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ईषत् ईर्षा-संज्ञा, स्त्रो० दे० (सं० ईयां ) दूसरे की सिद्धियों में से एक, जिससे साधक सब के उत्कर्ष के न देख सकने या न सहने की | पर शासन या प्रभुत्व कर सकता है। वृत्ति, डाह, हसद, जलन, अक्षमा, परश्री- संज्ञा, स्त्री. (सं० ) प्रधानता, प्रभुता, कातरता, कुढन, दाह।
महत्व। ईर्षालु-ईर्षालू-वि० (सं०) ईर्षा करने ईशित्व-संज्ञा, पु. ( सं० ) प्रभुत्व, आधिवाला, डाही, दूसरे की बढ़ती देख कर पत्य, महत्व, ईशिता, एक प्रकार की जलने वाला, द्वेषी।
योग-सिद्धि। ईर्षित-वि. ( सं० ) ई युक्त, जलने ईशी-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) ईश्वरी, देवी,
वाला. पर-श्री-कातर, हमद करने वाला। दुगा, भगवता ।। ईर्षी-वि० (सं०) द्रोही, द्वैषी, डाही,
ईश्वर--संज्ञा, पु० (सं० ) मालिक, स्वामी, दूसरे की अभिवृद्धि से जलने या कुढ़ने
क्लेश, कर्म, विपाक और श्राशय से पृथक वाला। वि० ईर्ष---हसद करने वाला।
पुरुष विशेष, परमेश्वर, भगवान, महादेव, ईर्ष्या-संज्ञा, स्रो० (सं० ) ईर्षा, डाह,
शिव, समर्थ । परश्री कातर्य।
ईश्वरला-संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) प्रभुता, वि० ईर्ष्याधान, प्यालु।
ईश्वरत्व।
ईश्वर-निषेध-संज्ञा पु० यो० ( स० ) ईश-संज्ञा, पु० (सं० ) स्वामी, मालिक,
। नास्तिकता। राजा, ईश्वर, परमेश्वर, महादेव, शिव, रुद्र, ग्यारह की संख्या, ईशान कोण के
| ईश्वर-निष्ठ -- वि० (सं० ) ईश्वर-भक्त, अधि-पति, आर्द्रा नक्षत्र, एक उपनिषद्,
ईश्वर-परायण , आस्तिक ।
शिधान-संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) पारा, ईस ( दे० ) ईसा ( दे० )। ईश-सखा-संज्ञा, यौ० पु० (सं० ) कुबेर,
योग के पाँच नियमों में से अंतिम धनपति ।
( योगशा० ) ईश्वर में अत्यंत श्रद्धा और ईशता-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) स्वामित्व,
भक्ति रखना।
ईश्वर-साधन-संज्ञा, पु० यौ० ( सं०) प्रभुत्व, प्रभुता।
मुक्ति या योग-साधन । संज्ञा, पु० (सं० ) ईशत्व-एक प्रकार की
ईश्वरा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) दुर्गा, लचमी, सिद्धि, प्रभुत्व ।
सरस्वती, शक्ति। ईशा-संज्ञा, स्त्रो० (सं०) देवी ईश्वरी, दुर्गा ।
ईश्वराधन--संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) परमेसंज्ञा, पु० (सं०) ऐश्वर्य, प्रताप। ईसा (दे०) ।
श्वरोपासना। ईशान-संज्ञा, पु० (२०) स्वामी, अधिपति, शिव, महादेव, रुद्र, ग्यारह की संख्या,
इश्वरी--संज्ञा, स्त्री० ( सं० ) दुर्गा, भगवती
श्रादि शक्ति. श्राद्याशक्ति, महामाया। ग्यारह रुद्रों में से एक, पूर्व और उत्तर के बीच का कोना, शिव की अष्ट विधि
ईश्वरीय-वि० (सं०) ईश्वर-सम्बन्धी, मूर्तियों में से सूर्य मूर्ति, शमी वृत । संज्ञा, ।
। ईवश्र का, दैवी। पु० यो० ( स० ) ईशान कागा पूर्वोत्तर
ईषण-संज्ञा, पु. ( सं० ) देखना, नेत्र,
ईक्षण। कोण पूर्व और उत्तर के बीच की दिशा।। ईषणा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) लालसा, चाह, ईशानी-संज्ञा, स्त्रा० (सं० ) दुर्गा, भगवती, इच्छा । ईश्वरी, देवी, शमी वृक्ष।
ईषत्-वि० (सं०) थोड़ा, कुछ, कम, इशिता-संज्ञा, स्त्री. (सं०) आठ प्रकार अल्प, किंचित, लेश ।
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