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प्राधि
श्रानन्दना प्राधि-संज्ञा, स्त्री. (सं०) मानसिक श्राधेक-संज्ञा, पु० दे० (सं० अर्ध + एक ) व्यथा, चिन्ता, रेहन, बंधक, प्रत्याशा, दो समान भागों में से एक, प्राधा। आधार ।
प्राधेय- संज्ञा, पु. (सं०) किसी सहारे प्राधिक - वि० दे० (हि० प्राधा + एक ) | पर ठहरी हुई वस्तु, ठहरने योग्य, रखने के श्राधा, या प्राधे के लगभग।
लायक, गिरों रखने योग्य । क्रि० वि० आधे के लगभग, थोड़ा, किंचित। श्राधोरण-संज्ञा, पु. (सं० ) हस्तिपक, आधिकारिक-संज्ञा, पु० (सं०) मूल महावत, हाथीवान, हाथी चलाने वाला। कथा वस्तु (नाटक या दृश्य काव्य ) | श्राध्मात–वि. (सं०) शब्दित, दग्ध, अधिकारयुक्त।
जला हुआ। प्राधिक्य - संज्ञा, पु. (सं०) अधिकता, संज्ञा, पु० बात रोग, युद्ध, संयत । ज़्यादती, बहुतायत, आतिशय्य । प्राध्मान् -संज्ञा, पु. (सं०) एक प्रकार प्राधिदैविक-वि० (सं०) देवता तथा | .का वायु-रोग, वायु से पेट फूलना ।
भूतादि के द्वारा होने वाला, देवकृत ( दुख) | प्राध्यात्मिक-वि. ( सं० ) श्रात्माबोद्ध पदार्थ, देवाधीन, देवप्रयुक्त, बुद्धि सम्बन्धी, ब्रह्म और जीव-सम्बन्धी, सम्बन्धी, दैवकृत।
आत्माश्रित । आधिपत्य-संज्ञा, पु. (सं० ) प्रभुत्व, । श्राध्यान-संज्ञा, पु. (सं० ) ध्यान या स्वामित्व, ऐश्वर्य, अधिकार।
चिता, स्मरण, दुर्भावना, अनुशोचन, प्राधिभौतिक-वि० ( सं० ) व्याघ्र-सादि । उत्कंठा-पूर्वक स्मरण । जीवों कृत, जो भूतों या तत्वों के सम्बन्ध प्राध्वनीन-संज्ञा, पु० (सं०) पथिक, से उत्पन्न हो, जीवों या शरीर-धारियों के | पन्थ, पाथेय, मार्ग-व्यय। द्वारा प्राप्त ( दुःख )।
प्रानन्द-संज्ञा, पु०( सं० ) हर्ष, प्रसन्नता, प्राधिवेदनिक - वि० (सं.) द्वितीय विवाह | खुशी, सुख, उल्लास । के लिये प्रथम स्त्री को दिया हुआ धन ।। यौ० श्रानंद-मंगल-कुशल-क्षेम, मुदप्राधीन*-वि० (सं० ) आज्ञाकारी, वश, | मंगल।। नम्र, स्वाधिकार युक्त, वशवर्ती-अधीन | श्रानन्दकर-वि० (सं० ) सुख कर, हर्ष(दे० ) श्राश्रित, दीन ।
प्रद, आनन्दकारक, प्रानन्दकारी। प्राधीनता-संज्ञा, स्त्री० ( सं० ) वशवर्तित्व, | वि० स्त्री० श्रानन्दकारिणी। नम्रता, ताबेदारी, प्राज्ञाकारिता - श्रानन्दकानन—संज्ञा, पु० यौ० (सं०) अधीनता (दे०)।
सुखदायक वन, काशीपुरी का नाम । आधुनिक-वि० (सं० ) वर्तमान समय | "पानंद काननेद्यस्मिन् तुलसीजंगमस्तरुः । का, हाल का, अाजकल का, साम्प्रतिक, | श्रानन्द-चित्त-वि० (सं०) प्रसन्न चित्त, अधुनातन, नवीन, नव्य, अभी का, नया, | हर्षात्फुल्ल मन । इदानींतन।
प्रानन्दजनक-वि० यौ० (सं० ) सुखप्रद, प्राधून-वि० (सं० ) ईषत्कंपित, चालित, हर्षदायक । व्याकुल, कंपित ।
श्रानन्ददायक-वि० (सं०) सुखदायक, प्राधेश्राध-संज्ञा, पु. यौ० ( सं० अर्धा )
हर्षप्रद। श्राधे का श्राधा, चौथाई, प्राधा-आधा | प्रानन्दना-अ० कि० (दे०) आनन्दित या ( वीप्सा)।
प्रसन्न होना या करना-अनंदना (दे०)।
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