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प्रागत
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प्रागम बताना
" गैर मुमकिन कि लगे आग धुआं फिर स्वागत--शुभागमन, आदर-सत्कार । भी न हो ।
(विलोम-गत), स्त्री. अगता। आग होना-बहुत गर्म होना, कुपित प्रागत पतिका-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) होना, सरोष होना, प्रेम की जलन होना, वह नायिका, जिसका पति परदेश से प्रबल इच्छा-ताप होना।
लौटा हो। " मुमकिन नहीं कि आग इधर हो उधर
प्रागत-स्वागत- संज्ञा, पु० यौ० (सं.) न हो ।
आये हुये व्यक्ति का सत्कार, आदर-सत्कार, याग बरसना--बड़ी-कड़ी गर्मी पड़ना।
श्राव-भगति । प्राग बरसाना-शत्रुनों पर गोलियाँ
प्रागम-संज्ञा, पु० (सं० ) श्रवाई, भाना,
श्रागमन, श्रामद, भविष्य या आने वाला बरसाना।
समय, होनहार । श्राग-पानी सम्बन्ध-स्वाभाविक शत्रुता।
मु०-आगम करना-ठिकाना करना, प्राग-पानी साथ रखना-सहज बैर
उपक्रम बाँधना, लाभ का डौल करना, भाव वालों को साथ रखना, क्षमा-क्रोध
उपाय-रचना। दोनों साथ रखना, असम्भव कार्य करना,
श्रागम चेतना--भविष्य की कल्पना अनमिल वस्तुओं को मिलाना, परस्पर
करना, आने वाली बातों का अनुमान विरोधी बातें करना।
लगाना। भाग फाँकना-झूठी डींग हाँकना,
श्रागम जानना-भविष्य की बातों का मिथ्या श्रात्मश्लाघा करना ।
जानना। प्राग बबूला होना (बनना)-कोपावेश आगम जनाना होनहार की सूचना में होना, अत्यन्त क्रोधित होना । प्राग पर पानी डालना-क्रोध के समय | आगम देखना (दीखना)—होनहार का शीतल वचन कहना, झगड़ा दबाना, शान्त प्रथम ही सोच लेना या जान लेना, दिखाई करना।
पड़ना। प्राग निकलना ( आँखों से)-अत्यन्त श्रागम सोचना-भविष्य का विचार कोध में आँखों का अधिक चमकना, अति करना। कुपित होना।
श्रागम बांधना-भाने वाली बात का आग उगलना-जलाने या दुखाने वाली व्योंत बनाना, उसका विधान करना, बुरी बात कहना।
निश्चय करना। भाग उभाड़ना---पुरानी भूली हुई बुरी प्रागम बताना-भविष्य या भावी बातें और क्रोध या झगड़ा उत्पन्न करने वाली बताना या कहना-पागम कहना। बात छेड़ना।
संज्ञा, पु० समागम, संगम, श्रामदनी, प्राग उखाड़ना (गड़ी हुई)-भूली हुई, | आय, व्यकारणानुसार प्रकृति और प्रत्यय नली भुनी बात की याद दिलाना, निपटे के बीच में होने वाले कार्य या शब्द-साधन हुए झगड़े को फिर उठाना।
में बाहर से थाया हुआ वर्ण, उत्पत्ति, पेट की प्राग-भुख, बुभुक्षा, क्षुधा। शब्द प्रमाण, वेद, शास्त्र, तंत्र शास्त्र, नीति यागत-वि० (सं०) पाया हुआ, प्राप्त, या नीति शास्त्र, भावी, शिव-दुर्गा और उपस्थित, ( सु उपसर्ग के साथ ) । विष्णु के द्वारा प्रस्तुत किये गये शास्त्र । मा० श० को०-२१
देना।
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