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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उलझाव ३५० उलयना अटकाना, लिप्त रखना । अ० कि. उल | निकट होना । उलटे मुंह गिरना-दूसरे झना, फंसाना। को नीचा दिखाने के बदले स्वयं नीचा उलझाव-संज्ञा, पु. ( हि० उलझना ) देखना । उलटा फिरना (लौटना ) बिना अटकाव, झगड़ा, झंझट, चक्कर, फेर, कठि- ठहरे तुरंत लौटना। उलटे पैर जानानाई । उलझेड़ा (दे०)। लौटना, फिर जाना । उलटी गंगा उलझौहां-वि. (हि० उलझना ) फँसाने बहाना--अनहोनी बात होना, उलटे काम या अटकाने वाला, मुग्ध करने या लुभाने करना, विपरीत कार्य करना । उलटी माला वाला। फेरना-बुरा मनाना, अहित चाहना । उलटना-० कि० दे० (सं० उल्लोठन ) उलटे छूरे से मूडना-उल्लू बनाकर उपर का नीचे और नीचे का ऊपर होना, काम निकालना । वि. काल-क्रम में आगे औंधा होना, पलटना, पीछे मुड़ना, घूमना, का पीछे और पीछे का श्रागे, बेठिकाने, उमड़ना, टूटपड़ना, अस्त-व्यस्त होना, अनुचित, अंडबंड, आयुक्त, इधर का उधर । विपरीत होना, विरुद्ध और क्रुद्ध होना, उलटा जमाना---अंधेर का समय, वह चिढ़ना, नष्ट होना, बेहोश या बेसुध होना, समय जब भली बात बुरी समझी जाय । गिरना, इतराना, गाय-भैंस श्रादि का जोड़ा उलटा सीधा--अव्यवस्थित, अंडबंड । खाकर गर्भ न धारण करना और फिर जोड़ा उलटी-सीधीसुनाना-खरी-खोटी कहना, खाना, घमंड करना । स० कि. ऊपर का भला-बुरा सुनाना, फटकारना । उलटी नीचे और नीचे का ऊपर करना, औंधाना, खोएड़ी-मूर्ख, जड़। संज्ञा, पु. बेसन से पलटना, फेरना, औंधा गिरना, पटकना, बना हुआ एक प्रकार का पक्कान। लटकी हुई चीज़ को समेट कर ऊपर उलटाना---स० कि० (हि. उलटना) चढ़ाना । अंड-बंड करना, और का और, पलटाना, लौटाना, अन्यथा करना, या विपरीत या विरुद्ध करना, उत्तर-प्रत्युत्तर कहना, पीछे फेरना, उलटा करना। देना, बात दोहराना, खोदना, उखाड़ना, उलटा-पलटा ( पुलटा ) - वि० (हि.) बीज मारे जाने पर फिर से बोने के लिये अंडबंड, बेतरतीब, इधर का उधर । जोतना, बेसुध या बेहोश करना, कै या उलटा-पलटो-संज्ञा, स्त्री० (दे०) फेर का वमन करना, उँडेलना, नष्ट करना, रटना, हेर फेर। उलटी-पलटी-विरुद्ध, अंड बंड। जपना, दोहराना । उलठना (दे०)। उलटाव--संज्ञा, पु० ( हि० ) घुमाव, चक्कर, उलट-पलट (पुलट)-संहा, स्त्री० (हि.) | पलटाव, फेर। अदल बदल, अव्यवस्था, गड़बड़ी, अस्त- उलटी-सरसों----संज्ञा, स्त्री० यौ० (हि.) व्यस्त । नीचे मुँह वाली कलियों की सरसों जो उलट-फेर--संज्ञा, पु० (हि.) अदल-बदल, जादू, टोने में काम आती हैं। हेर-फेर, परिवर्तन, भली-बुरी दशा।। उलटे-क्रि० वि० ( हि० ) बेठिकाने, विरुद्ध, उलटा--वि० ( हि० उलटना ) श्रौंधा, न्याय से बिपरीत। विपरीत.क्रमविरुद्व । स्त्री. उलटी । संज्ञा, उलथना ---क्रि० अ० दे० (सं० उद्+ स्त्री० वमन, के, कलाबाज़ी। स्थल = जमना ) उथल-पुथल होना, उल. मु०-उलटीसांसचलना--दम उखड़ना टना, ऊपर नीचे होना, उछलना । स० (मृत्यु-लक्षण ) उलटी सांस लेना- क्रि० उलट-पलट करना । " लहरें उठी विपरीत रूप से साँस खीचना, मरने के | समुद उलथाना प० । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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