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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राकाश २२१ आकिंचन श्राकाश-संज्ञा, पु. ( सं० ) अंतरिक्ष, आकाशधुरी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) आकाशश्रासमान, जहाँ वायु के अतिरिक्त और | भुव, खगोलका नव । कुछ न हो, शून्य, गगन, व्योम, अम्बर, आकाशनीम-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( सं० पंचभूतों ( पंच तत्वों) में से एक, अभ्रक, आकाश+नीम-हिं० ) नीम का बाँदा। अबरक-श्राकास, प्रकास (दे० )। आकाशपुष्प-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) मु०-प्राकाश छूना यः चूमना-- | असम्भव बात, आकाश-कुसुम । अत्यंत ऊँचा होना। श्राकाशबेल-संज्ञा, स्त्री० यौ० (दे०) श्राकाश में चढ़ना ( उडना )--अति अमर बेल, एक प्रकार की लता। करना, कल्पना-क्षेत्र में धूमना बेपर की श्राकाश-भाषित-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) उड़ाना, असंभव कार्य करना। नाटक के अभिनय में वक्ता का ऊपर की श्राकाश-पाताल एक करना-भारी ओर देख कर आप ही आप प्रश्न करना, उद्योग या आन्दोलन करना, हलचल | और उत्तर देना, नभ-भाषित, ( नाट्य०)। मचाना. उपद्रव करना। प्राकाश-मंडल-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) श्राकाश-पाताल का अन्तर-बड़ा | खगोल, व्योम-मंडल। अंतर या फ़र्क। श्राकाशमुखी-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० श्राकाश से बातें करना--बहुत ऊँचा भाकाश+ मुखी-हि० ) आकाश की ओर होना। मुंह कर के तप करने वाले साधु । आकाश-कुसुम-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) श्राकाश-लोचन-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) आकाश का फूल, ख-पुप्प, अनहोनी या वह स्थान जहाँ ग्रहों एवं नक्षत्रों की गति असम्भव बात। श्रादि देखी जाती है, मान मन्दिर, प्राकाश-गंगा--संज्ञा, स्त्री. यो. (सं०) वेधशाला, प्राबजरवेटरी ( अं० ) उत्तर से दक्षिण की ओर एक नदी के श्राकाशवाणी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) समान दीखने वाला छोटे छोटे बहुत से आकाश से देवताओं के द्वारा कहे गये तारों का एक विस्तृत समूह, श्राकाशो- शब्द देव-वाणी, गगन-गिरा। पवीत-श्राकाश-जनेऊ, स्वर्गगंगा, मन्दा- अाकाश-विद्या-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) किनी. आकाश-गामिनी गंगा ( पुराण)। आकाश, ग्रहादि तथा वायु सम्बन्धी विद्या, आकाशगामी-वि० (सं० ) आकाश में | चलने वाला, खेचर। श्राकाशत्ति · संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) प्राकाशचारी-वि० (सं० ) आकाश में अनिश्चित जीविका, ऐसी आमदनी जो चलने या उड़ने वाला, व्योमगामी। नियमित या बँधी न हो। संज्ञा, पु० सूर्यादि ग्रह, नक्षत्र, वायु, पक्षी, | श्राकाशी- संज्ञा, स्त्री० (सं० ) धूप आदि देवता, खेचर। से बचाने के लिये तानी जाने वाली स्त्री० आकाशचारिणी। चाँदनी। प्राकाशदोप-संज्ञा, पु. ( सं० ) कार्तिक श्राकाशीय-वि० (सं०) श्राकाश सम्बन्धी, में बाँस के सहारे कंडील में रख कर ऊपर आकाश का, आकाश में रहने या होने लटकाया जाने वाला दीपक। वाला, दैवागत, आकस्मिक । प्राकासीदिया-(दे० ) कार्तिक का श्राकिंचन-संज्ञा, पु० (सं० ) दरिद्रता, दीपदान । प्रयास, यंत्र, अकिंचनता। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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