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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्राछी २३१ भाजी पाछी-वि० स्त्री० ( दे० ) अच्छी, भली, अाजला-संज्ञा, पु० (दे० प्रान्ती०) अंजलि, सुघर । अंजुली, पसर, अँजुरी, आँजुरी। संज्ञा, स्त्री० (दे० ) एक प्रकार का वृक्ष, श्राजा—संज्ञा, पु० दे० (सं० श्रार्य ) पिताइसका पुष्प बहुत मधुर सुगंधि देता है। मह , दादा, बाप का बाप । वि० (दे.) खाने वाला। स्त्री० पाजी। पाछे ---क्रि० वि० (दे० ) अच्छी तरह, | विधि० अ० क्रि० -- श्रा, श्राव, आओ। भली भाँति। आजागुरु-संज्ञा, पु० यौ० ( दे०) गुरु वि० ब० ब० अच्छे । का गुरु। पारेप-संज्ञा. पु० दे. ( सं० आक्षेप) आजाद - वि० ( फ़ा० ) जो वद्ध, परतंत्र आक्षेप, विरोध, नुकता-चीनी, आपत्ति ।। न हो, छूटा हुआ, मुक्त, बरी, बेफ़िक्र, प्राज-क्रि० वि० दे० ( सं० अद्य ) वर्तमान बेपरवाह, निश्चित, स्वतंत्र, स्वाधीन, दिन में जो दिन बीत रहा है, उसमें, स्वच्छंद, निर्भय, निडर, स्पष्टवक्ता, हाज़िरइन दिनों, वर्तमान समय में, इस वक्त, जवाब, उद्वत, स्वतन्त्र विचार के सूफ़ी अब, माजु दे०)। फकीर। "काल करै जो श्राज कर, आज करे सो आज़ाड़ी-संज्ञा स्त्री० ( फ़ा० ) स्वतन्त्रता, अब "—कबीर० । स्वाधीनता, रिहाई, छुटकारा। अाजकल-क्रि० वि० (हिं. आज + कल ) आजादगी-संज्ञा, स्त्री० (फ़ा० ) स्वच्छंइन दिनों, इस समय, वर्तमान समय में, दता, उद्ध तपन, निर्भीकता, निश्चितता। कुछ दिनों में या कुछ समय में । आजानु-वि० (सं० ) जाँध या घुटनों मु०-आज-कल करना ( लगाना )- तक लम्बा। टाल-मटोल करना, हीला-हवाला करना। आजानुबाहु-वि० (सं०) जिसके वाहु आजकल लंगना-अबतब लगना, मरण- या हाथ जानु तक लम्बे हों, जिसके हाथ काल समीप श्राना। घुटनों तक पहुंचे, वीर, शूर (शूरता का याज कल का मेहमान होना--अति लघु चिन्ह ) (सामुदिक० ) विशालवाहु, दीर्घ समय में मरना, मरण-काल निकट होना। वाहु । श्राज-दिन-क्रि० वि० (हिं० आज+दिन ) प्राज़ार-संज्ञा, पु० (फ़ा० ) रोग, बीमारी, आज-कल, आज के दिन, श्राज, इस दिन, दुःख, तकलीफ, अजार (दे०) रोग, इस समय। संक्रामक बीमारी। भाजन-प्रांजन-संज्ञा, पु० (दे०) अंजन । प्राजि-संज्ञा, स्त्री. (सं०) लड़ाई, समर, प्राजन्म-क्रि० वि० (सं०) जीवन भर, युद्ध, रण, संग्राम, आक्षेप, आक्रोश, गमन, जिंदगी भर या श्राजीवन । गति, समान भूमि। प्राजमाइश-संज्ञा, स्त्री० ( फ़ा० ) परीक्षा, आजिज--वि० ( अ०) दीन, विनीत, जाँच, परख । हैरान, तंग। श्राजमाना-स० कि० ( फ़ा० ग्राज़माइश ) आजिज़ी-संज्ञा, स्त्री. (अ.) दीनता, परीक्षा करना, जाँच करना, परखना। विनम्रता। आजमूदा--वि० ( फ़ा० ) श्राजमाया हुआ, श्राजी-संज्ञा, स्त्री० ( दे०) पितामही, परीक्षित। दादी, पिता की माता। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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