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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir । प्राख २१४ अखि प्रखं भारी होना-नोंद आ जाना, आँखों से लगाकर रखना-अत्यंत प्यार निद्रालु नेत्र होना। या प्रेम से रखना, बड़े आदर सत्कार या प्राग्व भर लाना-रोने लगना, साश्रु भक्ति-भाव से रखना। नयन हो जाना, दया, करुणा, दुख, प्रेम आँख होना-परख, पहिचान, शक्ति, से द्रवीभूत होना। योग्यता, बुद्धि का होना। अखि मारना-इशारा करना, सनकारना, अाँख और होना-नज़र बदल जाना, आँख के इशारे से मना करना, सैन या आँख फिर जाना, विचार या भाव में अन्तर कनेखी चलाना। श्रा जाना। श्राख मिलाना- आँखें सामने करना, आँख प्राभल ( आँख से अोझल बराबर देखना, ताकना, सामने पाना, होना)-दूर जा कर दृष्टि से परे और श्रोट मुँह दिखाना, प्रेम या प्रीति करना। में होकर छिप जाना। आँख से आँख मिलाना-साहस करना, आँख से दूर या परे हो जाना-दूर बराबरी करना, प्रतिद्वंदता करना, विरोध होना। करना। आँख में समाना (बसना )-प्रिय हो आँख रखना, (किसी पर निगाह जाना, पसंद भाना, चित्त में बसना, मन रखना )-ताकना, निगरानी करना, में स्मरण बना रहना। चौकसी करना, चाह रखना, इच्छा रखना। प्रोखों में चरबी शना-मदांध या श्राख में रखना-ध्यान या चित्त में, प्रमत्त हो जाना, गर्व से किसी की ओर ख्याल रखना, अत्यंत प्रेम करना, प्रेमपूर्वक ध्यान न देना। आंखों में फिरना- ध्यान में रहना, चित्त रखना-प्रांख में बमाना। में चढ़ना, स्मृति में बना रहना । " आँखिन मैं सखि राखिवे जोग' "नैननि मैं अब साई कुंज फिरिबो करें " तुल० ( कवि०)। -ऊ. श०। अखि लगना-नींद लगना, झपकी प्रांखों में रात कटना-कष्ट, चिन्ता लगना, सोना, टकटकी लगना, दृष्टि जमना। या व्यग्रता से सारी रात जागते बीतना । (किसी से ) आँख लगना-प्रीति होना, आँख की पुतली करना-प्रत्यंत प्रिय प्रेम होना। करना, या बनाना। " आँखिन आँखि लगी रहै, आँखी लागत " करहुँ तोहि चख-पूतरि श्राली "नाहिं "-वि० । रामा० । प्रांख लडना-देखा-देखी होना, आँख आँख का काजल (अंजन ) करके मिलाना, प्रेम होना, प्रीति होना। रग्बना- आँखों में बसाना या रखना, प्राँव लड़ाना-देखा-देखो ( सप्रेम ) अत्यंत प्रिय बनाएर समीप रखना। करना। "नैननि मैं कजरा करि राख्यो"- आँखें लाल (पीली) करना, (लाल- अखि का काजल (अंजन) होना-प्रिय, पीली अखि दिवाना )-क्रोध करना, हितकर और सुखद होना। सकोप दृष्टि से देखना, डराना, धमकाना । आँख का काजल चुराना-सामने से श्रीख सेंकना-दर्शन-सुख उठाना, नेत्रा- देखते देखते उड़ा देना। नंद लेना। यो०-श्राख का तारा-आँख का काला For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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