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अँधेर रिया
( सं० - अंधकार - पक्ष )
'अँधेरा पाखकृष्ण पक्ष । अँधेरा- उजाला -संज्ञा, पु० यौ० ( हिं० अँधेरा + उजाला, सं० अंधकार + उज्वल ) अंधेरिया - उजेरिया (दे० ) ड़कों का एक काग़ज़ से बना खिलौना, धूपछांह, अंधकार और चाँदनी में लड़कों का एक खेल ।
मँगेरिया - संज्ञा, स्त्री० ( हिं० अँधेरी सं० अंधेरी, या अंधकारमयी ) अंधकार, अँधेरा, अँधेरी रात, काली रात, अँधेरा पक्ष या पाख. कृष्ण पक्ष । सज्ञा, स्त्री० (दे० ) ऊख की पहिली गोड़ाई |
अँधेरी - संज्ञा, स्त्री० ( हिं० अंधेर + ई ) अंधकार, तम, प्रकाशाभाव, अंधेरी रात, काली रात, श्राँधी, अंधड़, घोड़ों या बैलों की आँखों पर डालने का परदा । मु० - अँधेरी डालना या देना -- किसी की aa बंद कर उसकी कुदशा करना, आँख में धूल छोड़ना, धोखा देना, वि०- प्रकाशरहित, तमाच्छादित, जैसे अँधेरी रात । मु० - अँधेरी कोठरी - पेट, गर्भ, कोख,
घोटी - संज्ञा, स्त्री० (सं० अंध + पट, प्रा० अंधवटी, अ० अँधोटी) बैल या घोड़े की आँखें बंद करने का परदा । अँध्यार$ - संज्ञा, पु० (दे० ) अँधेरा । अंध्यारी – संज्ञा स्त्री० (दे० ) अँधेरी | थंब - संज्ञा, स्त्री० ( प्रा० ) माता, जननी, दुर्गा | यंत्रा, संज्ञा, पु० (सं० आम्र-प्रा० ब) श्राम का वृक्ष, या फल, - " फूलन दै सखि टेसू कदंबन, अंबन बौरन आवन देरी -" तुलसी संत सु अंब तरु- फूलि फरें पर हेत" | संज्ञा, स्त्री० माता - " जो रह सीय भौन कह बा अंबक - संज्ञा, पु० (सं०) आँख, नेत्र, ताँबा, पिता ।
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रामा०
अंबल - संज्ञा, पु० वि० (सं० ) खट्टा, अम्ल, चूक, खटाई ।
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अंबष्ट
अंबर - संज्ञा, पु० (सं० ) वस्त्र, कपड़ा, पट, स्त्रियों की एक प्रकार की एक रङ्गीन, किनारेदार साड़ी, आकाश, श्रासमान, कपास, छैल मछलियों की श्रांतों से निकली हुई एक सुगंधित वस्तु, एक प्रकार का इत्र, ( फा० ) अभ्रक, अबरक, राजपूताने का एक प्राचीन नगर, अमृत, उत्तरीय भारत का एक प्राचीन प्रदेश, बादल, मेघ ( क्वा० ) अंबारी - संज्ञा, पु० (सं० ) एक झाड़ी या जड़ जिससे रसवत निकलता है । चित्रा, दारूहल्दी |
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त्र्यंबर - डंबर - संज्ञा, पु० (सं० अंबर + याडंबर ) सूर्यास्त के समय या संध्या की लालिमा -
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'अंबर-डंबर साँझ के, बारू की सी भीति ।" वेति संज्ञा स्त्री० यौ (सं० ) - अकाश
बेलि । अँबराई - संज्ञा, खो० (सं० आम्र - ग्राम + राजी - पंक्ति ) । श्रम का बागीचा, धाम का राजा (अंब + राई - राजा ) । अमराई, अमरैया ( ब० दे० ) आम का बगीचा, " एती बस कीबी, यह अंब atra tatro, कहिबी कि श्रमरैया रामराम कही है दास -'" देखि अमराई'
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तु० । बराव * - संज्ञा, पु० ( ० ) अँबराई | अंबरीष -संज्ञा, पु० (सं० ) भाड़, मिट्टी का बरतन जिसमें भड़-भंजे गरम बालू डालकर
नाज भूनते हैं, विष्णु, शिव, सूर्य, युद्ध, शावक, सूर्यवंशीय एक राजा, नरक-भेद, आम्रातक वृक्ष, अनुताप, पश्चाताप, किशोरावस्था का बालक, आमले का पेड़ और फल, समर, लड़ाई |
अंक - संज्ञा, पु० (सं० ) एक देवता । अंचल - संज्ञा, पु० (सं० ) श्रमल, नशे की वस्तु, खट्टारस, मादक पदार्थ,
- संज्ञा, पु० (सं० अंब + स्थान + ड्) पंजाब के मध्य भाग का प्राचीन नाम,
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