। प्रकार का प्रेत जिसके मुंह से भाग निकपीछे की ओर झुका हुआ (गाड़ी-बोझ से)। | लती है, अगिया बैताल, शिव का नाम । उलारनाई-स० कि. (हि. उलरना ) उल्था-संज्ञा, पु० (हि. उलथना) भाषांतर, उछालना, नीचे ऊपर फेंकना । स० क्रि० अनुवाद, तरजुमा । (दे० ) ओलरना (दे०) लेटना। उलपुख-संज्ञा, पु. ( सं० ) अंगारा, उलाहना-संश, पु० दे० (सं० उपालम्भ )। कोयला। किसी की हानिप्रद भूल या चूक को दुख उल्लंघन----संज्ञा, पु. ( सं० ) लाँधना, पूर्वक कहना, गिला, किसी के अपराध या अतिक्रमण, न मानना, अवहेलना करना, दाष का उसस या उसक किसी सम्बन्धी । डाँकना। व्यक्ति से सखेद कहना । उराहना (दे० )। उल्लंघना*--स० कि० (दे० ) उलाँधना स० क्रि० उलाहना देना, दोष रखना। (दे०)। निन्दा करना। उल्लसन--संज्ञा, पु० (सं०) हर्षण, रोमांच, For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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