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अंबुबाहु
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ग्रंशुधर अंबुवाह-संज्ञा, पु० दे० (सं०, अंबु+ अंश-संज्ञा पु० (सं०) भाग, विभाग, हिस्सा, वाह)-बादल।
बाँट, भाज्य, अंक, भिन्न की लकीर के ऊपर अंबुराशि - संज्ञा, यौ० पु. (सं० अंबु+ का अंक, चौथा भाग, कला, सोलहवाँ राशि ) सागर।
हिस्सा, वृत्त की परिधि का ३६० वाँ हिस्सा अंबुरुह - संज्ञा, पु० यौ० (सं० – अंबु -+- जिसे इकाई मानकर कोण या चाप का रुह ) सरोरुह, कमल. पद्म ।
प्रमाण कहा जाता है। लाभ का हिस्सा, अंबुवाह-संज्ञा, यौ० पु. ( सं० अंबु+ कंधा, बारह श्रादित्यों में से एक, चाणक्य, वाह ) बादल, बारिद।।
अंशक-- संज्ञा पु० (सं०) भाग, टुकड़ा, दिन, अंबुवेतस-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) जल में दिवस, साझीदार, हिस्सेदार, पट्टीदार, अंशहोने वाला एक प्रकार का बेंत।
धारी । वि०-बाँटने वाला. विभाजक । अंधा--संज्ञा, पु० (दे०) श्राम, “ मौरे | आँशिका-स्त्री० ।।
अँबुवा श्री दुमवली, परिमल फूले - सूबे० अंशपत्र - संज्ञा, पु० यौ० (सं० अंश-पत्र) अंबुशायी- संज्ञा, पु० (सं० ) विष्णु । पट्टीदारों या साझीदारों का भाग-सूचक अंबोह-संज्ञा, पु. ( फा० उ०) भीड़- काग़ज़ । भाड़, मँड, समूह ।
अंशल-संज्ञा, पु० (सं०) चाणक्य । अम्भ-संज्ञा, पु. (सं० अम्भस् ) जल, अंशावतार—संज्ञा, पु० यौ० ( सं० अंश+ पानी. देव, या पित लोक, लग्न से चतुर्थ
अवतार ) परमात्मा का वह अवतार जिसमें राशि, देव, असुर, पितर, चार की संख्या।
उसकी शक्ति का कुछ ही अंश हो, जो अंभस-संज्ञा, पु० (सं०) अंभ, पानी आदि।।
पूर्णावतार न हो। अंभस्तुति-संज्ञा, यो० स्त्री० (सं० अंम्भस् | अंशांश-- संज्ञा, पु० यौ० (सं०, अंश+ अंश) +तुष्टि ) चार आध्यात्मिक तुष्टियों में से
भाग का भाग। एक (सांख्य )।
अंशसुता--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० अंश+ अंभनिधि-संज्ञा, यौ० पु. ( सं०-अंभ+ |
सुता) यमुना नदी। निधि ) अंभानिधि-समुद्र, सागर ।
अंशो- वि० (सं० अंशिक) अंशधारी, देवअंभोज-संज्ञा, पु. ( सं०-अम्भस्-जन्
शक्ति से युक्त, अवतारी। संज्ञा पु०-साझीदार, +ड् ) कमल, चंद्र, मोती, सारस ।
अवयवी, हिस्सेदार, स्त्री० अंशिनी। अंभोद-संज्ञा, पु. ( सं० अम्भस्- द)
अंशु--- संज्ञा पु० (सं०) किरण, प्रभा, सूत, जलद, अभ्र, मेघ ।
लेश, सूर्य, लता का एक भाग, सूचम भाग, अंभोधर-संज्ञा, पु० (सं०) बादल,
रश्मि, मयूख, तेज, दीति, ज्योति । वारिद, समुद्र । अंभोराशि- संज्ञा, यौ० पु. (सं० )समुद्र। अंशुक - संज्ञा पु० (सं० अंशु+ क) पतला अंभोरुह--संज्ञा, पु० (सं० ) कमल ।
या महीन वस्त्र, रेशमी कपड़ा, उपरना, अंभाधि--संज्ञा, पु. ( सं० ) सागर, समुद्र ।
दुपट्टा या द्विपटा, ओढ़नी, तेज-पात । अंभोनिधि-सज्ञा, यौ० पु. ( सं० ) सिंधु, | अंशुजाल-संज्ञा पु० यौ० (सं० अंशु+ जाल) सागर।
- रश्मि -समूह । अँवरा (ौरा, अमरा, अँवला दे० )- अंशुधर-संज्ञा, पु० यौ० (सं० अंशु+धर) संज्ञा, पु० (दे०) यामला, आंवला । रश्मिधारो, सूर्य, अग्नि, चंद्र, दीपक, देवता, अवदा-वि० (प्रान्ती० ) औंधा। | ब्रह्मा, प्रतापी।
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