SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 288
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाहुत इगला - - नरेश के युग्म संतति में से एक, इनकी पाहोश्वित-अव्य (सं०) विकल्प, प्रश्न स्त्री का नाम काश्या था, इनसे ही देवक जिज्ञासादि सूचक शब्द।। और उग्रसेन हुये, देवक श्रीकृष्ण के पिता- आह्निक-वि० (सं० ) रोज़ाना, दैनिक, मह और उग्रसेन कंस के पिता थे। दिवाकृत्य, दिन-साध्य, दिन-सम्बन्धी। माहुत-संज्ञा, पु० (सं० ) आतिथ्य, संज्ञा, पु० (सं० ) भोजन-प्रकरण, समूह, अतिथि-सत्कार, भूत-यज्ञ, वलिवैश्य देव ।। ग्रंथ-विभाग, नित्य क्रिया, नित्य प्रति, पाहुति-संज्ञा, स्त्रो० ( सं० श्रा+ हुक्ति ) इष्टदेवाराधन । मंत्र पढ़ कर देवता के लिये अग्नि में होम प्राला-संज्ञा, पु. ( सं० ) जलार्णव, के पदार्थ डालना, होम, हवन, हवन की जलाशय । सामग्री, एक बार में यज्ञ-कुंड में डाली जाने । श्राह्लाद-संज्ञा, पु० (सं० आ+द+ वाली हवन-सामग्री की मात्रा, शाकल्य। । धनू ) श्रानंद, हर्ष, खुशी, तुष्टि, प्रसन्नता । माहूत-वि० (सं० श्रा। हू+क्त) बुलाया यौ० श्राह्लाद-जनक- वि० यौ० (सं.) हुआ, आह्वान किया हुआ, निमंत्रित, हर्ष-कारक, सुखद, तुष्टिकर। न्योता हुआ। वि० श्राह्लादकारक, श्राह्लादकारी । श्राहृत-वि० ( सं० भा---8+ क्त) अर्जित, श्राह्लादित-वि० (सं० ा+हद् + णिच् पानीत, लाया हुआ, हरण किया हुआ। ___-क्त ) आनन्दित, प्रसन्न, हर्षित सुखी। स्त्री० पाहता। वि० श्राह्लादनीय, प्रानन्दनीय। पाहै-अ. क्रि० दे० (सं० अस ) आह्वय-संज्ञा, पु० (सं० आ+हे+अल ) श्रासना का वर्तमान कालिक रूप, है, है नाम, संज्ञा, तीतर, बटेर, मेढ़े आदि जीवों (दे०)। की लड़ाई की बाजी, प्राणिधूत । श्राहो--अव्य (सं०) विकल्प, खेद, विस्मय, श्राहान-संज्ञा, पु० (सं० आ + ह्वा+ अनट) सन्देह, प्ररनादि-सूचक शब्द. पाहा (दे०)। बुलाना, बुलावा, पुकार, सम्बोधन, श्रावाप्राहो पुरुषिका- संज्ञा, स्त्री० (सं० ) हन, निमंत्रण, न्योता, राजा की ओर से आत्म श्लाघा आत्मगर्वित, अहमिका, बुलावे का पत्र, समन, तलबनामा, यज्ञ धात्मप्रशंसा । | में मंत्र के द्वारा देवताओं का बुलाना । इ इ वर्णमाला में स्वरों के अंतर्गत तीसरा इंग-संज्ञा, पु. (सं०) हिलना. कंपन, स्वर या वर्ण इसके बोलने का स्थान तालु है। चिन्ह, संकेत, हाथी-दाँत । और प्रयत्न विवृत है, ई इसका दीर्घ | इंगन-संज्ञा, पु० (सं० ) संकेत, इशारा। रूप है । "इचुयशानाम् तालुः" इंगनी-संज्ञा, स्त्री० दे० (अं. मैंगनीज़) अध्य० (सं०) भेद, कुपित, अपाकरण, । एक प्रकार का धातु का मोर्चा जो काँच या अनुपा, खेद, कोप, संताप, दुःख, शीशे के हरेपन को दूर करने के काम में भावना। अाता है। संज्ञा, पु० (सं० ) कामदेव, गणेश । इंगला-संज्ञा, सी० दे० (सं० इड़ा) इडा नाम For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy