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अंधा
अँधेरा
अंधा-संज्ञा, पु. (सं० अन्ध ) स्त्री० | अंधेर-संज्ञा, पु० (सं० अंधकार ) अन्याय, अंधी-अंध, दृष्टिहीन प्राणी, नेत्र-विहीन, उपद्रव, अत्याचार, गड़बड़ी, कुप्रबन्ध, विचार-रहित, अविवेकी, भला-बुरा न अंधाधुंध, धींगाधींगी। समझने वाला, मूर्ख ।
अंधेर-खाता-संज्ञा, पु० यौ० (हि० अंधेर मु०-अंधा बनना-जान-बूझ कर किसी +खाता ) गड़बड़ हिसाब-किताब, व्यतिबात पर ध्यान न देना।
क्रम, अन्यथाचार, कुप्रबन्ध, अविचार, अंधे की लकड़ी या लाठी-एक मात्र श्रन्याय । सहारा, श्राधार, अासरा, एक पुत्र जो मु०--अंधेर-नगरी, अबूझ राजा । टके सेर कई पुत्रों के बाद बचा हो, इकलौता बेटा, भाजी, टके सेर खाजा ॥ व्यतिक्रम, अविचार अंधा दिया-मंद या धुंधले प्रकाश- और अन्यथाचार का साम्राज्य। अंधेर वाला दीपक, अंधा भैसा-लड़को का | करना, होना, मचाना-अन्यथाचार खेल, अंधो की आँख-अत्यन्त प्रिय और अनाचार करना। वस्तु-अंधा जब आँख पावे नब जानै- | अंधेरना -स० क्रि० (हि. अंधेर ) अंधकारजब काम हो जाये तब ठीक है.
पूर्ण करना, तमाच्छादित करना, अन्यथाचार अंधे के आगे रोना-अंधे के आगे रोवै । करना। अपना दीदा खोवै-व्यर्थ प्रयत्न करना, अंधेरा--संज्ञा, पु० (सं० अंधकार प्रा० निस्पार व्यर्थ के लिये हानिकारक प्रयास । अंधयार अ. अँधियार, अंधियारा, अँधेरा) " कहै 'रतनाकर' त्यौं अंधहू के आगे रोइ, (स्त्री० अधेरी) अंधकार, तम धुंध, धुंधलाखोइ दीठि ..
पन, प्रकाशाभाव । यो०-अधेरागुपअंधा शीशा या श्राइना-(यौ०) धुंधला ऐसा घना अंधकार जिसमें कुछ न सूझे या दर्पण ।
दिखाई दे, घोर अंधकार, छाया, परछाँई, अंधाधंध-संज्ञा, स्त्री० ( हि० अन्धा +-धुंध) उदासी, उत्साह-हीनता, शोक । वि०.
- गर्द के कारण अस्पष्टता, गर्द-गुब्बार अधकार मय, प्रकाश-रहित । बड़ा अँधेरा, अंधेर, अन्याय, गड़बड़ी. मु०-अँधेरा दीखना -निराशा, अस. धींगाधींगी, विचार-रहित, अधिकता से, हायताप्रगट होना, शून्य जान पड़ना, बिना सोच विचार के, बहुतायत से । शोक या दुख प्रतीत होना, चक्कर आना, अधाधुंध--(दे०) अंधेर श्रादि।
अधेरालगना-तिमिर, यातिउँर लगना अंधार® संज्ञा, पु० (दे० ) अन्धेरा, संज्ञा (दे० ) दृष्टि-दोष होना, वृद्धावस्था में नेत्रों पु० (दे०) रस्सी का नाल 'जससे घास- की ज्योति के कम होने पर धुंधला दीखना । भूसा बाँध कर बैल पर लादते हैं।
अधेरा हाना शून्य होजाना, घर में सब अंबाहुला-संज्ञा, स्त्री० देखो-चोर पुप्पी। का अंत होजाना या अतिप्रिय (पुत्रादि ) अंधियार -सज्ञा, पु० वि० दे० (प्रा.) का न रह जाना, निराशामय होना ( जैसेअन्धेर ।
भविष्य अँधेरा है) अंधियारा संज्ञा, पु० वि० (दे०) अंधेरे घर का उजाला-अत्यंत कीर्ति
अँधेरा, स्त्री. अँधियारी, अन्धकारमयी। . या कांतिमान् , अतिसुन्दर, सुलतण, अंधियारी--सज्ञा, स्त्री. ( हि. अँधेरी ) शुभगुणयुक्त, कुलदीपक, वंश की मर्यादा उपद्रवी, घोड़ों, शिकारी पक्षियों, चीतों या मान का बढ़ाने वाला, इकलौता बेटा, प्रादि की आँख की पट्टी।
अंधेरे मुँह-मुँह अँधेरे- बड़े सबेरे
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