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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org आकर्ष २२० प्राकालिक कान तक फैले नेत्र | प्राकर्ष - संज्ञा, पु० (सं० ) खिंचाव, कशिश, बल-पूर्वक हटाना, पाँसे का खेल, बिसात, चौपड़, पाशा ( पाँसा ) अक्षक्रीड़ा, इंद्रिय, धनुष चलाने का अभ्यास, कसौटी, चुम्बक । यौ० प्राकर्ण अतु- संज्ञा, पु० ० (सं० ) आकस्मिक - वि० (सं० ) जो अकारण या विना किसी कारण हो, जो अचानक हो, सहसा होने वाला । क्रि० वि० अकस्मात - अचानक । आकांक्षक - वि० सं० ) श्राकांती, इच्छुक । प्राकर्षक - वि० (सं० ) खींचने वाला, आकर्षित करने वाला । आकर्षण - संज्ञा, पु० ( सं० ) किसी वस्तु का दूसरी वस्तु के पास उसकी शक्ति या प्रेरणा से खिंच जाना, खिंचाव, एक तांत्रिक प्रयोग या विधान जिसके द्वारा दूर देशस्थ मनुष्य या पदार्थ पास आ जाता है ( तन्त्र० ) । आकर्षण - शक्ति - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) भौतिक पदार्थों की वह शक्ति जिससे वे न्य पदार्थों को अपनी र खींचते हैं । आकर्षना३- स० क्रि० दे० (सं० आकर्षण ) खींचना | सम्बद्ध, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आकांक्षा - संज्ञा, स्त्रो० (सं० ) इच्छा, अभिलाषा, वांछा, चाह, अपेक्षा, अनुसंधान, वाक्यार्थ के ठीक ज्ञान के लिये एक शब्द का दूसरे पर आश्रित होना ( न्याय० ) प्राकांक्षित - वि० (सं० ) इच्छित, अभि लषित, वांछित, अपेक्षित । अकांक्षी - दि० (सं० आकांक्षिन् ) इच्छुक, अभिलाषी । स्त्री० आकांक्षिणी-- श्रभिलाषिणी । वि० [प्राकांक्षणीय - वांछनीय । प्राकार - संज्ञा, पु० (सं० ) स्वरूप, आकृति, सूरत, मूर्त, डील-डौल, कद, बनावट, संघटन, निशान, चिन्ह, चेष्टा, " वर्ण, बुलावा, इशारा, सङ्केत । आकार-गुप्ति-संज्ञा स्त्री यौ० ( सं० ) हर्षादि कृत अंग-विकारों को छिपाना, मनोविकारों का संगोपन, प्राकार 6 आकर्षण - वि० सं०) आकर्षण करने वाली, कुशी । आकर्षित - वि० (सं० ) खिंचा हुआ । वि० [आकर्षणीय | प्राकलन - संज्ञा, पु० (सं० ) ग्रहण, लेना, संग्रह, सञ्चय, इकट्ठा या एकत्रित करना, गिनती करना, अनुष्ठान, सम्पादन, अनुसंधान, बटोरना, जुहाना (दे० ) | प्राकलित - वि० (सं० ) एकत्रित संग्र- प्राकारादि - वि० ( सं० ) जिस शब्द या हीत, सम्पादित । वर्ण के आदि में था हो, श्रा इत्यादि । बन्धन, 3 संज्ञा, पु० (सं० ) अनुष्ठित कृत, परिसंख्यात । प्राकारी - वि० ( सं० ) आह्वान करने वाला, बुलाने वाला, श्राकार वाली' 66 प्राकला - वि० दे० (सं० आकुल ) लघु- श्राकारी " गायन । आकारतः - अव्य० (सं० ) स्वरूपतः, ar, आकृति से । आकारान्त-संज्ञा, पु० यो० (सं० ) दीर्घ " अंत में रखने वाले शब्द या 16 था वर्ण । मृतक एक तहँ हरि० । उतावला, उच्छृंखल । प्राकली - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० आकुल ) प्राकालिक - वि० (सं० ) अकाल-सम्भव व्याकुलता, बेचैनी । सामयिक | For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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