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अंबष्ठा
२०
अंधुभृत
वहाँ के निवासी, ब्राह्मण पुरुष और वैश्य | मरने पर यह सत्यवती के साथ वन में जाति की स्त्री से उत्पन्न एक जाति विशेष, तपस्या करते हुये पंचत्व को प्राप्त हुई थी। (स्मृति ) महावत, फीलवान, मुनि विशेष, अंबिकेय- अपत्य० संज्ञा, पु. ( सं० ) अंबिका हस्तिपक, निषाद पिता के औरस से शूद्रा के पुत्र पृतराष्ट्र । स्त्री के गर्भ में उत्पन्न, बंगाल की वैद्य अंबिया-संज्ञा, स्त्री० (सं० आम्र, प्रा० अंब) जाति ।
कच्चा आम का फल, छोटा आम जिसमें अंबष्ठा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) अंबष्ट की स्त्री, जाली न पड़ी हो, टिकोरा, केरी। ब्राह्मणी लता, पाढ़ा।
अबिरथा 8-वि० (सं० वृथा ) वृथा, अंबा-संज्ञा, पु० (सं० ) माता, जननी, व्यर्थ, (प्रा० बिरथा) " तेइ यह जनम अंब, मां, अम्मा, पार्वती, देवी, दुर्गा, | अबिरथा कीन्हा "। अख० काशी-नरेश की बड़ी कन्या, जो बाद को अंबु --(अम्बु ) संज्ञा, पु० (सं० अम्ब+ ( भीष्म पितामह के विवाह न करने पर उ ) पानी, जल, सुगन्धबाला, जन्मकुंडली जल कर ) शिखंडी के रूप में उत्पन्न होकर के १२ स्थानों में से चतुर्थ स्थान, चार की भीष्म की मृत्यु की हेतु हुई । अंबष्ठा, पाढ़ा, संख्या। संज्ञा, पु० (दे० । श्राम, अँवचा (दे०) अंबुकण-संज्ञा, पु० (सं० ) ( यौ०, अंबु"अंबाफल, छाँड़ि कहा सेवर कोधाऊ । सू० पानी + कण) श्रोस, शीत, तुषार। बाड़ा-संज्ञा, स्त्री० (दे०) श्रामड़ा। | अंबुकंटक-संज्ञा, यो० पु० (सं०, अंबुअंबापोली-संज्ञा, स्त्री० (हिं. अंबा+पोलि पानी+कंटक काँटा ) मगर। -रोटी ) अमावट अमरस ।
अंबुज-संज्ञा, पु. (सं० ) जल से उत्पन्न अंबार--संज्ञा, पु. ( फा० ) ढेर, समूह | वस्तु, कमल, बेत, शंख, घोंघा, ब्रह्मा, अँबार (दे०)
वज्र । स्त्री-अंबुजा-लघमी, कमलिनी। "अंबर को लग्यौ है अंबार सभा मांहि अरु" अंबुजन्म (अंबुजन्मा)--संज्ञा, यौ० (सं० ) अंबारी-संज्ञा, स्त्री. ( अ० अमारी ) हाथी - कमल, पद्म, ब्रह्मा, श्री। की पीठ पर रखने का हौदा, जिसके ऊपर | अंबुद-संज्ञा, पु० वि०. (सं० ) जल देने छज्जेदार मंडप भी रहता है, छज्जा। वाला, बादल, मेघ, बारिध नागर मोथा। अंबालिका-संज्ञा, स्त्री० (सं० अंबाला-+ अंबुधर-- संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) पानी का ढक् + आ ) माता, मां, अंबष्टा लता, पाढा, धारण करने वाला, बादल, वारिधि, मेघ । काशिराज इंद्रद्युम्न की सब से छोटी कन्या, | अंबुधि- संज्ञा, पु० (सं० ) समुद्र, सागर, जिसे भीष्म अपने भाई विचित्रवीर्य के | सिंधु, जलधि, वारिधि । लिये हर लाये थे, राजा पांडु के पीछे अंबुनिधि-संज्ञा, यो० पु० (सं० अंबु+ यह अपनी सास सत्यवती के साथ वन | निधि ) पानी का ख़जाना, सागर, समुद्र चली गई थी।
जलधि, वरुण । अंबिका-संज्ञा, स्त्री० (सं० अम्बा+ इक् | अंबुप- संज्ञा, पु. (सं० ) समुद्र, वरुण,
+आ ) माता, जननी, मां, दुर्गा, देवी, शतभिष नक्षत्र। भगवती, पार्वती, जैनियों की एक देवो, अंबुपति-संज्ञा, यौ० पु. ( सं०-अंबु+ कुटकी का पेड़, पादा, काशी नरेश की पति)-सागर, वरुण ।। मध्यमा कन्या जो विचित्रवीर्य से व्याही अंबुभृत्-संज्ञा, पु. (सं० ) बादल, सागर, गई थी, जिसके पुत्र धृतराष्ट्र थे, पांडु के नागर मोथा।
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