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प्रादेशष्य
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श्राधासीसी प्रादेशष्य-संज्ञा, पु० (सं० आ+दिश् + प्राधे प्राध-दो बराबर भागों में विभक्त तृण ) पुरोहित, आजक, श्रादेशकर्ता, हुधा। प्राज्ञाकारक।
श्राधी बात-ज़रा सी भी अपमान सूचक प्राधन-- क्रि० वि० (सं० यौ०) आदि से | बात। अन्त तक, शुरू से श्रारखीर तक, आद्यो- श्राधेकान (सुनना)-तनिक भी सुनना । पान्त ।
श्राधी जान (सूखना )-अत्यन्त भय संज्ञा, पु० यौ० (सं०) श्रादि और अन्त । । लगना। प्राद्यन्तहीन-वि• यौ० (सं० ) आदि- संज्ञा, पु० ( दे० ) अई शिरोवेदना, अर्धअन्त-रहित, अनन्त, ब्रह्म, ईश्वर।
कपाली, श्राधासीली। प्राद्य-वि० ( सं० ) पहिला, प्रथम, | यौ० श्राधा-परधा-वि० यौ० दे० ( सं० भोजनीय द्रव्य ।
अर्ध ) आधा, अपूर्ण, अधूरा, कुछ थोड़ा। यौ० श्राद्य कवि-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) प्राधा-तिहाई-वि० यो० (दे० ) अपूर्ण, वाल्मीकि, ईश्वर, विधि, ब्रह्मा।। अधूरा कुछ, थोड़ा। प्राधा-संज्ञा, स्त्री. (सं०) दुर्गा, दस प्राधान-संज्ञा, पु. ( सं० ) स्थापन, महा विद्याओं में से एक।
रखना, गिरवी या बंधक रखना, धारण श्राद्योपान्त क्रि० वि० (सं० यौ० )
करना, गर्भ धारण करना, द्रव्य, अग्न्याधान, श्रादि से अंत तक, शुरू से आखीर तक, गर्भाधान । सम्पूर्ण, समाप्ति तक।
प्राधानिक-संज्ञा, पु० (सं० ) गर्भाधान श्राद्रा-संज्ञा, स्त्री० (सं० आई ) छठवें संस्कार । नक्षत्र का नाम ।
श्राधार- संज्ञा, पु. ( सं० ) श्राश्रय, महारा, वि० स्त्री० (पु० आई ) गीली।
अवलंब, अधिकरण कारक ( व्याक०) प्राध-वि० दे० (हि. आधा, सं० अर्द्ध) थाला, बालबाल, पात्र, नींव, बुनियाद, दो बराबर भागों में से एक, निस्क, अर्धक, | मूल, एक देह-चक्र (योग०) मूलाधार, श्राश्रय श्रद्ध, ( यौगिक में )।
देने वाला, पालन करने वाला, आहार । यौ० एक-श्राध-थोड़े से, चंद, कुछ । यौ० प्राणाधार-जिसके श्राधार पर प्राण मु०-पाधो-प्राधा-दो बराबर भागों में। हों, पुत्र, अत्यन्त प्रिय, पति। श्राधकपारी-संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० (सं० अाधारित-वि० (सं० ) अवलंबित, ठहरा अर्ध+कपाली ) आधे सिर का दर्द, हुश्रा, सहारे या श्रासरे पर ठहरा हुआ, आधी सीसी।
श्राश्रित, स्त्री० श्राधारिता । श्राधा-वि० दे० (सं० अर्द्ध) दो बराबर आधारी-वि० (सं० आधारिन् ) सहारा भागों में से एक, निस्फ, अर्धक, अर्द्ध । रखने वाला, श्राश्रय पर रहने वाला, टेक या स्त्री० श्राधी।
अड़े के आकार की लकड़ी (साधुओं की)। वि० प्राधो (ब्र.)।
प्राधारेय-संज्ञा, पु. ( स० ) आधार पर मु०-प्राधा तीतर प्राधा बटेर- रहने वाला, आधार पर ठहरने वाला, कुछ एक प्रकार का और कुछ दूसरे प्रकार आधार के योग्य । का, बेजोड़, बेमेल, अंडबंड ।
प्राधासीसा-संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० (सं० प्रध-(दे० यौगिक में ) अधखुली। अर्ध+शीर्ष ) अधकपाली, आधे सिर की प्राधा होना-दुबला होना। । पीड़ा।
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