SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 216
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अस्पर्श २०५ अस्वीकार अस्पर्श-संज्ञा, पु० दे० (सं० अ-+स्पर्श) | अस्रप-संज्ञा, पु. ( सं० ) राक्षस, मूल न छना, स्पर्श न करना, (दे०) स्पर्श । नक्षत्र, जोंक। वि० श्रस्पर्शित-न छुअा हुमा, स्पर्शित वि० रक्त पीने वाला। अनु-संज्ञा, पु० दे० (सं० अश्रु ) आँसू, अस्पष्ट-वि० (सं० अ+स्पष्ट ) जो आँस ( दे 5 )। स्पष्ट या सुव्यक्त न हो, गृढ़, अस्फुट । अस्वकीय-वि० (सं० ) पराया, अपना ( दे० ) स्पष्ट, स्फुट । नहीं। प्रस्फटिक-संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रस्फ अस्व - संज्ञा, पु. (सं० ) निर्धन, कंगाल, दरिद्री, दे० (सं० अश्व ) घोड़ा। टिक) एक प्रकार का उज्वल पत्थर। अस्वथ--वि० (सं० ) अस्वस्थ, रोगी। प्रस्फुट-वि० (सं० अ- स्फुट ) जो स्पष्ट । अस्वस्थ-वि० (सं० ) रोगी, बीमार, न हो, अस्पष्ट, गृढ़, जटिल, (दे० ) स्पष्ट, अनमना। अगूढ़। अस्वन-वि० (सं० ) शब्द-रहित, नीरव, वि० दे० ( सं० स्फुटित ) अस्फुटित स्वर-रहित । फूटना, फूटा हुआ । अस्वर-संज्ञा, पु. (सं० ) व्यंजन, बुरा(सं० म+स्फुटित ) न फूटा हुभा। स्वर, निंदितस्वर, बेसुर। अस्मरण-~-संज्ञा, पु. (सं० अ-+ स्मरण ) वि० अस्वरित-अशब्दायमान, शब्दित। अस्मृति, याद न रहना, भूल, विस्मृति । संज्ञा, पु० (सं० ) जो स्वरित न हो। (दे० ) स्मरण, याद, स्मृति। अस्वपित-वि० (सं०) न सोया हुआ, संज्ञा, स्त्री० अस्मृति (सं० अ+ स्मृति) असुप्त । स्मृति का अभाव, विस्मृति, (दे०) अस्वादिष्ट-- वि० (सं० ) जो स्वादिष्ट या स्मृति, याद, असमरण (दे०)। खाने में अच्छा या रुचिकर न हो, बदमज़ा, अस्मारक-संज्ञा, पु० (सं०+स्मारक ) बदज़ायका। जो स्मारक या स्मरण कराने वाला न हो। संज्ञा, पु० अस्वाद-बुरास्वाद । ( दे०) स्मारक या स्मरण कराने वाला अस्वाभाविक-वि० (सं० ) जो स्वाभाविक चिन्ह । न हो, प्रकृति विरुद्ध, कृत्रिम, बनावटी। अस्मिता-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) द्रक्, दृष्टा, स्वास्थ्य-संज्ञा, पु. ( सं० ) रोग, और दर्शन-शक्ति को एक मानना या पुरुष बीमारी । (आत्मा) और बुद्धि में अभेद मानने वि० अस्वास्थ्यकर-रोगकारक, हानिकी भ्रांति, ( योग ) अहंकार, मोह। कारी। वि० (सं० अ+स्मिता ) न मुसकुराई हुई। अस्वीकार--संज्ञा, पु. ( सं० ) स्वीकार का (दे०) स्मिता या मुसकुराती हुई। विलोम, इन्कार, नामंजूरी, नाहीं। मन-संज्ञा, पु. (सं० ) कोना, रुधिर. संज्ञा, भा० स्त्री० अस्वीकारता-। जल, आँसू, केसर, नोक। वि० अस्वीकरणीय-स्वीकार न करने प्रस्रजित-वि० (सं० श्र+स्रजित ) न योग्य । सिरजी या रची या पैदा की हुई, न अस्वीकार-सूचक-संज्ञा, पु० यौ० (सं.) बनाई हुई। । एक प्रकार के सर्वनाम का भेद, जिससे संज्ञा, पु० अस्त्रजन । अस्वीकृति प्रगट हो। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy