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उँगली
मु० -- उँगली उठाना ( किसी की ओर ) किसी का लोगों की निन्दा का लक्ष्य होना, निंदा करना, बदनामी करना, बुराई दिखाना, नुक्ताचीनी करना, दोषी, बताना, हानि करना, वक्र दृष्टि से देखना, लांछित करना ।
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उँगली उठना- ( किसी की ओर ) निंदा होना, बदनामी होना, बुराई दिखाई जाना | उँगली पकड़ते पहुँचा पकड़ना --थोड़ा सा सहारा पाकर विशेष की प्राप्ति के लिये उत्साहित होना, तनिक आपत्ति जनक बात पाकर अधिक बातों का अनुमान करना, तनिक बुराई पाकर अधिक बुराई देखना |
उँगलियों पर नचाना --- जैसा चाहना वैसा कराना, स्वेच्छानुसार ही चलाना । " बड़े घाव को उँगलियों पर नाचायें " ० सिं० उ० ।
उँगलियों पर नाचना- किसी की इच्छानुसार उचितानुचित सब प्रकार का कार्य करना, जैसा कोई चाहे वैसाही करना । उँगली दबाना ( दाँतों तले ) - श्राश्चर्य करना, अचंभित होना :
उँगली देना ( कानों में ) किसी बात से विरक्त या उदासीन होकर उसे न सुनना या उस की चर्चा बचाना । उँगली दिखाना-धमकाना, डराना ताड़ना दिखाना, मना करना, रोकना । उँगली रखना (मुँह पर ) - चुप रहने
का इशारा करना । उँगलियाँ चमकाना ( नचाना ) – मटक मटक कर या हाथ मटका कर बातचीत करना ।
(पाँचो) उँगलियाँ घी में होना - सब प्रकार से लाभ ही लाभ होना । उँगली देना ( साँप के मुँह में ) - हानिप्रद कार्य में हाथ डालना, बिनाश का
प्रयत्न करना ।
उजरिया
“साँप के मुख गुरि दीजै " यौ० कानी उँगली - कनिष्टिका या सब से छोटी अँगुली ।
उँचाई – संज्ञा, खी० (दे० ) ऊँघना, निद्रालु होना, अलसाना, तंद्रावश होना ।
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संज्ञा, पु० (दे० ) ऊँघ, घाई (दे० ) । उँधाना- क्रि० अ० ( दे० ) श्रधाना, निद्रालु होना, ऊँचना (दे० ) तंद्रित होना ।
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उंचन -संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० उदञ्चन ऊपर खींचना या उटाना ) श्रदवायन, अदवान, ओरचाइन (दे० ) 1
उँचना - स० कि० दे० (सं० उदंचन ) श्रदवान कसना या तानना, श्रदवायन खींचना । उँचाना स० क्रि० दे० ( हिं० ऊँचा ) ऊँचा करना, उठाना, उचाना - (दे० ) उठाना, ऊपर करना ।
" हौं बुधि-बल छल करि पचि हारी लख्यो न सीस उँचाय ". - सूर० । उँचाव – संज्ञा, पु० दे० (सं० उच्च ) ऊँचाई, ऊँचापन उँचास (दे० ) । उँचास - संज्ञा, पु० दे० (सं० उच्च) ऊँचाई । उंचास वि० दे० (सं० ऊन पंचाशत ) एक कम पचास चालीस और नौ की संख्या ४६ ।
उंच - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) मालिक के ले जाने पर खेत में पड़े हुए अन्न के एक एक दाने को जीविका के लिये बिनने का काम, सीला बीनना (दे० ) | उंछवृत्ति - संज्ञा, स्त्री० (सं०) खेत में गिरे हुए दानों को बिन कर जीवन निर्वाह करने
का काम ।
उजरिया - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० उज्वल ) चाँदनी, रोशिनी, उज्यारी उजेरिया (दे० ) । वि० [स्त्री० उजेरी, उजाली ( हि० ) । यौ० अँजेरिया अँधेरिया - चाँदने चौर अँधेरे में खेला जाने वाला बालकों का एक खेल |
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